मोदी-शाह-योगी बन गए अब भाजपा की तीन धरोहर

यूपी विधानसभा चुनाव के बाद बाद कर्नाटक, मेघालय, त्रिपुरा, नागालैड, मध्यप्रदेश, राजस्थान ,छतीसगढ, मिजोरम तथा तेलांगाना में हुए विधानसभा चुनाव में प्रचार कर इस तिगडी ने स्टार कम्पेनर के तौर पर अपनी अलग छाप बनाई है। अब एक बार यही प्रयोग लोकसभा चुनाव में करने की पूरी तैयारी है।

Update:2019-03-30 20:04 IST

श्रीधर अग्निहोत्री

लखनऊ : केन्द्र की सत्ता के साथ ही 19 राज्यों में सत्ता पर काबिज भारतीय जनता पार्टी का कभी एक नारा हुआ करता था ‘‘ भाजपा की तीन धरोहर अटल- आडवाणी- मुरली मनोहर। बदलते दौर के साथ यह नारा लोग अब भूलने लगे हैं।

मोदी-योगी की जोडी हिट होने तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की हिन्दुत्वादी छवि ने अपने को इस ‘तिकडी’ में शामिल कर लिया है।

यूपी विधानसभा चुनाव के बाद बाद कर्नाटक, मेघालय, त्रिपुरा, नागालैड, मध्यप्रदेश, राजस्थान ,छतीसगढ, मिजोरम तथा तेलांगाना में हुए विधानसभा चुनाव में प्रचार कर इस तिकडी ने स्टार कम्पेनर के तौर पर अपनी अलग छाप बनाई है। अब एक बार यही प्रयोग लोकसभा चुनाव में करने की पूरी तैयारी है।

दो वर्ष पहले उत्तर प्रदेश में रिकॉर्ड बहुमत से जीत के बाद भाजपा ने योगी आदित्यनाथ को प्रदेश की कमान देकर हिंदुत्व कार्ड को भुनाने का लगातार पूरा प्रयास किया।

मोदी विकास का चेहरा तो योगी हिंदुत्व का

अब भाजपा एक रणनीति के तहत चुनाव में जहां प्रधानमंत्री मोदी को विकास के चेहरे के तौर पर उतारती है। वहीं हिन्दुत्व कार्ड के रूप् में योगी आदित्यनाथ की चुनावी सभाएं हिन्दुत्व के एजेण्डे को धार देने का काम करती है। हिन्दी भाषी राज्यों और पूर्वोत्तर के राज्यों में हुए चुनावों में यह बात और साफ भी हुई।

इन चुनावों में प्रधानमंत्री मोदी के बाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भाजपा के स्टार प्रचारक रहे है। लेकिन मोदी -शाह के साथ-साथ योगी आदित्यनाथ भी स्टार प्रचारक की भूमिका में आ गए हैं। कहीं-कहीं तो योगी आदित्यनाथ ‘बीस’ साबित होते हैं।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दिसम्बर महीने में हुए विधानसभा चुनाव वाले राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश में तो प्रचार के लिए बडे नेता बनकर उभरे हैं। योगी ने इन तीन राज्यों में 50 से ज्यादा चुनावी सभाओं को संबोधित किया था। इन स्थानों पर स्थानीय प्रत्याशियों के प्रचार के लिए योगी की मांग सबसे ज्यादा थी।

मोदी से अधिक हुईं योगी की सभाएं

हिन्दुत्व का चेहरा बन चुके आदित्यनाथ ने चुनाव वाले तीन राज्यों में 53 जनसभाएं कीं। इनमें छत्तीसगढ़ में सबसे ज्यादा 21 सभाएं शामिल हैं. जबकि यहां पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने 9 जनसभाओं और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सिर्फ 4 सभाओं को संबोधित किया।

मध्यप्रदेश में योगी आदित्यनाथ ने 15 जनसभाओं को संबोधित किया जबकि शाह ने 25 रैलियों को और प्रधानमंत्री ने 10 सभाओं को संबोधित किया। चुनाव वाले एक अन्य प्रदेश राजस्थान, में मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए आदित्यनाथ 17 जनसभाओं को संबोधित किया। जबकि प्रधानमंत्री की 10 जनसभाएं की।

इसके अलावा उन्होंने तेलेंगाना में भी चुनाव प्रचार कर तिकडी को और मजबूती देकर लोकसभा चुनाव के लिए विपक्ष को चुनौती देने का काम किया है।

योगी को भविष्य में बड़ा नेता बनाने की तैयारी

दरअसल संघ अपनी रणनीति के तहत यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भविष्य में राष्ट्रीय नेता के तौर पर लाकर दूसरी पीढी का बडा नेता बनाने की तैयारी में है। यही कारण है कि 46 वर्षीय योगी आदित्यनाथ को लगातार दूसरे राज्यों में भेजकर उनकी एक अलग तरह की छवि के रूप् में प्रस्तुत किया जा रहा है।

कई मायनों में, आदित्यनाथ की तुलना नरेंद्र मोदी के गुजरात के मुख्यमंत्री बनने वाले समय से की जा रही है। बाद में भाजपा को मोदी को 2014 के लिए प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने के लिए बाध्य होना पड़ा था।

योगी की हिंदुत्ववादी छवि पूरे देश में लाने की तैयारी

माना जा रहा है कि योगी आदित्यनाथ के हिंदुत्ववादी छवि को पूरे देश में ले जाने की तैयारी है। क्योंकि जिस तरह से योगी आदित्यनाथ ने हैदराबाद जाकर औवेशी जैसे कटटरवादी नेता को ललकारने का काम किया। उससे भाजपा के परम्परागत वोट बैंक में पार्टी की प्रति आकर्षण और बढा।

इसके पहले उत्तर भारत को किसी भी नेता की हैदराबाद में सभा नहीं हो पाई। यही शायद सबसे बड़ा कारण उनके चयन का भी रहा है। संघ के हिंदुत्व एजेंडे के लिए गुजरात के पहले उत्तर प्रदेश उसकी मूल प्रयोगशाला रहा है।

अब इस सफल प्रयोग को भाजपा नेतृत्व लोकसभा चुनाव में भी दोहराने के मूड में है। क्योंकि जिन राज्यों में विधानसभा के चुनाव हुए उसमें पार्टी ने यही फार्मूला अपनाने का काम किया।

शाह के हेलीकॉप्टर ने यूपी से बाहर निकाला

पूर्व में योगी आदित्यनाथ हमेशा ही अपनी करते रहे और केंद्रीय नेतृत्व के साथ उनका तालमेल अच्छा नहीं रहा। लेकिन यूपी विधानसभा चुनाव कैपेंन के दौरान भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने उन्हे एक हेलीकॉप्टर दिया था। तब पहली बार योगी आदित्यनाथ ने पूर्वांचल से बाहर निकलकर प्रचार किया।

अमित शाह का यह फार्मूला काम आया और योगी की यूपी चुनाव के दौरान जनसभाओं की खूब मांग हुई। इस तरह से योगी को पूरे देश में दौरे करवाकर मोदी और शाह के युग में योगी को भी शामिल कर लिया गया।

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