एक ऐसा राजनीतिक दल, जो नहीं देता शराबियों और मांसाहारियों को टिकट

भारत में एक राजनीतिक दल हैं, जो उम्मीदवारों को टिकट देने में ऐसा अजीब क्राईटेरिया रखता है, जिसे जानकर कोई भी दंग रह जाये।

Update: 2020-02-03 10:40 GMT

लखनऊ: भारत में राजनीतिक दलों की प्राथमिकता सत्ता में आना है, जिसके लिए वह चुनावों में दमदार उम्मीदवारों को टिकट देकर सदन पर अपनी जगह बनाते हैं। कई बार ऐसे उम्मीदवारों के नाम भी सामने आते हैं, जिन पर हत्या-रेप या कई अन्य बड़े आपराधिक मामले दर्ज होते हैं। लेकिन हैरान करने वाली बात ये है भारत में एक ऐसा भी राजनीतिक दल हैं, जो उम्मीदवारों को टिकट देने में दो बातों का ख़ास ध्यान रखता है। दरअसल, जिस क्राईटेरिया पर पार्टी उम्मीदवारों को टिकट देती है, वह जान आप भी दंग रह जायेगें। पार्टी शराब पीने वालों या किसी तरह के नशे के आदी लोगों को पार्टी का टिकट नहीं देती, वहीं मांसाहारियों की पार्टी में कोई जगह नहीं है।

जय गुरुदेव की राजनीतिक पार्टी :

टिकट वितरण में ऐसा अजीबोगरीब नियम रखने वाले इस राजनीतिक दल का नाम है, 'दूरदर्शी पार्टी'। इस पार्टी की शुरुआत बाबा जय गुरुदेव ने की थी।बाबा जय गुरुदेव को यकीन था कि अपने अनुयायियों के जरिए वो बड़ा राजनीतिक करिश्मा करेंगे। इस पार्टी का कैंडिडेट बनने के लिए पहली शर्त शाकाहारी होना और शराब या कोई दूसरा नशा न करना है।

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बाबा जय गुरुदेव ने साल 1980 में ये राजनीतिक पार्टी बनाई थी। बताया जाता है कि इमरजेंसी के दौरान उन्हें जेल जाना पड़ा था, जिसके बाद उन्होंने राजनीतिक सुधार के उद्देश्य से इस पार्टी का गठन किया। जय गुरुदेव के उत्तर और पश्चिमी भारत में बड़ी संख्या में अनुयायी थे।

दूरदर्शन के साथ हुआ 'दूरदर्शी पार्टी' का गठन:

गौरतलब है कि जिस दौर में भारत में दूरदर्शन घर घर में अपनी पहचान बना रहा था, ठीक उसी वक्त जयगुरुदेव ने पार्टी का गठन किया और नाम भी दूरदर्शन से मिलता जुलता।

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दिलचस्प वादों और शर्तों वाली पार्टी:

ये पार्टी हमेशा अपने दिलचस्प वादों और शर्तों के लिए जानी जाति रहेगी। दरअसल,पार्टी ने कुछ ऐसे नियम भी किए थे जिन्हें लेकर मजाक उड़ता था। उनमें से पहले नंबर पर था पार्टी जॉइन करने या कैंडिडेट बनने के लिए शराब और मांसाहार से परहेज। इस शर्त ने बड़ी संख्या में लोगों को पार्टी से एक झटके में दूर कर दिया।

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ऐसा ही एक वादा लोगों के बीच मजाक बन गया। उन्होंने वादा किया कि सत्ता में आने पर वह एक नया तरीके का दहेज सिस्टम बनाएंगे जो देश में हर व्यक्ति पर लागू होगा, हालाँकि इसमें उन्होंने दहेज के रूप में एलपीजी सिलेंडर जैसी जरूरी चीजें देने जैसी बातें कही थीं।

कभी नहीं जीता पार्टी का कोई उम्मीदवार:

ध्यान देने वाली बात ये हैं कि पार्टी ने जब भी अपना कोई कैंडिडेट मैदान में उतारा, तो उसे सिर्फ हार का स्वाद ही मिला। उनका कोई भी उम्मीदवार आज तक चुनाव जीत नहीं सका। इसके तहत साल 1984 में लोकसभा चुनाव में 97 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे।पार्टी सभी सीटें हार गई थी।

इसके बाद 1989 के चुनाव में भी 288 कैंडिडेट उतारे गए जिनमें से एक भी जीत हासिल नहीं कर सका। पार्टी ने साल 1991 के चुनाव में सबसे ज्यादा उम्मीदवारों को उतारा, लेकिन देश भर में कहीं भी उनका एक भी प्रत्याशी नहीं छूटा। हालाँकि बाद में 1997 में पार्टी को भंग कर दिया गया।

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