कलियुग का जन्म : क्या आपको पता है आज हुआ था जन्म, रहते कहां हैं जानिये यहां
आग बढ़ने से पहले यहां यह जानना जरूरी है कि महान गणितिज्ञ आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत का युद्ध 3137 ईसा पूर्व हुआ था। इस युद्ध के पैंतीस साल बाद श्रीकृष्ण वापस वैकुंठ धाम गए और उनके पृथ्वी छोड़ने के साथ कलियुग का प्रारंभ हुआ।
रामकृष्ण वाजपेयी
बचपन से सुनते आ रहे हैं कि ये कलयुग या कलियुग है, अभी तो घोर कलयुग आएगा। इसे देखकर अक्सर यह सवाल मन में उठता होगा कि आखिर कलयुग का जन्म कब हुआ था, कोई तो तारीख दिन महीना रहा होगा। जब द्वापर युग का आखिरी चरण पूरा होकर कलयुग शुरू हुआ था।
आखिर इस रहस्य से पर्दा उठ ही गया। मोटे तौर पर ये बात तो सभी जानते हैं कि श्रीकृष्ण के पृथ्वी लोक से विदा लेने के बाद कलयुग का प्रथम चरण शुरू हुआ था। यह बात भी कही जाती है कि अभी तो कलयुग का प्रथम चरण चल रहा है।
आग बढ़ने से पहले यहां यह जानना जरूरी है कि महान गणितिज्ञ आर्यभट्ट के अनुसार महाभारत का युद्ध 3137 ईसा पूर्व हुआ था। इस युद्ध के पैंतीस साल बाद श्रीकृष्ण वापस वैकुंठ धाम गए और उनके पृथ्वी छोड़ने के साथ कलियुग का प्रारंभ हुआ।
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इस संबंध में सूर्य सिद्धांत का विवेचन महत्वपूर्ण है। इसके अनुसार, कलियुग 18 फरवरी 3102 ईसा पूर्व की मध्य रात्रि यानी 12 बजे से शुरू हुआ। धर्म ग्रंथों में यही वह तिथि मानी जाती है, जब श्रीकृष्ण बैकुंठ लोक लौट गए थे।
कलयुग में जीरो पर आ गया आदमी
इस संबंध में ये महत्वपूर्ण है कि सतयुग त्रेता द्वापर कलयुग चार युग हुए हैं। कहते हैं कि सतयुग में धर्म के चार चरण थे। त्रेता में तीन चरण, द्वापर में दो चरण और कलयुग में केवल एक चरण शेष रह जाता है।
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कहा जाता है कि सत्ययुग के अंत तक मनुष्य अपनी आध्यात्मिक ज्ञान को समझने की शक्ति को खो चुका था। इसके बाद त्रेतायुग में चुम्बकीय ज्ञान को समझने की उसकी शक्ति खत्म हुई और द्वापर युग में विद्युत शक्तियों को समझने की शक्तियों का ह्रास हुआ। इसके बाद कलियुग का प्रभाव बढ़ने के साथ मनुष्य को भौतिक जगत के अलावा कुछ समझने की शक्ति ही नहीं रह गई। यही वजह है कि आज राजनीतिक स्तर पर भी कहीं शांति नहीं है।
कलयुग का इन जगह है वास
राजा परीक्षित ने कलयुग को वचन दिया था कि "हे कलियुग! द्यूत, मद्यपान, परस्त्रीगमन और हिंसा इन चार स्थानों में असत्य, मद, काम और क्रोध का निवास होता है। इन चार स्थानों में निवास करने की मैं तुझे छूट देता हूँ।" लेकिन कलयुग को ये जगह कम पड़ी तो राजा परीक्षित ने कलयुग को स्वर्ण में वास करने की भी छूट दे दी थी। इसलिए सात्विक लोगों को इन चीजों से दूर रहना चाहिए।