Mystery Behind Transgender: किन्नर समाज से जुड़ी ये बातें शायद ही कोई जानता हो...

Mystery Behind Transgender: एक ऐसा समाज जिनसे संबंधित कुछ बातें है जो दुनिया के नजरों से छिपी रहती हैं। किन्नर वर्ग की भी भूमिका समाज में है।

Update:2023-05-02 02:17 IST
Pic Credit ( Social Media)

Mystery Behind Transgender: किन्नर समाज से जुड़ी इतिहास के किस्से तो कुछ विशेष तो नहीं मौजूद हैं लेकिन समाज में किन्नरों के प्रति जो नजरिया है वह बहुत ही अलग है। हालांकि, समाज के इस वर्ग को हमारे ग्रंथ और पुराणों में भी स्थान दिया गया है। जैसे हर समाज के अपने रीति रिवाज है उसी प्रकार किन्नरों के भी अपने समाज में अलग रीति रिवाज है, जिनमें कुछ रिवाज तो अलग है बहुत ही खास है। हम अपने आस पास देख सकते है कि लोगों के अंदर किन्नरों के वर्ग को लेकर उनके बारे में जानने की उत्सुकता बहुत होती है। किन्नरों से जुड़े कुछ रहस्यों के बारे में हम आपको यह बताएंगे, इन रहस्यों को जानने के बाद आप भी आश्चर्य जरूर होंगे। इसमें उनके मृत्यु की बाद के रीति रिवाज से लेकर उनकी शादी होने तक के नियम हैं आइए जानते है इस समाज से जुड़ी कुछ रहस्यमय बातें -

मृत्यु पर नहीं मनाते हैं शोक,

आम लोगों की शवयात्रा दिन में निकलती है यह तो सब जानते है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि जब किसी किन्नर की मौत हो जाती है तो रात को ही उसकी शवयात्रा निकाली जाती है। ऐसा इसलिए किया जाता है, क्योंकि कोई भी आम इंसान किन्नरों की शवयात्रा को न देख पाए और उसका साक्षी न बन पाएं। इसके अलावा एक यह भी नियम है कि किन्नर समाज के शवयात्रा में उनके खुद के समाज के अलावा कोई दूसरे समाज का व्यक्ति नहीं मौजूद होना चाहिए। इसके अलावा किसी भी किन्नर की शवयात्रा में उसके साथी लोग शोक नहीं मनाते हैं क्योंकि उनका मानना है कि उन्हें इस नर्क भरे संसार से छुटकारा मिल गया है।

आपको यह भी जानकर हैरानी होगी कि किन्नर के शव को जलाते नहीं बल्कि दफनाया जाता है। हालांकि, यह हिंदू धर्म को मानते हैं लेकिन फिर भी मरने के बाद का रिवाज़ ऐसा है क्योंकि किन्नरों के गुरु मुस्लिम होते हैं लेकिन सारी परंपराएं हिंदू धर्म की होती हैं। जब कोई नया किन्‍नर इनके समुदाय में आता है तो उसका भव्य तरीके से स्वागत किया गया है।

जिस तरह से समाज के बाकी समुदाय में शादियां होती हैं उसी तरह से किन्नरों की भी शादी होती है। लेकिन किन्नरों की शादी भगवान से होती है इसलिए यह बहुत ही खास होती है। किन्नर अपने पूरे जीवन में एक ही दुआ मांगते हैं कि उन्हें अगले जन्म में भगवान किन्नर पैदा न करें। बता दें कि हर किन्नर का गुरु होता है और अपने शिष्य के बारे में गुरु को सारी जानकारी पता होती है। इतना ही नहीं उस गुरु को यह भी पता होता है कि उसके शिष्य की कब मृत्यु हो जाएगी।

मुगल सम्राज्य में अहमियत किन्नर समाज को सबसे पहले मिली थी। किन्नरों को अपने समाज का मुगल सम्राज्य अहम हिस्सा मानते थे। समाज में थर्ड जेंडर का दर्जा किन्नरों को दिया गया है लेकिर अपने अस्तित्व के लिए आज भी उनकी लड़ाई जारी है।

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