रहस्यों से भरी जगह: हर तरफ शक्तियों का डेरा, बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स भी हैरान
एक जगह है स्कॉटलैंड का आइनहैलो द्वीप। इस हरे-भरे खूबसूरत द्वीप में अनेकों रहस्य छुपे हुए है, जो यहां के पेड़-पौधों से लेकर चट्टानों तक में दिखते हैं। इस द्वीप की सबसे अजीब बात ये है कि यहां सालभर कोई नहीं जाता, सिवाय एक दिन के।
दुनिया में आज भी ऐसी जगह मौजूद हैं जिस जगह इंसान का जाना लगभग नामुमकिन है। आप माने चाहे ना माने लेकिन आज भी ऐसे कई शहर है जहां भूतो का डेरा है। क्योंकी उस जगह कोई इंसान नही बस सकता। ऐसी ही एक जगह है स्कॉटलैंड का आइनहैलो द्वीप। इस हरे-भरे खूबसूरत द्वीप में अनेकों रहस्य छुपे हुए है, जो यहां के पेड़-पौधों से लेकर चट्टानों तक में दिखते हैं। इस द्वीप की सबसे अजीब बात ये है कि यहां सालभर कोई नहीं जाता, सिवाय एक दिन के। आइए जानते है ऐसा क्या है इस आइनहैलो में...
आपको बता दें, ये स्कॉटिश द्वीप चर्चित ऑकर्ने द्वीप से लगभग आधा किलोमीटर ही दूर है फिर भी यहाँ पहुच पाना उतना ही मुश्किल है। किसी साधन तो दूर की बात यहाँ बड़े से बड़े तैराक ने भी जाने से अपने हाथ खड़े कर दिए।द्वीप के चारों तरफ पानी की खतरनाक रूप से ऊंची-ऊंची लहरें उठती रहती हैं। कई बार यहां जाने की कोशिश करने वालों की मौत हो चुकी है।
आपको बता दें, कि ऑकर्ने द्वीप पर एक हैरिटेज सोसायटी ने आइनहैलो के प्रति सैलानियों का आकर्षण देखते हुए एक बड़ा कदम उठाया। वो हर साल गर्मी के मौसम में किसी एक दिन सैलानियों को यहां लेकर आती है। इसके लिए उन्हें काफी तैयारी करनी पड़ती है। मौसम कैसा रहेगा, साथ कुछ अच्छे तैराक भी चलते हैं ताकि अगर कोई दुर्घटना हो जाए तो मदद मिल सके।साथ में पूरे ऑकर्ने द्वीप को इस दिन के बारे में बता दिया जाता है ताकि वे सचेत रहें।
वैसे आइनहैलो के बारे में कई कहानियां सुनाई जा चुकी हैं। बताया जाता है कि ऑर्कने के लोगों की मान्यता है कि द्वीप पर शैतानी ताकतें बसती हैं। वे इतनी शक्तिशाली हैं कि जो भी अकेले या छोटे समूह में द्वीप पर जाने की कोशिश करता हैं वो दोबारा वापस नही आ पाता और वही से गायब हो जाता है। ऐसी कई घटनाएं हो चुकी हैं, जिसमें कोई रोमांचपसंद सैलानी द्वीप पर जाते हुए गायब हो गया। इसके बाद से इस धारणा को और बल मिला।
रहस्यमयी होने की एक वजह ये भी है कि द्वीप के बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं और न ही दस्तावेजों में इसका जिक्र मिलता है। विशेषज्ञों के मुताबिक द्वीप के सुनसान होने के पीछे पुराने समय में फैली बीमारियां हैं। स्कॉटलैंड की हाईलैंड्स यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डेन ली के मुताबिक 18वीं सदी में यहां प्लेग फैला था। ब्यूबॉनिक प्लेग का ये हमला इतना खतरनाक था कि लोग तेजी से मरने लगे और बची-खुची आबादी द्वीप छोड़कर भाग गई। अब भी यहां पत्थरों से बने घरों के खंडहर हैं, जो उस दौर के लोगों की यादगार हैं।
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प्लेग फैलने के बाद भी द्वीप से गहरा लगाव रखने वाले लगभग 26 लोग वहीं बसे रहे। ये साल 1841 की बात है। बाद में उनसे भी जगह खाली करवा दी गई और इस द्वीप में बर्ड सैंक्च्युरी बना दी गई। इसे ही देखने के लिए गर्मी में एक दिन के लिए स्थानीय लोग और सैलानी आते हैं।
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