Bhubaneswar case: निलंबित थानेदार का होगा नार्को और पॉलीग्राफ टेस्ट
ओडिशा पुलिस की अपराध शाखा भुवनेश्वर के भरतपुर पुलिस स्टेशन के एसएचओ का पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की तैयारी कर रही है, जहां एक सैन्य अधिकारी की मंगेतर के साथ कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया गया था, जब दंपति 15 सितंबर को एक आरोपी के खिलाफ शिकायत दर्ज कराने गए थे।
Bhubaneswar case: ओडिशा के भुवनेश्वर में सेना के एक अधिकारी पर कथित हमले और उसकी मंगेतर के यौन शोषण के आरोपी पूर्व थानेदार ने अपने नार्को एनालिसिस, ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफ टेस्ट पर सहमती दे दी है। ये पुलिसकर्मी भुवनेश्वर के भरतपुर थाने का पूर्व प्रभारी निरीक्षक है।
ये टेस्ट गुजरात के गांधीनगर में स्टेट फोरेंसिक साइंस लेबोरेटरी (SFSL) में कराए जाएंगे। मामले की जांच कर रही क्राइम ब्रांच ने भुवनेश्वर में एसडीजेएम कोर्ट से निलंबित थानेदार दीनाकृष्ण मिश्रा के नार्को एनालिसिस, ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफ टेस्ट कराने की अनुमति मांगी। मिश्रा को कोर्ट में पेश किया गया था जहां उसे कार्यवाही के उद्देश्य और इसके कानूनी परिणामों के बारे में बताया गया। उसने कोर्ट से कहा कि वह निर्दोष है और उसके खिलाफ लगाए गए आरोप गलत हैं। उसने कोर्ट से कहा, "मुझे नार्को एनालिसिस, पॉलीग्राफ और ब्रेन फिंगरप्रिंटिंग टेस्ट कराने में कोई आपत्ति नहीं है। मैं अपनी मर्जी से सहमति दे रहा हूं।" एसडीजेएम कोर्ट ने कहा कि वह संतुष्ट है कि मिश्रा ने अपनी इच्छा से तीनों परीक्षणों के लिए अपनी सहमति दी और जांच अधिकारी (IO) की गांधीनगर एसएफएसएल में परीक्षण करने की प्रार्थना को स्वीकार कर लिया।
लगे हैं गंभीर आरोप
सेना अधिकारी की मंगेतर ने दीनाकृष्ण मिश्रा के खिलाफ गंभीर आरोप लगाए हैं, जबकि आरोपी अधिकारी ने कथित तौर पर सीबी अधिकारियों द्वारा पूछताछ के दौरान आरोपों से इनकार किया है। चूँकि जिस थाने में ये काण्ड हुआ वहां कोई सीसीटीवी कैमरा या कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं था, सो इस वजह से क्राइम ब्रांच ने कानूनी रूप से स्वीकार्य साक्ष्य एकत्र करने का फैसला किया। चूंकि घटना पुलिस स्टेशन के अंदर हुई थी और कोई प्रत्यक्षदर्शी नहीं था, इसलिए वैज्ञानिक पद्धति जांच एजेंसी को सच्चाई का पता लगाने के लिए उचित दिशा दे सकती है।
अदालत ने जाँच अधिकारी को मानक संचालन प्रक्रिया के अनुसार और बिना किसी देरी के परीक्षण करने का निर्देश दिया। इसने जाँच अधिकारी को नार्को विश्लेषण, ब्रेन मैपिंग और पॉलीग्राफ परीक्षण पूरा होने के बाद आरोपी अधिकारी की मेडिकल रिपोर्ट जमा करने के लिए भी कहा।
गुजरात में होगा टेस्ट
क्राइम ब्रांच ने अदालत से अनुरोध किया कि गुजरात में ही परीक्षण किए जाएं, क्योंकि गुजरात में देश की सबसे अच्छी फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं में से एक है। एजेंसी अपनी जांच में पारदर्शिता भी बनाए रखना चाहती है। वह गांधीनगर एसएफएसएल से जल्द ही परीक्षण करने की तारीख देने का अनुरोध करेगी। एसडीजेएम अदालत ने पाया कि वह राजेंद्र प्रहलादराव वासनिक और महाराष्ट्र राज्य के मामले में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा की गई टिप्पणियों पर भरोसा कर रही है, जहां शीर्ष अदालत ने सुझाव दिया था कि जांच एजेंसी को सही निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए नवीनतम और उन्नत वैज्ञानिक तकनीकों को अपनाना चाहिए।