आरुषि-हेमराज हत्याकांड: देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री आज भी अनसुलझी

Update:2017-10-12 16:49 IST
आरुषि-हेमराज हत्याकांड: देश की सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री आज भी अनसुलझी

दीपांकर जैन

नोएडा: आरुषि-हेमराज हत्याकांड देश पर आज (12 अक्टूबर) इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फैसला सुनाते हुए तलवार दंपति को सभी आरोपों से बरी कर दिया। कोर्ट ने सीबीआई की सभी दलीलों को ख़ारिज कर दिया। लेकिन इन सबके इतर, यह अब भी देश सबसे बड़ी मर्डर मिस्ट्री बनी हुई है।

यह हत्याकांड 15-16 मई की दरमियानी रात 2008 में नोएडा के सेक्टर- 25 जलवायु विहार में हुआ था। आरोप था कि पेशे से चिकित्सक दंपति ने अपनी एकमात्र संतान आरुषि (14 वर्ष) के अलावा अपने घरेलू नौकर हेमराज (45 वर्ष) की नृशंस हत्या कर दी और सबूत मिटा दिए। हत्या उस समय हुई जब आरुषि के माता-पिता दोनों ही उसी घर में मौजूद थे। आरुषि के पिता ने बेटी को उसके बेडरूम में जान से मारने का शक अपने नौकर पर व्यक्त करते हुए पुलिस में हेमराज के नाम एफआईआर दर्ज करायी। पुलिस हेमराज को खोजने बाहर चली गयी। अगले दिन नोएडा के एक अवकाश प्राप्त पुलिस उपाधीक्षक केके गौतम ने उसी फ्लैट की छत पर हेमराज का शव बरामद किया।

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धीरे-धीरे यह केस जनभावनाओं से जुड़ गया

इस घटना में समय-समय पर कई मोड़ आए। इसमें बलात्कार के बाद हत्या की जानकारी भी मिली। कई बार यह संदेह भी जताया गया कि कहीं डॉक्टर दंपति ने मिलकर ही तो इस दोहरे हत्याकांड को अंजाम नहीं दिया। पुलिस तथा सीबीआई की तमाम दलीलों व दोनों पक्ष के वकीलों सहित जनता की भावनाओं को देखते हुए इस पूरे मामले की तहकीकात रिपोर्ट को स्पेशल जुडीशियल मजिस्ट्रेट प्रीति सिंह की अदालत में समीक्षा के लिए भेजा गया। प्रीति सिंह ने पहली सीबीआई टीम द्बारा दाखिल क्लोजर रिपोर्ट को सिरे से ही खारिज कर दिया और दोबारा जांच के आदेश दिए।

इसके बाद जांच सीबीआई के अधिकारी एजी एल कौल को सौंपी गई। कौल और उनकी पूरी टीम ने मामले की कई कोणों से जांच की और गाजियाबाद में विशेष रूप से गठित सीबीआई अदालत में दोबारा चार्जशीट दाखिल की। जस्टिस श्यामलाल ने आरुषि-हेमराज के इस रहस्यमयी हत्याकांड का फैसला सुनाते हुए आरुषि के माता-पिता नूपुर एवं राजेश तलवार को दोषी करार दिया।

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26 नवम्बर 2013 को विशेष सीबीआई अदालत ने आरुषि-हेमराज के दोहरे हत्याकाण्ड में राजेश एवं नूपुर तलवार को आईपीसी की धारा 302/34 के तहत उम्रकैद की सजा सुनाई। दोनों को धारा 201 के अन्तर्गत 5-5 साल और धारा 203 के अन्तर्गत केवल राजेश तलवार को एक साल की सजा सुनायी। इसके अतिरिक्त कोर्ट ने दोनों अभियुक्तों पर जुर्माना भी लगाया।

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हत्या मामले में आए कई मोड़

आरुषि की हत्या के एक सप्ताह बाद ही नोएडा पुलिस ने राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया। जमानत पर रिहा होने से पहले वह 60 दिनों तक जेल में रहे थे। पुलिस की जांच पर सवाल उठने के बाद तत्कालीन सीएम मायावती ने जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंप दी थी। हालांकि, उस वक्त इस मामले में अचानक बड़ा ट्विस्ट तब आ गया, जब दो सीबीआई जांचकर्ताओं ने उन्हीं सबूतों के आधार पर दूसरी ही थिअरी बताई। अरुण कुमार के नेतृत्व वाली पहली टीम ने साइंटिफिक सबूतों के आधार पर तीन लोगों- डॉ. तलवार के कंपाउंडर और दो पड़ोस के घरेलू नौकरों राजकुमार और विजय मंडल को अरेस्ट किया था। लेकिन, एजेंसी इन पर चार्जशीट दाखिल करने में असफल रही और उन्हें छोड़ना पड़ा।

आखिर क्यों नहीं सुलझ पाई गुत्थी?

सीबीआई ने 2009 में मामले की जांच को नई टीम को सौंप दिया था, जिसने जांच में कई बड़ी खामियों के चलते केस को बंद करने की सिफारिश की। परिस्थितिजन्य सबूतों के आधार पर इस टीम ने राजेश तलवार को ही एकमात्र संदिग्ध बताया गया। हालांकि, सबूतों के अभाव में तलवार पर कोई आरोप लगाने से इनकार कर दिया। लेकिन, सीबीआई अदालत ने केस को क्लोज करने की सिफारिश को खारिज कर दिया। कोर्ट ने मौजूद सबूतों के आधार पर तलवार दंपती के खिलाफ ही केस चलाने का आदेश दिया। इसके बाद 2013 में दोनों को राजेश और नूपुर तलवार को दोषी ठहराया गया। तलवार दंपती को दोषी ठहराए जाने के एक दिन बाद 26 नवंबर, 2013 को गाजियाबाद स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। तब से ही दोनों गाजियाबाद की डासना जेल में बंद हैं।

सीबीआई ने कहा- माता-पिता हो सकते हैं कातिल

इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिविजन बेंच ने सीबीआई अदालत के फैसले के खिलाफ तलवार दंपती की याचिका पर 7 सितंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था और 12 अक्टूबर की तारीख तय की थी। आरुषि मर्डर मिस्ट्री को सुलझाने के दावे करते हुए कई तरह की थिअरी बताई गईं, लेकिन किसी में भी साफतौर पर ठोस नतीजे पर नहीं पहुंचा जा सका। इस सनसनीखेज कांड पर बॉलिवुड की एक फिल्म बन चुकी है और एक किताब भी लिखी जा चुकी है।

क्या था उस रात के बाद का सच?

डॉक्टर दंपती राजेश और नूपुर तलवार की 14 साल के बेटी आरुषी नोएडा में अपने बिस्तर पर मृत पाई गई थी। आरुषि का गला रेता हुआ था और सिर पर गहरे चोट के निशान थे। आरुषि के माता-पिता बगल वाले कमरे में सो रहे थे। शुरुआत में शक की सूई हेमराज की ओर गई, लेकिन अगले दिन उसका शव घर की छत पर मिला। शव पर पिटाई के निशान थे। मामले में कई मोड़ आने के बाद तलवार दंपती पर हत्या, सबूतों को मिटाने और जांचकर्ताओं को भटकाने के आरोप लगे।

न्यूज चैनलों ने खूब बेचा

हत्या के इस अनसुलझे मामले ने देशभर के लोगों की रुचि रही है। देश के 24 घंटों वाले न्यूज चैनलों पर केस की छोटी से छोटी गतिविधि को व्यापक कवरेज मिली। टीवी स्टूडियो में क्राइम वाली जगह का निर्माण किया गया और इस पर तीखी बहसें हुईं। दिल्ली और दूसरे कई शहरों में आरुषि को न्याय दिलाने को लेकर कई रैलियां की गईं। एक व्यक्ति ने राजेश तलवार पर कोर्ट में हमला भी किया था। कानूनी जानकारों का कहना है, कि जिस तरह जांचकर्ताओं ने मामले की जांच की, उससे कई सवाल खड़े होते हैं। पहले केस की जांच स्थानीय पुलिस ने की, उसके बाद मामला सीबीआई को सौंप दिया गया। लोगों का मानना है कि 'अदालत में सबूतों को जिस तरह से पेश किया जाना चाहिए था, वैसे नहीं हुआ। इस केस में कोई गवाह नहीं है और पूरा मामला परिस्थितियों पर आधारित है, जैसा कि जरूरत थी कि अपराध की जगह को बचाकर रखा जाता लेकिन जांच और मुकदमे के दौरान कई सबूतों को नुकसान पहुंचा है।'

पुलिस जांच की उड़ी थी खिल्ली

शुरुआत में इन हत्याओं की तफ्तीश उत्तर प्रदेश पुलिस ने की थी लेकिन जिस तरीके से इसकी जांच की गई, उसकी तीखी आलोचना हुई। घटना के कुछ घंटों के बाद ही कई दर्जन लोग तलवार परिवार के घर के अंदर घुस गए। इनमें पत्रकार और टीवी कैमरामैन भी शामिल थे। इससे महत्वपूर्ण सबूतों को नुकसान पहुंचा। हत्याओं के एक हफ्ते के बाद ही डॉक्टर राजेश तलवार को गिरफ्तार कर लिया गया। तब पुलिस ने दावा किया था कि उसने केस को सुलझा लिया है। 23 मई 2008 को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में सीनियर पुलिस अफसर गुरदर्शन सिंह ने कहा था, कि 'आरुषि की हत्या इसलिए की गई क्योंकि आरुषि को अपने पिता के एक साथी डेंटिस्ट के साथ कथित अंतरंग संबंधों पर आपत्ति थी।' उसी प्रेस कांन्फ्रेंस में गुरदर्शन सिंह ने कहा, कि आरुषि की हत्या इसलिए हुई क्योंकि उसके हेमराज के साथ 'नजदीकी संबंध' थे।

पुलिस ने तलवार दंपती की नैतिकता पर सवाल उठाए और उनकी उच्च मध्य वर्ग परिवार के रहन-सहन की जनता के सामने धज्जियां उड़ा दीं। आरुषि के चरित्र पर सवाल उठाए क्योंकि पुलिस के मुताबिक वह लड़कों से बातचीत करती थी और अपने दोस्तों के यहां सोने जाती थी। तलवार दंपती को यह कहकर लताड़ा गया कि उन्होंने अपनी बेटी को इतनी आजादी दी। तलवार दंपती पर पत्नियों की अदला-बदली का भी आरोप लगाया गया। इससे तलवार दंपती हमेशा ही इनकार करती रही।

 

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