लखनऊ: अब यह साफ हो गया कि जनतादल यू ( जेडीयू) अब 'यूनाइटेड' नहीं रहेगा। बिहार में जेडीयू के संस्थापकों में से एक शरद यादव के तीन दिन के दौरे और मिले समर्थन को देखते हुए अलग होने की पूरी तैयारी हो गई है।
पार्टी के अध्यक्ष नीतीश कुमार के 19 अगस्त को बुलाए गए राष्ट्रीय कार्यकारिणी के पहले शरद यादव 17 अगस्त को नई दिल्ली में 'साझी विरासत बचाओ' मंच का आयोजन कर शक्ति प्रदर्शन करेंगे। हालांकि, इसमें अन्य दलों के नेताओं को भी आमंत्रित किया गया है।
हम ही है असली जेडीयू
बैठक के बाद जेडीयू के बागी गुट के नेता अपना रास्ता अलग चुनने का ऐलान करेंगे। अध्यक्ष नीतीश कुमार ने पार्टी के महासचिव अरुण कुमार श्रीवास्तव को गुजरात में पार्टी के विधायक की ओर से बीजेपी प्रत्याशी को वोट नहीं दिलाने के आरोप में उन्हें पद से हटा दिया था। अरुण कुमार ने सोमवार (14 अगस्त) को newstrack.com से बातचीत में दावा किया, कि उनका गुट ही असली जनतादल यू है क्योंकि देश के 14 राज्यों के अध्यक्ष उनके साथ हैं।
...तो गिर सकती है नीतीश सरकार
दूसरी ओर, नीतीश कुमार खुद कह चुके हैं कि उनकी पार्टी का बिहार के बाहर कोई जनाधार नहीं है। मसलन, वो नहीं मानते कि जनतादल यू का बिहार के बाहर कोई अस्तित्व है। उनका दावा है कि नीतीश कुमार के साथ सिर्फ पार्टी के विधायक हैं इसलिए कि उन्हें सत्ता का लाभ मिल रहा है। उनका यह भी दावा था कि बिहार में पार्टी के 71 विधायकों में 20 शरद यादव के साथ हैं। बिहार में बीजेपी के समर्थन से बनी नीतीश कुमार उनके विधायकों के समर्थन वापस लेते ही गिर जाएगी।
आगे की स्लाइड्स में पढ़ें विनोद कपूर की पूरी विवेचना ...
अली अनवर भी हुए बाहर
शरद यादव गुट ने पहले नीतीश कुमार के बुलाए राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सम्मेलन में जाना तय किया था, लेकिन अली अनवर को संसदीय दल और शरद यादव को संसदीय दल के नेता पद से हटाने के बाद अब बैठक में जाने की गुंजाईश खत्म हो गई है। अली अनवर को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की बुलाई गई बैठक में हिस्सा लेने के कारण निकाला गया था।
पार्टी 'सरकारी जद (यू)' बन चुका है
अरुण कुमार कहते हैं बिहार के सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व वाला धड़ा 'सरकारी जद (यू)' बन चुका है। 'पार्टी छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता। हमने पार्टी की स्थापना की है। शरद यादव के नेतृत्व वाला धड़ा ही असली जद (यू) है, जबकि शेष धड़ा 'सरकारी जद (यू)' और बीजेपी जद (यू) बन चुका है।'
हम सिद्धांतों की लड़ाई लड़ रहे
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के साथ महागठबंधन तोड़कर बीजेपी के साथ बिहार में नई सरकार बनाने वाले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का उपहास करते हुए अरुण कुमार ने कहा कि 'हम असली पार्टी हैं, क्योंकि हम अभी भी जद (यू) के सिद्धांतों से बंधे हुए हैं, लेकिन वे (नीतीश) बदलकर बीजेडी (यू) हो चुके हैं।' उन्होंने कहा कि यह नीतीश कुमार के खिलाफ व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है, बल्कि सिद्धांतों की लड़ाई है और लोकतंत्र और भाईचारे की रक्षा की लड़ाई है।
नीतीश ने शुरू की कार्रवाई
शरद यादव के बिहार में जनसंवाद कार्यक्रम के तहत सीएम नीतीश कुमार पर लगातार निशाना साधने और बगावती तेवर से जद (यू) में टूट तय माना जा रहा था। दूसरी ओर, अध्यक्ष नीतीश कुमार ने भी पार्टी विरोधी नेताओं पर कारवाई प्रारंभ कर दी है।
इशारों ही इशारों में दिए टूट के संकेत
शरद अपने बिहार के तीन दिवसीय दौरे के क्रम में जनादेश के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाते हुए लगातार पार्टी अध्यक्ष नीतीश कुमार पर निशाना साध रहे थे। इधर, जद (यू) के प्रवक्ता और नेता भी शरद के खिलाफ राजनीतिक रूप से हमलावर बने हुए हैं। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने भी शरद को जद (यू) का असली संस्थापक बताते हुए इस टूट को हवा दी है। शरद शदव के जनसंवाद कार्यक्रम में राजद के कार्यकर्ता बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे थे। शरद यादव भी जद (यू) में टूट को इशारों ही इशारों में स्वीकार करते हुए कहते हैं, 'एक सरकारी जनता दल है, जिसे नीतीश कुमार चला रहा हैं और एक मैं जनता दल (युनाइटेड) में हूं, जिसके साथ बिहार की जनता है।'
शरद 19 तक रख सकते थे संयम
नीतीश कुमार ने भी दिल्ली में कहा, 'पार्टी के वरिष्ठ नेता शरद यादव अपना रास्ता चुनने के लिए स्वतंत्र हैं। पार्टी ने आम सहमति से बिहार में बीजेपी के साथ जाने का फैसला किया। वह (शरद यादव) अपना रास्ता चुनने के लिए स्वतंत्र हैं।' पार्टी के महासचिव क़े सी़ त्यागी कहते हैं 19 अगस्त को पटना में बुलाई गई बैठक में शरद यादव को भी आमंत्रित किया गया है। शरद यादव को 19 तारीख तक संयम बरतना चाहिए और मर्यादा में रहना चाहिए था। शरद जिस रास्ते पर चले हैं, उस अंधेरी राह में उन्हें लालटेन का साथ मिला हुआ है। त्यागी का इशारा लालू के राजद की ओर था।
...तो वंशवाद बनी वजह
दूसरी ओर, जद (यू) प्रवक्ता अजय आलोक कहते हैं, कि शरद यादव अपने बेटे को राजनीति में 'लांच' करना चाहते हैं। उन्होंने नीतीश कुमार से इस बारे में बात की थी, लेकिन नीतीश इसके लिए तैयार नहीं हुए। बस यहीं से दोनों नेताओं के बीच दूरी बढ़नी शुरू हो गई। उन्होंने कहा, कि 'लालू प्रसाद, शरद यादव के पुत्र शांतनु को मधेपुरा से लोकसभा चुनाव में टिकट देंगे। लालू प्रसाद के भ्रष्टाचार के आरोप में जेल जाने की स्थिति में शरद राजद और लालू के पुत्रों के राजनीतिक अभिभावक के रूप में कार्य करेंगे।' अब जदयू के दोनों गुट ने अपनी अलग राह चुन ली है। बस शरद यादव की ओर से इसकी औपचारिक घोषणा घोषणा होना बाकी है ।