लखनऊ: उत्तराखंड समेत उत्तर भारत के अन्य राज्यों में 6 फरवरी की रात भूकंप के झटके महसूस किए गए। डरे लोग घर से बाहर आ गए थे। ये तो प्राकृतिक आपदा थी, लेकिन संसद में 7 फरवरी को प्रेसिडेंट के अभिभाषण पर पीएम नरेंद्र दामोदर दास मोदी के बयान से राजनीतिक भूकंप आया, जिसमें एकाएक कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी बड़े और पीएम छोटे दिखाई देने लगे।
राजनीति की दुनिया बड़ी अनिश्चित होती है। फिल्मों की ही तरह। कब कौन बड़ा और कौन छोटा हो जाए ये पता नहीं चलता। इसी तरह फिल्मों में ये गारंटी नहीं होती कि कौन सी चल जाएगी और किसे औंधे मुंह गिरना होगा।
चंदा मुद्दे पर मोदी को घेरने का था प्रयास
बीते दिनों कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने सहारा समूह और बिड़ला घराने से चंदा लेने के मुद्दे पर गुजरात के तत्कालीन सीएम और मौजूदा वक्त में देश के पीएम नरेंद्र मोदी को लेकर बयान दिया था कि 'अगर उनका मुंह खुला तो भूकंप आ जाएगा।' हालांकि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट पहले ही खारिज कर चुका था कि इसमें तथ्यों और सबूत का अभाव है। बस यही बात थी लेकिन उनके बयान से कोई तूफान नहीं उठा।
पीएम का जवाब क्या असंवेदनशील नहीं?
राहुल के बयान का पीएम ने संसद में जवाब देते हुए ऐसा मजाक उड़ाया कि खुद मजाक के पात्र बनकर रह गए। पीएम ने भूकंप को धरती के रूठने से जोड़ा। हां, सच में धरती अगर रूठी होगी तो पीएम के असंवेदनशील बयान से आहत भी हुई होगी। संभवत: मोदी देश के पहले पीएम बने जो प्राकृतिक आपदा को भी किसी विपक्षी के बयान से जोड़ दे और उसका मजाक बना दे। अब सवाल उठता है कि यदि दो दिन पहले आए भूकंप में जान-माल की बड़ी हानि हुई होती तो भी क्या मोदी ऐसा ही बयान देते।
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ढाई साल में जनता ने देखे मोदी के कई रंग
मोदी ने अपने ढाई साल के कार्यकाल में कितना कमाया या खोया, इसका लेखा-जोखा तो पांच साल पूरा होने पर ही चलेगा। लेकिन एक बयान से जो गंवाया उसकी भरपाई वो कैसे करेंगे? मोदी को जनता के सामने लोगों ने मुस्कुराते, रोते और कटाक्ष करते देखा। संसद में जब वो बोलते हैं तो लोगों को जवाब देते नहीं बनता। जुमलेबाजी और नई परिभाषा गढने में भी उनका कोई सानी नहीं है।
लेकिन ये जुमलेबाजी और कटाक्ष इस देश के लोगों को रास नहीं आया। खासकर उन लोगों को जो थोडा भी संवेदनशील हैं या संवेदनशील होने का दिखावा भी करते हैं।
बयानों का खामियाजा भुगत चुके हैं मोदी
माना जाता है कि ऐसे बयान आपका दंभ दिखाते हैं। मोदी अपने दंभ का नतीजा दिल्ली विधानसभा चुनाव में देख चुके हैं जब उन्होंने अरविंद केजरीवाल को 'नक्सली' कह दिया था और जंगल भेजने की बात कही थी। कुल पांच राज्यों में से दो में विधानसभा चुनाव संपन्न हो चुके हैं। इनमें सिर्फ पंजाब में कांग्रेस के लिए संभावनाएं दिखाई दे रही है। मोदी का ये बयान कहीं अन्य राज्यों में कांग्रेस की संभावनाएं नहीं बना दे। मोदी तो 'कांग्रेस मुक्त' भारत की कल्पना कर रहे हैं। ऐसे बयान देश को बीजेपी मुक्त भी कर सकती है।