प्रत्यक्ष कर में बड़ा सुधार

अप्रत्यक्ष कर के क्षेत्र में बड़े सुधार के बाद केन्द्र सरकार ने अब प्रत्यक्ष कर के क्षेत्र में सुधार की एतिहासिक पहल की है। जीएसटी से अप्रत्यक्ष कर के क्षेत्र में पूरे देश में एक रूपता, पारदर्शिता तथा गतिशीलता आयी।

Update:2020-08-18 16:02 IST
प्रत्यक्ष कर में बड़ा सुधार

डॉ. श्रीकान्त श्रीवास्तव

अप्रत्यक्ष कर के क्षेत्र में बड़े सुधार के बाद केन्द्र सरकार ने अब प्रत्यक्ष कर के क्षेत्र में सुधार की एतिहासिक पहल की है। जीएसटी से अप्रत्यक्ष कर के क्षेत्र में पूरे देश में एक रूपता, पारदर्शिता तथा गतिशीलता आयी। कराधान का स्वरूप बदला तथा आम आदमी ने राहत महसूस की। वह दोहरे कराधान से बचा। इसी तरह से अब सरकार ने अब प्रत्यक्ष कर के ढ़ाचे को जनकल्याणकारी तथा विकासोन्मुख बनाने की दिशा में पहल की है।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सरकार की सबसे बड़ी विशेषता आम आदमी को ध्यान में रखकर नीतियों का निर्माण करने की रही है। जितनी भी नीतियां बनायी गयी, जो भी कार्यक्रम चलाए गए या कोई भी कदम सरकार का रहा है उसके केन्द्र मे बराबर आम आदमी रहा है। लोगो पर विश्वास करना, उनकी नागरिक गरिमा को बढ़ाना और उन्हे ज़िंदगी का आसान से आसान तरीका देना इस सरकार की प्रकृति में है। यही कारण है कि गांधी जी के बाद मोदी जी देश में सर्वमान्य नेता के रूप में उभरे है। महात्मा गांधी ने कहा था कि मैं तुम्हे एक मंत्र देता हूँ। जब भी कोई काम करने चलो, देखो कि तुम्हारे उस काम से समाज के सबसे गरीब आदमी को क्या फायदा है? यदि उसे फायदा हो रहा है, तब तुम्हारा काम सही है। मोदी जी ने गांधी जी के इसी मंत्र को हकीकत के धरातल पर उतारा है।

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प्रत्यक्ष करों के क्षेत्र मे सरकार ने आयकर के एसेसमेंट की फेसलेंस बनाने को फैसला लिया है और आयकर दाताओं के लिए एक चार्टर लाया गया है। प्रधानमंत्री ने "पारदर्शी कर व्यवस्था-ईमानदारों का सम्मान" नाम के प्लेटफार्म की शुरूआत करते हुए कहा था कि फेसलेस एसेसमेंट की व्यवस्था से पूरे काम काज में पारदर्शिता आएगी और लोगो को आयकर अधिकारियों के यहां बेवजह चक्कर नहीं काटना पड़ेगा। इस प्लेटफार्म में तीन बाते है- फेसलेस एसेसमेंट, फेसलेस अपील और करदाताओं के लिए चार्टर। फेसलेस एसेसमेंट में एक केन्द्रीकृत कम्प्यूटर होगा जिससे मामलों की पहचान की जायगी। इस कम्प्यूटर के जरिए देश में किसी भी क्षेत्र में रहने वाले करदाता के मामले की जांच का जिम्मा किसी भी क्षेत्र के अधिकारी को दिया जा सकता है। इससे आयकर अधिकारी और करदाताओ को आपस मे मिलने की जरूरत नहीं रहेगी और ऑनलाइन ही जांच की प्रक्रिया पूरी की जायगी।

इसी तरीके से अपील भी ऑनलाइन होगी। प्रधानमंत्री ने कहा था कि पूरी व्यवस्था को सीमलेस, पेनलेस और फियरलेस बनाया जाय। व्यवस्था जब सीमलेस होगी तब करदाताओं को उलझा नहीं जा सकेगा । मामलें को सुलझाना होगा। पेनलेस यानी कारदाताओं को परेशानी न हो। तकनीकी से लेकर नियम तक सब कुछ आसान बनाया जाय। और तीसरा फियरलेस यानी करदाता भय मुक्त हों। व्यवस्था को लेकर उन्हे डराया न जाय। दरअसल यह काफी महत्वपूर्ण है। करदाता के सहयोग से ही पूरी व्यवस्था चलती है। प्रधानमंत्री जी ने इस बात पर पूरा जोर दिया है कि आयकरदाता द्वारा दिए गए धन से ही देश में विकास कार्यो को आगे बढ़ाया जाता है।

पूरा तंत्र ऐसा हो कि करदाता आसानी से कर का भुगतान करे और कर भुगतान के बार उसे इस बाद का एहसास हो कि वह महत्वपूर्ण है और उसके सहयोग से विकास को गति मिल रही है। चाणक्य ने कराधान की तुलना मधुमक्खी से की थी। जैसे मधुमक्खी विभिन्न फूलों का रस एकत्र कर शहद तैयार करती है, वैसे ही कराधान की व्यवस्था होनी चाहिए। मधुमक्खी बिना फूलों को नुकसान पहुंचाए शहद एकत्र कर लेती है। फूलों को पता भी नही चलता। ऐसे ही कराधान की व्यवस्था ऐसी हो कि करदाता को किसी प्रकार का कष्ट न हो और कर का धन भी एकत्र किया जा सके। सरकार की वर्तमान कर व्यवस्था ऐसी ही है। फेसलेस व्यवस्था करदाताओं को राहत देगी और कर संग्रह भी बढेगा।

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गौरतलब है कि यह नयी व्यवस्था 25 सितम्बर से लागू करने का प्रस्ताव है। भारत की अर्थव्यवस्था में प्रत्यक्ष करों की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है। इस ओर सरकार का पूरा ध्यान रहा है । 31.12.2018 की तुलना में 31.12.2019 को समाप्त वर्ष में टीडीएस यानी स्रोत पर कर कटौती में 7.8 प्रतिशत् का इजाफा हुआ है। यह रकम रू 3,62,636 करोड़ की थी। नवम्बर 2019 तक बकाए के रूप में रू 15,741 करोड़ रूपए और मौजूदा कर के रूप में रू 3,365 करोड़ रूपए की वसूली की गयी । लोगो में आयकर को लेकर जागरूकता बढ़ी है। जहां वर्ष 2017-18 में 5.47 करोड़ लोगो ने आयकर रिटर्न भरा, वही वर्ष 2018-19 में 6.49 करोड़ लोगो ने आयकर रिटर्न दाखिल किया। इसके पीछे कई कारण हो सकते हैं। पहला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी का व्यक्तित्व ।

उन्होने जिस तरीके से पूरी व्यवस्था चलायी, उससे आम जनता के मन मे विश्वास पनपा है। दूसरा सरकार के लोकहितकारी निर्णय। जिस तरीके से मोदी सरकार ने आम जनता के हित मे फैसले लिए वह भी काफी उत्साह जनक रहा है। सरकार की प्रवृति करदाताओं को सहूलियत देने के साथ ही कर मे कमी करने की भी रही है। वर्ष 2019-20 के बजट मे कई महत्वपूर्ण प्रावधान किए गए है। इसके साथ ही सरकार ने कराधान नियम संशोधन कानून 2019 पास किया। इस सबके परिणाम स्वरूप कॉरपोरेट कर और व्यक्तिगत कर मे कमी की गयी ।

सरकार ने एक बड़ा कदम उठाये हुए रू 400 करोड़ तक के सालाना कारोबार वाले छोटे और मझोले घरेलू उद्योगो के लिए कॉरपोरेट कर में 25 फीसदी की छूट दी है। व्यक्तिगत कर में भी छूट देते हुए पांच लाख रूपए तक की सलाना आय को कर युक्त कर दिया गया है। एन पी एस के तहत आने वाले केन्द्र सरकार के कर्मचारियों को भारी राहत देते हुए सरकार ने आयकर कानून 1961 की धारा 80 सीसीडी में योगदान के प्रतिशत् को बढ़ाया । सरकार ने आयकर रिटर्न की प्री-फाइलिंग, पैन और आधार कार्ड को आपस मे जोड़ना, डिजिटल भुगतान को बढावा, स्टार्ट अप के लिए नियमों का सरलीकरण, किफायती मकानों की खरीद के लिए दिए गए कर्ज पर छूट, और अन्तर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केन्द्रों-आई एफ एस सी को बढ़ावा देने जैसे कदम उठाए।

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इन सब का असर यह हुआ कि देश में कराधान की व्यवस्था बेहतर हुयी और ज्यादा कर संग्रह हुआ। इससे अर्थव्यवस्था को गति मिली। भारत दुनियां में निवेश के लिए एक बेहतर देश के रूप मे उभरकर सामनें आया। 2018-19 में जहां एफडीआई के रूप में 3,09,867 करोड़ रूपए आये वही 2019 में सितम्बर के महीने तक ही कुल 1,82,000 करोड़ रूपए आ गए थे। काले धन पर प्रहार करते हुए सरकार 01.07.2015 में कालेधन के खिलाफ कराधान का एक नया कानून लायी। इसी तरह से 1988 के बेनामी कानून को 2016 में और धारदार बनाया गया। कर सुधारों का सिलसिला यहीं समाप्त नही होता। पिछले कुछ वर्षो में सरकार ने डेढ़ हजार से भी ज्यादा पुराने कानूनों को खत्म किया। ईज ऑफ डूइंग में भारत जहां पहले 134 वे पायदान पर था, वही आज यह दुनियां में 63 वे पायदान पर है। प्रधानमंत्री जी का मानना है कि कानून कम होने चाहिए और जो कानून हो, वह जनता की मदद करने वाले होने चाहिए, न कि परेशान करने वाले।

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