एक बार फिर बेपर्दा हुआ चीन
चीन कम्युनिस्ट देश होने के कारण वहां बोलने की आजादी नहीं है। वहां सत्ता पर सवाल करने का मतलब है कि जेल में जीवन बीताना।
भारत के कम्युनिस्ट व उनके समर्थक बुद्घिजीवी भारत पर लगातार हमले करते हैं कि भारत में बोलने की आजादी नहीं है । वे बार बार चिल्लाते हैं है कि भारत में विशेष कर 2014 के बाद से लोकतंत्र मानों समाप्त हो गई है । साथ ही वे कम्युनिस्ट चीन की प्रशंसा करते नहीं थकते ।
बोलने की आजादी नहीं
यह बात अलग है कि चीन कम्युनिस्ट देश होने के कारण वहां बोलने की आजादी नहीं है । वहां सत्ता पर सवाल करने का मतलब है कि जेल के अंदर जीवन बीताना । इसके बाद भी भारतीय कम्युनिस्ट भारत के खिलाफ जहर उगलने के साथ साथ चीन की प्रशंसा में लगे रहते हैं ।
पिछले दिनों गलवान घाटी में भारत व चीन के सैनिकों के बीच संघर्ष में भारत के अनेक बहादूर जवानों ने मातृभूमि के लिए सर्वस्व बलिदान दिया लेकिन चीन ने अपने सैनिकों के हताहत होने की बात को छुपाती रही । लगभग 8 माह बाद चीन सरकार ने यह स्वीकार किया कि उसके चार सैनिक इस संघर्ष में मारे गये हैं। भारत ने जहां अपने बलिदानी सैनिकों के बारे में लोगों को जानकारी देने में किसी प्रकार की देरी नहीं लगाई तथा उनका सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया वहीं चीन की कम्युनिस्ट सरकार को अपने यहां सैनिकों की मारे जाने को स्वीकार करने में 8 माह लगा दिये ।
चीन के नागरिकों को इस बात की जानकारी नहीं
चीन पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का मानना है कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार का सूचना तंत्र पर पूर्ण रूप से नियंत्रण है तथा यही कारण है कि 1962 में भारत के साथ हुए युद्ध व इसमें कितने चीनी सैनिक हताहत हुए हैं उसके बारे में भी चीन के नागरिकों को जानकारी नहीं है । इसीसे अंदाजा लगाया जा सकता है कि चीन की कम्युनिस्ट सरकार किस ढंग से कार्य करती है ।
गलवान घाटी में चार चीनी सैनिकों के मारे जाने को चीन की कम्युनिस्ट सरकार द्वारा स्वीकार किये जाने के बाद एक घटना घटी जो चीन की वास्तविकता को स्पष्ट करती है ।
चीनी सैनिकों के मारे जाने को लेकर चीनी सरकार की स्वीकारोक्ति के बाद 19 फरवरी को चीन के एक ब्लागर ने सरकार से सवाल किया कि 'यदि अपने सैनिकों की रक्षा करने के प्रयास में चार सैनिकों की मौत हुई, तो ऐसे सैनिक भी होंगे जिन्हें बचाया नहीं जा सका होगा ।'
यह ब्लाग लिखने वाले व्यक्ति का नाम क्वि जिमिंग है और वह 38 साल का है । चीन की सरकार सोशल मीडिया साइट वेबो में उसके 45 लाख फोलोवर हैं । उपरोक्त बातें लिखने के बाद चीन की कम्युनिस्ट सरकार की पुलिस ने क्वि जिमिंग को गिरफ्तार कर लिया और वर्तमान में वह जेल में बंद है ।
इसके बाद चीन सरकार द्वारा बयान जारी कर कहा गया - 'इस ब्लाग में चीन की सीमा की सुरक्षा करने वाले जवानों के खिलाफ अपमानजनक व उन्हें नीचा दिखाने वटिप्पणी की गई' । इस कारण उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है तथा अब उनके खिलाफ आपराधिक मामला चलेगा ।
वास्तव में चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने हाल ही में एक नया कानून लागू किया है । इस कानून में चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने इंटरनेट में चीन की सैनिकों के हताहतों के बारे में सवाल पूछने को अपराध घोषित कर दिया है । इसी कानून के तहत क्वि जिमिंग को गिरफ्तार कर जेल में डाला गया है ।
इस कानून के तहत मामला दर्ज करने वाले वह एकेले नहीं है । चीन के मूल रुप से रहने वाले तथा अमेरिका में रहने वाले वांग जिंग्यु के खिलाफ भी चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की पुलिस ने मामला दर्ज कर दिया है । उन्होंने भी चीन के सैनिकों की मृत्यु के बारे में सोशल मीडिया में सवाल कर दिया था । इसके बाद से ही उनके माता पिता को चीनी पुलिस ने नजरबंद किया हुआ है । चीन में बोलने की आजादी कितनी है इसका स्पष्ट अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है ।
लोगों की आवाज को दबाने व कुचलने के लिए चीन की कम्युनिस्ट पार्टी की सरकार ने अनेक कानून लागू किया है । यदि कोई इन कानूनों को चुनौती देता है तो उनसे ये सहन नहीं होता । इसे लेकर वे काफी संवेदनशील होते हैं । चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने हाल ही में एक नये खतरे की पहचान की है जिसे वे हिस्टोरिकल नाइलीज्मम' कहते हैं । शहीदों व शहीदों से जुडे स्मारकों के बारे में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की आधिकारिक वर्जन को अस्वीकार करने को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी 'हिस्टोरिकल नाइलीज्मम' मानता हैं और वे इसे बडा खतरा के रुप में स्वीकार करते हैं ।
चीन में अपने शहीदों के बारे में सवाल करना नागरिकों को जेल में पहुंचा सकता है और उनके समर्थक भारतीय कम्युनिस्ट भारत में लोकतंत्र नहीं है नारा लगाने में व्यस्त हैं । इससे अधिक बिडंबना का विषय क्या हो सकता है ।
(नोट- ये लेखक के निजी विचार हैं )