आग से तबाह ऑस्ट्रेलिया

आस्ट्रेलिया इन दिनों आग की भयंकर विभीषिका से जूझ रहा है। समूचा देश जुलाई 2019 से आग की चपेट में हैं।

Update:2020-01-07 16:45 IST

नीलमणिलाल

कैनबरा: आस्ट्रेलिया इन दिनों आग की भयंकर विभीषिका से जूझ रहा है। समूचा देश जुलाई 2019 से आग की चपेट में हैं। दो दर्जन से ज्यादा लोग इस आपदा में मारे जा चुके हैं, हजारों मकान और संपत्तियां राख हो गई हैं, अनगिनत पशु-पक्षी इस आग के शिकार बन चुके हैं। देश की स्कॉट मॉरिसन सरकार इस आफत के सामने बेबस नजर आ रही है।

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आस्ट्रेलिया में लगातार सूखे और गर्म मौसम के कारण जंगलों में आग लगी है और बढ़ती ही जा रही है। झाडिय़ों वाले क्षेत्र, जंगल, नेशनल पार्क सब आग की चपेट में हैं। मेलबर्न और सिडनी जैसे बड़े शहर भी अछूते नहीं हैं। आग के कारण पूरे देश की हवा गंभीर रूप से खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है। हर जगह आसमान नारंगी रंग का दिख रहा है, न्यूजीलैंड तक धुंआ और रख फैल चुकी है। पहाड़ों पर ग्लेशियर धुंए की वजह से नारंगी रंग के हो गए हैं।

बहुत से लोगों का तर्क है कि ये सब क्लाइमेट चेंज का नतीजा है। वैसे तो देश के सभी प्रांत आग की चपेट में हैं लेकिन सबसे ज्यादा प्रभावित न्यू साउथ वेल्स प्रांत है जहां 146 से ज्यादा जगहों पर आग धधक रही है।

क्या है वजह

आस्ट्रेलिया में हर साल गर्मियों में आग का मौसम रहता है। गर्म और शुष्क मौसम के कारण आग आसानी से लगती है और आनन फानन में फैल जाती है। आग के लिए आमतौर पर प्राकृतिक कारणों को दोषी ठहराया जाता है। सूखा प्रभावित जंगलों में आसमानी बिजली इसमें सबसे आम है। दिसम्बर के महीने में विक्टोरिया प्रांत के ईस्ट गिप्सलैंड क्षेत्र में कई जगह आग लगने के पीछे ‘ड्राई लाइटिंग’ यानी बिना बरसात की आसमानी बिजली थी। बिजली गिरने से लगी आग मात्र पांच घंटे में 20 किलोमीटर दूर तक फैल गई।

वैसे, आग के लिए इंसान भी जिम्मेदार हैं। नवम्बर में न्यू साउथ वेल्स फायर सर्विस ने 19 वर्षीय युवक को आगजनी के लिए गिरफ्तार किया। उस पर छह हफ्ते में सात जगह जानबूझ कर आग लगाने का आरोप लगाया गया है।

गंभीर नतीजे

आस्ट्रेलिया में आग का मौसम हमेशा से खतरनाक रहा है। 2009 में विक्टोरिया में आग से 173 लोग मारे गए थे। ये अब तक की सबसे बड़ी आपदा थी। लेकिन इस साल हालात असामान्य रूप से खराब हैं। आस्ट्रेलिया में कई दशकों का सबसे तीव्र सूखा है। दिसम्बर में रिकार्डतोड़ गर्म हवाएं चलीं जिस दौरान कुछ जगहों पर तापमान 40 डिग्री सेल्यिस से ऊपर बना रहा। गर्मी और ऊपर से तेज हवाओं के कारण आग और धुंआ तेज रफ्तार से फैलता है।

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क्लाईमेट चेंज

विशेषज्ञों का कहना है कि क्लाईमेट चेंज के कारण आग और बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाओं की तीव्रता और प्रभाव कई गुना बढ़ गया है। मौसम बद से बदतर होते जा रहे हैं। आग के सीजन की अवधि बढ़ती जा रही है। न्यू साउथ वेल्स फायर डिपार्टमेंट के पूर्व आयुक्त समेत आपात सेवाओं के शीर्ष अधिकारियों ने 2019 में प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन को आस्ट्रेलिया पर क्लाईमेट चेंज के असर को लेकर चेताया था। इसके जवाब में मॉरिसन ने कार्बन उत्सर्जन को घटाने के संकल्प पर जोर दिया था। लेकिन उन्होंने ये भी कहा था कि आग से बचाव के लिए कोई एक नीति नहीं हो सकती है।

भीषण नुकसान

आग की भयावहता का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि पूरे के पूरे कस्बे खाक हो चुके हैं। देश के सबसे ज्यादा आबादी वाले राज्य न्यू साउथ वेल्स में 1588 मकान नष्टï हो गए और 650 से ज्यादा को नुकसान पहुंचा है। इस राज्य में 49 लाख हेक्टेयर जमीन पर आग फैली है।

कुल मिला कर आस्ट्रेलिया के छह राज्यों में 80 लाख हेक्टेयर जमीन आग की चपेट में है। ये बेल्जियम और डेनमार्क के बराबर का भूभाग है।

तुलना करें तो 2019 में ब्राजील के अमेजन के जंगलों में आग ७० लाख हेक्टेयर में फैली थी। जंगल की घातक आग के लिए कुख्यात कैलीफोर्निया (अमेरिका) में 2019 में एक लाख हेक्टेयर में आग लगी थी जबकि 2018 में ये 4 लाख हेक्टेयर थी। इस साल आग लगने का मौसम हर साल के मुकाबले जल्दी शुरू हो गया। इसके पहले लगभग तीन साल तक सूखा पड़ने की वजह से देश के ज्यादातर इलाकों में झाडिय़ों वाले इलाके सूखे पड़े हुए हैं जिनमें आग लगने की ज्यादा संभावना रहती है।

पशुओं का संहार

आग का सबसे बुरा असर बेजुबान जानवरों पर पड़ा है जो भाग कर कहीं जा न सके और जिंदा जल कर खाक हो गए। अनुमान है कि न्यू साउथ वेल्स में 50 करोड़ से ज्यादा पशु आग से प्रभावित हुए हैं। इनमें लाखों की मौत हो जाने की आशंका है। सिडनी विश्वविद्यालय के पर्यावरणविदों का कहना है कि देश भर में आग से 100 करोड़ से ज्यादा पशु जल कर मर गए होंगे। न्यू साउथ वेल्स में आग की चपेट में आए जिन पशुओं के बारे में अनुमान लगाया जा रहा है उनमें स्तनपाई, पक्षी और सरीसृप यानी रेंगने वाले जीव शामिल हैं। लेकिन कीट, पतंगों, चमगादड़ों और मेढकों की कोई गिनती ही नहीं है। न्यू साउथ वेल्स में कोआला नामक पशु की एक तिहाई आबादी खाक हो जाने की आशंका है।

कब बुझेगी आग

सबसे दुखद बात ये है कि आस्ट्रेलिया में अब गर्मी का मौसम शुरू होने वाला है। जनवरी-फरवरी में यहां सबसे ऊंचा तापमान होता है। यानी देश को अभी राहत मिलने में कई महीने लग सकते हैं। आग का सिलसिला पूरी तरह खत्म होने से रहा क्योंकि ये सालाना घटनाएं हैं और जो ट्रेंड है उससे हालात आने वाले समय में और खराब होने वाले हैं।

संकट में मदद

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन आग से देश में हुई तबाही से उबरने के लिए एक अरब चालीस करोड़ अमेरिकी डॉलर की धनराशि की घोषणा की है। ये धनराशि इसी उद्देश्य के लिए गठित की गई एक नई संस्था नेशनल बुशफायर रिकवरी एजेंसी को दी जाएगी। प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा, ‘यहां हमारा ध्यान केंद्रित है इंसानी जिंदगी की कीमत और लोगों की जिंदगियों को फिर से खड़ा करने की कीमत पर।’

आपातकाल सुविधाओं की मंत्री लीसा नेविल ने बताया कि करीब 67 हजार लोग या तो आग से ग्रसित इलाकों से निकल गए हैं या निकाल लिए गए हैं।

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पीएम की आलोचना

प्रधानमंत्री मॉरिसन ने जिस तरह से इस संकट का सामना किया है उसकी लगातार आलोचना हो रही है। सरकार के समर्थक के रूप में देखे जाने वाले रुपर्ट मर्डोक के अखबार ‘द ऑस्ट्रेलियन’ के राष्ट्रीय मामलों के संपादक ने एक लेख में लिखा, ‘कमजोर राजनीतिक विवेक एक चीज है। योग्यता बिलकुल ही अलग चीज है। यह राजनीतिक रूप से एक खतरनाक क्षेत्र है जिससे मॉरिसन बचना चाहते हैं।’

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