भारत-बांग्ला प्रेमालापः कारण और महत्व गिना रहे डॉ वेदप्रताप वैदिक

Indo-Bangla courtship: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के प्रति प्रारंभ से ही स्नेहपूर्ण रवैया अपनाया है। प्राकृतिक संकट में जो मदद की थी, उसे बांग्ला जनता याद करती है।

Written By :  Dr. Ved Pratap Vaidik
Update:2022-09-08 09:11 IST

Sheikh Haseena- Narendra Modi (Social Media)

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बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की वर्तमान भारत-यात्रा का महत्व क्या हमारे पड़ौसी देश समझ पा रहे हैं? पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल और मालदीव में जैसी अफरा-तफरी आजकल मची हुई है, ऐसी पिछले 75 साल में कभी नहीं मची। ये सभी भारत के पड़ौसी देश चीन के चक्रव्यूह में फंसकर गदगद थे। किसी देश में चीन बंदरगाह बना रहा है, किसी में हवाई अड्डे बना रहा है, किसी में सड़कें, रेलें और पुल बन रहे हैं और कहीं चीन लंबी अवधि के लिए द्वीप के द्वीप लीज पर लेकर सैनिक अड्डे खड़े कर रहा है लेकिन कुछ ही वर्षो में हमारे इन पड़ौसी देशों को पता चल गया है कि वे चीनी कर्जे के बोझ के नीचे दबते चले जा रहे हैं और ठोस उपलब्धि के नाम पर शून्य नजर आ रहा है। यों तो बांग्लादेश की स्थिति अन्य पड़ौसियों के मुकाबले बेहतर है और शेख हसीना के शासन-काल में उसकी सर्वविध उन्नति भी काफी हुई है लेकिन बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था भी डगमगाने लगी है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के आगे झोली फैलाने की नौबत अब बांग्लादेश पर भी आन पड़ी है।

हसीना सरकार के विरोधी उस पर जमकर हमला बोल रहे हैं। प्रदर्शनों, जुलूसों और हड़तालों का दौरदौरा शुरु हो गया है। ऐसे विकट समय में प्रधानमंत्री शेख हसीना की भारत-यात्रा का महत्व अपने आप असाधारण बन जाता है। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बांग्लादेश के प्रति प्रारंभ से ही अत्यंत स्नेहपूर्ण रवैया अपनाया है। उन्होंने प्राकृतिक संकट का मुकाबला करने के लिए बांग्लादेश की जो मदद प्रधानमंत्री बनते से ही की थी, उसे बांग्ला जनता अभी तक याद करती है।

शेख हसीना की इस भारत-यात्रा के दौरान कुशियारा नदी के बारे में जो समझौता हुआ है, उससे दोनों देशों को लाभ होगा! तीस्ता नदी के बारे में भी रचनात्मक संकेत दोनों तरफ से मिले हैं। बांग्लादेश और भारत के बीच छोटी-मोटी 54 नदियां हैं। दोनों देशों के बीच 4000 किमी की सीमा है। बांग्लादेश आजकल ब्रिटेन की तरह भयंकर ऊर्जा-संकट से गुजर रहा है। दो बिलियन डाॅलर की लागत से खुलना में बननेवाले बिजलीघर का दोनों नेताओं ने उदघाटन भी किया। इसमें भारत 1.6 बिलियन डाॅलर लगाएगा। इसके अलावा बांग्लादेश की रेल्वे और सड़कों के निर्माण में भी भारत जमकर मदद करेगा। भारत लगभग 500 मिलियन डाॅलर की मदद प्रतिरक्षा उपकरणों के लिए भी दे रहा है। बांग्लादेश को भारत तरह-तरह की फौजी सामान देने में भी सक्रिय सहयोग कर रहा है। इस समय भारत का पूरे दक्षिण एशिया में सबसे ज्यादा व्यापार बांग्लादेश के साथ है। पिछले साल आपसी व्यापार सिर्फ 10.78 बिलियल डाॅलर का था। इस साल वह 44 प्रतिशत बढ़कर 18.13 बिलियन डाॅलर का हो गया है। दोनों देश मिलकर अब एक वृहद व्यापार समझौते की तैयारी भी कर रहे हैं। दोनों देश आतंकवाद के खिलाफ भी कटिबद्ध हैं। शेख हसीना को अपने सांप्रदायिक तत्वों के साथ जरा सख्ती बरतने की भी जरुरत है। यदि मोदी इस बात पर भी जोर देते तो अच्छा रहता।

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