Modi Biden Meeting: मोदी-बाइडेन सार्थक संवाद
Pm modi Joe Biden meeting: भारत ने यूक्रेन के बूचा नामक शहर में हुए नर-संहार की जांच की मांग भी की है। बाइडेन और मोदी के संवाद में यह मामला भी उठा।
Pm modi Joe Biden meeting: जब से रूस और यूक्रेन का युद्ध (Russia Ukraine War) चला है, मैं बराबर लिखता रहा हूं कि इस मामले में भारत (India) सर्वश्रेष्ठ मध्यस्थ हो सकता है, क्योंकि अमेरिका, रूस और यूक्रेन, तीनों से उसके संबंध उत्तम हैं। मुझे खुशी है कि हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन (Joe Biden) से बात करके उन्हें प्रेरित किया कि वे व्लादिमीर पूतिन से सीधे बात करें और इस युद्ध को शांत करें। बेहतर होता कि मोदी सीधे ही खुद मध्यस्थ की भूमिका निभाते।
वह यह काम अभी भी कर सकते हैं। ऐसा प्रयत्न फ्रांस, जर्मनी और ब्रिटेन के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री कर चुके हैं लेकिन उनकी एक सीमा है। वह है, उनका अमेरिका और नाटोवाला संबंध! उनका तो अपना स्वार्थ भी अटका हुआ है। वे रूस के तेल और गैस पर निर्भर हैं। भारत की ऐसी कोई मजबूरी नहीं है। भारत रूस से शस्त्र जरुर खरीदता है लेकिन रूस को पता है कि भारत चाहे तो वह उन्हें किसी भी अन्य देश से खरीद सकता है। जब रूस भारत को सस्ता तेल भेजने लगा तो अमेरिका चिढ़ने लगा। उसके एक अफसर ने भारत आकर धमकी भी दे डाली कि इसके परिणाम अच्छे नहीं होंगे।
बाइडन और पीएम मोदी के संवाद
भारत की तटस्थता पर टिप्पणी करते हुए बाइडेन भी बोल पड़े कि चौगुटे के देशों में भारत ही ऐसा है, जो रूस का विरोध करने में ज़रा ढीला है। लेकिन अमेरिका को पता है कि भारत के प्रतिनिधि ने संयुक्तराष्ट्र संघ में दर्जनों बार साफ़-साफ़ कहा है कि यह युद्ध तुरंत रूकना चाहिए और किसी भी राष्ट्र की संप्रभुता और स्वतंत्रता पर आंच नहीं आनी चाहिए। भारत ने यूक्रेन के बूचा नामक शहर में हुए नर-संहार की जांच की मांग भी की है। बाइडन और मोदी के संवाद में यह मामला भी उठा। मोदी ने पूतिन से भी कहा था कि वे झेलेंस्की से सीधे बात क्यों नहीं करते? भारत ने यूक्रेन को पहले भी अनाज और दवाइयां भिजवाई थीं और अब भी भेजने की घोषणा की है। भारत के रक्षा मंत्री और विदेश मंत्री इस समय अमेरिका में अपने समकक्षों से संवाद कर रहे है तो भारत रूस से पिछले एक माह में इतना तेल आयात कर चुका है, जितना कि वह पिछले एक साल में भी नहीं कर सका था। यह तेल उसे सस्ते दामों पर मिल रहा है। अमेरिका और यूरोपीय राष्ट्र भारत की इस नीति की आलोचना कैसे कर सकते हैं, क्योंकि यूरोपीय राष्ट्रों ने अपना रूसी तेल का आयात अभी तक ज्यों का त्यों रखा हुआ है। मोदी और बाइडन के सीधे संवाद में भारत-अमेरिका सहयोग के कई अन्य आयामों पर भी सार्थक चर्चा हुई। चीन की चुनौती का सामना करने में अमेरिका हमेशा भारत का साथ देगा, यह अमेरिका रक्षा मंत्री लाॅयड आस्टिन ने हमारे रक्षा मंत्री राजनाथ को आश्वस्त किया है। भारत की विदेश नीति में यदि थोड़ी सक्रियता और पहल की क्षमता अधिक होती तो विश्व राजनीति में आज उसका स्थान अनुपम बन सकता था।