स्वस्थ जीवन शैली से कैंसर के ज़ोखिम को कम करे
एक अनुमान के मुताबिक वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष 9.6 मिलेनियम लोग कैंसर से मर जाते हैं |एक अनुमान के हिसाब से वर्ष 2030 तक इस संख्या में लगभग दोगुनी होने का अनुमान है।
राजीव गुप्ता जनस्नेही
चिकित्सा विज्ञान ने आने वाली बीमारी को हर लिया है फिर भी विश्व में कैंसर एक दूसरी ऐसी बीमारी ,है जिसमें सबसे ज्यादा लोगों की मृत्यु होती है| विश्व में इस बीमारी कैंसर से होने वाले नुकसान के बारे में बताना और लोगों को अधिक से अधिक जागरूक करने के उद्देश्य वर्ष 2000 को पेरिस में न्यू मिलेनियम के लिए कैंसर के खिलाफ विश्व शिखर सम्मेलन में पेरिस चार्टर द्वारा 4 फरवरी को विश्व कैंसर दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया ।
प्रतिवर्ष 9.6 मिलेनियम लोग मरते है कैंसर
एक अनुमान के मुताबिक वैश्विक स्तर पर प्रतिवर्ष 9.6 मिलेनियम लोग कैंसर से मर जाते हैं |एक अनुमान के हिसाब से वर्ष 2030 तक इस संख्या में लगभग दोगुनी होने का अनुमान है। अमूमन हम यह मानते हैं कि शराब ,सिगरेट, तंबाकू या नशीली पदार्थों का प्रयोग करने से कैंसर की चपेट में ज़्यादातर मरीज आ जाते हैं ,नशीले पदार्थों की वजह से कैंसर के मरीजों की संख्या निश्चित रूप से अत्यधिक होती है परंतु अन्य कारणों से भी जैसे पौष्टिक आहार का ना लेना ,प्रदूषण ,कैंसर का खतरा बढ़ाने वाली संक्रमण से ,किसी भी चोट को लापरवाही में लेना ,मोटापा ,स्वस्थ्य दिनचर्या ना होना ,दूषित पेयजल लेना ,व्यायाम ना करना आदि अनेक ऐसे कारक हैं जो महिला और पुरुष दोनों के शरीर में यह घातक बीमारी जन्म ले लेती है।
71 फ़ीसदी फेफड़े व मुंह के कैंसर
तंबाकू (नशीले पदार्थ )उपभोग से 71 फ़ीसदी फेफड़े व मुंह के कैंसर हो जाता है| इस तरह के कैंसर से कम से कम 22% मृत्यु के लिए उत्तरदाई होते हैं| शुरुआती दौर में अगर हम इसका उपचार कर लेते हैं तो एक तिहाई सामान्य कैंसर का हम उपचार करके स्वस्थ जीवन जी सकते हैं| हमें अपनी जीवनशैली ,खानपान में सावधानी बरतनी चाहिए साथ ही नशीली पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए।
भारत में 5 सबसे अधिक होने वाले कैंसर
पुरुषों में सबसे सामान्य प्रकार के कैंसर- फेफड़े, प्रसटैट, कोलोरेक्टल (पेट के कैंसर या बड़ी आंत्र के कैंसर को कोलोरेक्टल कैंसर कहा जाता है), अमाशय और यकृत कैंसर हैं तथा महिलाओं में सबसे सामान्य प्रकार के कैंसर- स्तन, कोलोरेक्टल, फेफड़े, गर्भाशय ग्रीवा और थायरॉयड कैंसर हैं। भारत में पांच सबसे अधिक होने वाले कैंसर- स्तन कैंसर, सर्वाइकल कैंसर या ग्रीवा का कैंसर, मुंह का कैंसर, फेफड़े और कोलोरेक्टल कैंसर हैं।
‘मैं हूं और मैं करूंगा’
सोसायटी द्वारा वर्ष 2019 से 2021 का 3 साल के लिए मैं हूं और मैं करूंगा * अभियान की शुरुआत के लिए चिह्नित किया गया। मैं हूं और मैं करूंगा * व्यक्तिगत प्रतिबद्धता तथा भविष्य को प्रभावित करने के लिए कार्य व्यक्तिगत करेंगे। आप मैं स्वयं अपने प्रिय जनों और दुनिया के लिए कैंसर के प्रभाव को कम करने की शक्ति को उत्पन्न करके समाज के हर व्यक्ति के लिए प्रतिबंधित होने का समय है।
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लक्षणों को सामाजिक तौर पर प्रचारित करें
हमें इसके होने वाले लक्षणों को सामाजिक तौर पर प्रचारित करना चाहिए जैसे स्तन में नई गांठ या बदलाव होना ,आंत्र या मूत्राशय की आदतों में परिवर्तन,कोई खराश जो कि ठीक नहीं हो रही है ,शरीर से असमान्य रक्तस्राव या डिस्चार्ज ,वजन में बिना किसी कारण के वृद्धि या कमी ,निगलते समय कठिनाई होना,मस्से या तिल में प्रयत्क्ष परिवर्तन,लगातार स्वर बैठना या खाँसी का ना जाना व्यक्तिगत तौर पर हमें इन लक्षणों पर ध्यान करते रहना चाहिए।
कैंसर का इलाज बहुत कष्टदायक
हम सभी जानते हैं इस बीमारी से मरीज तो परेशान होता ही है क्योंकि इसका इलाज बहुत कष्टदायक होता है साथ में इलाज खर्चीला व लंबा होता है इसलिए परिवार जनों को भी अपने पैसे और स्वास्थ्य से हाथ धोना पड़ता है। इसलिए 2019 से 2021 तक के नारे को हमें मैं हूं और मैं करूंगा का पालन करते हुए ऊपर लिखे हुए लक्षणों पर ध्यान देना चाहिए तथा व्यक्तिगत तौर पर हमें पौष्टिक आहार ,नियमित व्यायाम, वजन को ना बढ़ने देना चाहिए सुरक्षित यौन पद्धति अपनाएं ,नशीली पदार्थों का एकदम उपयोग बंद कर देना चाहिए ,महिलाओ में बढ़ते नशे की प्रवत्ति पर भी लगाम लगानी चाहिए ,एचपीवी और हेपिटाइटिस बी वायरस के खिलाफ टीकाकरण कराना चाहिए। अपने आसपास के वातावरण को शुद्ध रखना चाहिए|
प्लास्टिक के पदार्थों का कम उपयोग करें
जितना संभव हो प्लास्टिक के पदार्थों का कम उपयोग करना चाहिए एक बात और विशेष चीज का ध्यान रखना चाहिए मरीज की अपनी इच्छा शक्ति और उसके आसपास की व्यक्तिगत माहौल को हमेशा मनोबल व सहयोग देते हुए मनोबल बढ़ाना चाहिए| मरीज के स्वयं के मनोबल से इस बीमारी पर जीत पाना बहुत आसान होता है ओर वो हमारे साथ होगा।
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राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन
ध्यान दे सरकार द्वारा मुख्य गैर संचारी रोग (एनसीडी) रोकने और नियंत्रित करने के लिए राष्ट्री य कैंसर, मधुमेह, हृदयवाहिका रोग और आघात रोकथाम एवं नियंत्रण कार्यक्रम (एनपीसीडीसीएस) वर्ष 2010 में शुरू किया गया था। राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के तहत मधुमेह, उच्च रक्तचाप और कैंसर जैसे सामान्य एनसीडी की जनसंख्या आधारित जांच की जा रही है।इसकी भाह्यव को देखते हुए विश्व अनेक सामाजिक संगठन समय समय रैली नुक्कड़ नाटक कैम्प लगाकर जागरूक व जाँच करते हैं।गुलाबी ,काला,पीला,बैंगनी,बरगंडी चेतीं,हरा ,ग्रे सफ़ेद ,नीले रंग के रिबन कैंसर के अलग-अलग प्रकारों के लिए अलग तरह का रिबन होते हैं ।
विश्व कैंसर दिवस
आज विश्व कैंसर दिवस पर मैं सभी पाठकों से निवेदन करूंगा की ऊपर बताए गए लक्षणों पर ऑर सावधानियों के साथ नशीली पदार्थों का सेवन ना करके खुद को व दूसरों को भी करने से रोकना है तभी आज के दिन की सही सार्थकता होगी| तभी हम कैन्सर जैसी घातक बीमारी पर जीत पा पाएँगे।
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