नई दिल्ली : बीजेपी में जबतक अटल युग रहा लालकृष्ण आडवाणी सर्वशक्तिमान बने रहे। पूर्व पीएम अटल भी उनकी नाराजगी से डरते थे, इसका नतीजा यह रहा की लालकृष्ण के आसपास भीड़ नजर आती रहती थी। अटल ने स्वास्थ्य कारणों से सक्रियता क्या त्यागी, बेचारे बन कर रह गए हैं लालकृष्ण ,कोई उनकी सुनता ही नहीं या ये कहें सुनना चाहता नहीं। तभी तो जब संसद नहीं चली तो उन्होने लोकसभा के भीतर कईयों को फटकार लगाने की कोशिश की लेकिन नजारा ये रहा कि किसी ने उनको सीरियसली लिया ही नहीं।
पहले लालकृष्ण ने संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार और फिर स्पीकर सुमित्रा महाजन को खरी-खरी सुना दी कि थोड़े से विपक्ष के लोग आकर सदन कैसे बाधित कर पा रहे हैं।
सूत्रों के मुताबिक बाद में जब लालकृष्ण को समझ में आया कि पार्टी में उनकी इस फटकार के बाद उनके लिए मुसीबत खड़ी होने वाली है, तो उन्होंने पहले अनंत कुमार को फोन कर सफाई दी, कि वो गतिरोध के खिलाफ बोले थे न कि उनके खिलाफ। इसके बाद वो ताई से मिले, दोनों में क्या बात हुई ये नहीं पता, लेकिन ताई का मूड सही है और लालकृष्ण आश्वस्त।
सूत्र बताते हैं कि सदन के बाहर सांसद ज्योदिरादित्य सिंधिया ने आडवाणी से कहा कि बीजेपी वाले भले हमारी बात न माने लेकिन हम आप की बात मान कर बहस को तो तैयार हैं। इससे पहले सोनिया भी उनसे मिली थीं।
आपको बता दें राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के भाषण को मुद्दा बना राजग सांसद हंगामा कर रहे थे। इस हंगामें से तंग आकर लालकृष्ण नाराज हो गए थे लेकिन उनकी नाराजगी किसी को डरा न सकी।