दंगल के बीच नए साल में अपनी धाकड़ धमक के साथ अखिलेश बने पार्टी के नए 'मुलायम'
बीते कई दिनों से समाजवादी पार्टी में चल रहे दंगल में आखिरकार सत्ता से संगठन तक टीपू ने अपनी धाकड़ धमक का जलवा दिखाया और बता दिया कि वही असली सुल्तान हैं।
लखनऊ: बीते कई दिनों से समाजवादी पार्टी में चल रहे दंगल में आखिरकार सत्ता से संगठन तक टीपू ने अपनी धाकड़ धमक का जलवा दिखाया और बता दिया कि वही असली सुल्तान हैं। नए साल में नए इरादे, नई जिम्मेदारियां, नयी ताकत और नए जोश के साथ अखिलेश यादव पार्टी के नए 'बिग बॉस' बन कर उभरे। इतना ही नहीं समाजवादी पार्टी को 25 साल देने के बाद नेता जी अब पार्टी के संरक्षक बन गए हैं, तो वहीँ अमर सिंह को पार्टी से बाहर निकालकर और शिवपाल यादव से प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी छीनकर समाजवादी पार्टी में नए साल में एक नया इतिहास लिखा गया।
दो दिन पहले जब मुलायम ने अखिलेश और प्रो. राम गोपाल यादव को पार्टी से 6 साल के लिए निष्कासित किया तो यूपी की सत्ता में भूचाल आ गया। हालांकि इसके बाद सियासी शह-मात के खेल में 200 से ज्यादा विधायकों के समर्थन से सीएम अखिलेश अपने पिता और सपा सुप्रीमो पर भारी पड़े। पिता ने भी अपने बेटे का लोहा माना और 24 घंटे के अंदर ही अखिलेश और प्रो. राम गोपाल यादव को पार्टी में वापस ले लिया और अखिलेश ने संगठन में एक नायक की तरह एंट्री मारी।
जिसके बाद नए साल के पहले ही दिन मुलायम सिंह ने प्रदेश की जनता, समाजवादी पार्टी और अपने बेटे अखिलेश को नायब तोहफा दिया। कहीं न कहीं पिता को भी लगने लगा था कि राजनीति में यह परिवर्तन समाजवादी पार्टी के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए अत्यंत जरुरी है।
मुलायम सिंह कई बार कहते रहे हैं कि इमरजेंसी के समय में अमर सिंह ने उनका कंधे से कंधे मिलाकरसाथ दिया। भाई शिवपाल उनके हर मोर्चे में सेनापति के रूप में ढाल बने। बावजूद इसके आखिरकार नेता जी ने समाजवादी पार्टी में अपने मित्र और भाई की बलि देकर बेटे और पार्टी को ऐतिहासिक तोहफा दिया।
इसमें कोई दो राय नहीं है कि अखिलेश को राष्ट्रीय अध्यक्ष की मिली नई जिम्मेदारी के बाद आगामी यूपी विधानसभा चुनाव बेहद दिलचस्प होने वाला है। अखिलेश भी इस नई जिम्मेदारी को लेकर उर्जावान नजर आ रहे हैं और पार्टी में साजिश करने वालों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए तैयार हैं।