असम में कांग्रेस-भाजपा ने झोंकी ताकत, घुसपैठ और सीएए पर बना फोकस
असम में सीधा मुकाबला भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन और कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन के बीच है। दोनों गठबंधन एक-दूसरे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। इस चुनाव को त्रिकोणीय बनाने का काम साल 2019 के नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के दौरान बना गठबंधन कर रहा है।
नीलमणि लाल
गुवाहाटी: असम में चुनाव प्रचार आज उच्चतम लेवल पर पहुंच गया। आज भाजपा की ओर से जेपी नड्डा, और अमित शाह ने रैलियां कीं जबकि दूसरी ओर से तेजस्वी यादव और प्रियंका वाड्रा ने वोट मांगे। अब पहले चरण के चुनाव के अंतिम दौर में असम का चुनाव घुसपैठियों और सीएए के मसले के इर्दगिर्द फोकस हो गया है। भाजपा तो असम में काफी दिनों से सघन प्रचार कर रही है लेकिन कांग्रेस ने आखिरी दौर में ताकत झोंकी है।
भाजपा और कांग्रेस में टक्कर
असम में सीधा मुकाबला भाजपा के नेतृत्व वाले गठबंधन और कांग्रेस के नेतृत्व वाले गठबंधन के बीच है। दोनों गठबंधन एक-दूसरे को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। इस चुनाव को त्रिकोणीय बनाने का काम साल 2019 के नागरिकता संशोधन कानून के विरोध के दौरान बना गठबंधन कर रहा है।
इस पर रहा भाजपा का फोकस
भाजपा का फोकस इस बात पर रहा कि ये चुनाव मुद्दों का चुनाव है, ये चुनाव असम की बढ़ती विकास की कहानी को और आगे बढ़ाने का है। इसलिए अपना-पराया छोड़कर असम के हित में वोटिंग करना है। भाजपा नेताओं ने घुसपैठियों का मसला उठाया और कांग्रेस व एआईयूडीएफ की कड़े शब्दों में आलोचना की। दूसरी ओर प्रियंका और तेजस्वी ने भाजपा पर निशाना साधा और कहा कि उसने लोगों की भलाई के लिए कुछ नहीं किया है।
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अमित शाह ने विपक्ष पर साधा निशाना
बहरहाल, अमित शाह ने आज की सभाओं में कहा कि भाजपा की सर्बानंद सोनेवाल सरकार ने असम के विकास के लिए काम किया, लेकिन कांग्रेस यहां बदरुद्दीन अजमल की के साथ चुनाव मैदान में उतरी है। ये गठबंधन अगर पावर में आता है तो असम में घुसपैठ की घटनाएं बढ़ जाएंगी। कांग्रेस को शर्म आनी चाहिए की उन्हें बदरुद्दीन अजमल के साथ चुनाव लड़ना पड़ रहा है।
BJP सरकार बनने पर घुसपैठियों को कर दिया जाएगा बाहर
गृहमंत्री ने कहा कि विश्व भर के पर्यटक काजीरंगा आ सकते हैं, लेकिन बदरुद्दीन अजमल के घुसपैठियों ने वहां कब्जा जमा रखा था। भाजपा की सरकार बनने के बाद दो दिन के अंदर घुसपैठियों को बाहर कर दिया गया। अमित शाह ने कांग्रेस सांसद राहुल गांधी पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मैं राहुल गांधी से पूछना चाहता हूं कि एक तरफ तो कांग्रेस असम की अस्मिता बचाने की बात करती है और दूसरी तरफ ऐसे व्यक्ति की पार्टी के साथ चुनाव लड़ रही है, जो यहां घुसपैठ को बढ़ावा देता है।
उन्होंने कांग्रेस से सवाल पूछा कि इस तरह कैसे असम की अस्मिता की बचेगी? दूसरी ओर प्रियंका गांधी ने मुख्यमंत्री सर्बदानंद और मंत्री हिमांता बिस्व सरमा की तुलना शकुनी और धृतराष्ट्र से की। प्रियंका गांधी ने कहा कि असम भाजपा में दो गुट है। जैसे महाभारत में शकुनी मामा थे और धृतराष्ट थे, उसी तरह से आज असम की सरकार में एक शकुनी समान नेता है और एक धृतराष्ट्र समान नेता है। दोनों ने असम के लोगों को धोखा दिया है।
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सीएए और भाजपा
कांग्रेस भले ही नागरिकता कानून का मसला उछाल रही है लेकिन ये मसला ऊपरी और मध्य असम में टिकना मुश्किल है। ऊपरी असम में अहोम मतदाताओं की तादाद करीब 14 फीसदी है। अहोम मतदाता लगभग 45 विधानसभा क्षेत्रों पर असर डालते हैं। ऊपरी असम की ज्यादातर सीट पर पहले चरण में चुनाव होने हैं, ऐसे में अहोम मतदाताओं की भूमिका अहम हो जाती है। सीएए का सबसे ज्यादा विरोध भी ऊपरी असम में ही हुआ है। अहोम भी नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ हैं।
ऊपरी और मध्य असम में भाजपा की मजबूत पकड़
ऊपरी और मध्य असम क्षेत्र भाजपा के लिए मजबूत गढ़ माने जा रहे हैं। दूसरी तरफ, प्रदेश में बांग्लाभाषी बहुसंख्यक मतदाताओं की संख्या में भी अच्छी खासी है। बांग्लाभाषी बहुसंख्यक मतदाता सीएए का समर्थन कर रहे हैं। इसकी वजह से ऊपरी और मध्य असम में भाजपा की पकड़ मजबूत हुई है। ऐसे में कांग्रेस रणनीतिकार भी मानते हैं कि एआईयूडीएफ की वजह पार्टी को अहोम मतदाताओं की नाराजगी का शायद पूरा फायदा नहीं मिल पाएगा।
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