असम में मोदी-शाह जल्द फूंकेंगे चुनावी बिगुल, तैयारियों में भाजपा से पिछड़ी कांग्रेस

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के हाल में राज्य के दो दिवसीय दौरे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह का दौरा भी जल्द ही प्रस्तावित है।

Update: 2021-01-14 04:15 GMT
असम में मोदी और शाह जल्द फूंकेंगे चुनावी बिगुल, तैयारियों में भाजपा से पिछड़ी कांग्रेस (PC: social media)

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल के साथ ही असम विधानसभा चुनावों पर भी फोकस कर रखा है। अप्रैल-मई के दौरान प्रस्तावित विधानसभा चुनाव के दौरान पार्टी राज्य की सत्ता को एक और कार्यकाल के लिए अपने हाथ में रखने की कोशिश में जुटी हुई है।

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पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के हाल में राज्य के दो दिवसीय दौरे के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमित शाह का दौरा भी जल्द ही प्रस्तावित है। प्रधानमंत्री मोदी 23 जनवरी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह 24 जनवरी को चुनावी रैलियों के जरिए पार्टी के चुनाव अभियान का श्रीगणेश करेंगे। दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के निधन के बाद कांग्रेस पूरी तरह दिशाहीन दिख रही है।

भाजपा का 100 सीटें जीतने का लक्ष्य

असम में सत्ता में होने के बावजूद भाजपा इस बार विधानसभा चुनाव को लेकर काफी सतर्क है। पार्टी की ओर से 100 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा गया है। पार्टी ने नए सहयोगी खोजने के साथ ही पुराने दोस्तों से भी रिश्ता बरकरार रखा है।

राज्य में प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस की हालत पिछले पांच वर्षों के दौरान और कमजोर हो जाने के कारण भाजपा को इसका सीधा फायदा मिल रहा है। हालांकि अप्रैल-मई में होने वाले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने सबसे ज्यादा ताकत पश्चिम बंगाल में लगा रखी है, लेकिन असम को लेकर भी पार्टी मजबूत तरीके से काम करने में जुटी हुई है।

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बीटीसी चुनाव में कामयाबी से हौसले बुलंद

हाल में बोडोलैंड क्षेत्रीय परिषद (बीटीसी) के चुनाव में नए सहयोगी के साथ मिली कामयाबी के बाद भाजपा के हौसले बुलंद हैं। असम में 2016 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट (बीपीएफ) और असम गण परिषद (एजीपी) के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था मगर बीटीसी चुनाव से पहले उसने बीपीएफ का साथ छोड़ दिया है।

पिछले चुनाव में मिली थी 60 सीटें

पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा को 60, बीपीएफ को 12 और एजीपी को 14 सीटें मिली थीं। भाजपा विधानसभा चुनाव के दौरान इस गठबंधन को बनाए रखना चाहती है। बीडीसी चुनाव के दौरान भाजपा ने बीपीएफ की जगह छात्रनेता से नेता बने प्रमोद बोरो की पार्टी यूनाइटेड पीपुल्स पार्टी लिबरल (यूपीपीसीएल) से दोस्ती की है।

सोनोवाल पर भाजपा का भरोसा कायम

भाजपा को एक बार फिर मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल और हेमंत विस्वसर्मा की जोड़ी पर भरोसा है। इन दोनों नेताओं ने राज्य में एनआरसी के मुद्दे को हावी नहीं होने दिया। भाजपा भी एनआरसी के मुद्दे को लेकर काफी सतर्कता बरत रही है। हालांकि सियासी जानकारों का मानना है कि विधानसभा चुनाव के दौरान यह मुद्दा फिर गरमा सकता है।

पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने हाल में असम का दो दिवसीय दौरा किया था। नड्डा के पूर्व अमित शाह भी पूर्वोत्तर राज्य के दौरे पर पहुंचे थे। नड्डा ने अपने दौरे के दौरान पार्टी की कोर कमेटी चुनाव कमेटी और संगठन के ढांचे को मजबूत करने के लिए तीन बैठकें कीं।

मोदी की चुनावी रैली 23 जनवरी को

इस बीच राज्य में भाजपा के वरिष्ठ नेता और मंत्री हेमंत विस्वसर्मा का कहना है कि नड्डा के दौरे के बाद अब अगले हफ्ते पीएम मोदी और अमित शाह की चुनावी रैलियों से भाजपा चुनावी माहौल को गरमा देगी। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी 23 जनवरी को असम आएंगे जबकि अमित शाह 24 जनवरी को कोकराझार और नलबाड़ी में दो रैलियों को संबोधित करेंगे।

राज्य में पीएम के विस्तृत कार्यक्रम के ब्योरे की प्रतीक्षा की जा रही है। सियासी जानकारों का मानना है कि पीएम मोदी और उत्साह के दौरे के बाद राज्य का चुनावी माहौल और गरमा जाएगा।

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गोगोई के निधन से कांग्रेस पिछड़ी

दूसरी ओर कांग्रेस की चुनावी तैयारियां ठंडी पड़ी हुई है। पार्टी के वरिष्ठ नेता और पूर्व मुख्यमंत्री तरुण गोगोई के निधन से पार्टी की चुनावी तैयारियों को करारा झटका लगा है। तरुण गोगोई भाजपा को हराने के लिए बदरुद्दीन अजमल की एआईयूडीएफ के साथ गठबंधन की वकालत कर रहे थे।

हालांकि कांग्रेस के कुछ नेता इसके खिलाफ हैं। पार्टी के कुछ नेताओं का मानना है कि एआईयूडीएफ एक मुस्लिम केंद्रीय पार्टी है और ऐसे में अगर कांग्रेस एआईयूडीएफ के साथ गठबंधन करती है तो उसे नुकसान उठाना पड़ेगा।

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अजमल से गठबंधन का इसलिए विरोध

पार्टी के कई नेताओं का मानना है कि इस गठजोड़ से पार्टी का अपना हिंदू वोट बैंक तो नाराज होगा ही और इसके साथ ही भाजपा सांप्रदायिक ध्रुवीकरण में कामयाब हो जाएगी।

ऐसे में मुस्लिम वोटों को पाने के चक्कर में कांग्रेस को और ज्यादा नुकसान उठाना पड़ सकता है। अब देखने वाली बात यह होगी कि कांग्रेस हाईकमान राज्य में चुनावी गठबंधन को लेकर आखिर क्या रणनीति अपनाता है।

रिपोर्ट- अंशुमान तिवारी

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