अरुंधती के 'रंगा-बिल्ला' बयान पर बोली BJP, पहले बुद्धिजीवियों का तैयार हो रजिस्टर
नागरिकता संशोधन कानून और एनपीआर पर लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधती राय ने विवादित बयान दिया है। अरुंधती के बयान पर बीजेपी ने तीखा पलटवार किया है।
नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून और एनपीआर पर लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता अरुंधती राय ने विवादित बयान दिया है। अरुंधती के बयान पर बीजेपी ने तीखा पलटवार किया है। अरुंधती राय ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में सीएए विरोधी सभा में एनपीआर को एनआरसी का हिस्सा बताते हुए कहा कि जब सरकारी कर्मचारी जानकारी मांगने आपके घर आएं तो उन्हें अपना नाम रंगा बिल्ला और पता 7 रेस कोर्स रोड बताइए। झूठी जानकारी दीजिए।
अरुंधती के इस बयान को सुब्रमण्यन स्वामी ने इसे देशद्रोह बताया तो वहीं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है कि पहले बुद्धिजीवियों का ही एक रजिस्टर तैयार किया जाना चाहिए।
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बीजेपी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यन स्वामी ने एक निजी चैनल से बात करते हुए कहा कि यह हैरान करने वाला है। यह देशद्रोह है। एनपीआर के लिए सरकार जो डेटा मांग रही है वह वीजा, मास्टर कार्ड, बैंक और अन्य जगहों पर मांगे जाने वाले जरूरी डेटा से कम है।
इस पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि यह अजीब हो सकता है, लेकिन वह इस पर कुछ नहीं कहना चाहते। उन्होंने कहा कि हम लोगों से यही कहना चाहेंगे कि सरकार हो या आम जनता उन्हें संविधान के नियम, कानून के मुताबिक चलना चाहिए।
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बीजेपी के वरिष्ठ नेता शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि अगर यही हमारे देश के बुद्धिजीवी हैं तो पहले हमें ऐसे बुद्धिजीवियों का रजिस्टर बनाना चाहिए। वैसे उन्होंने अपना नाम तो बता ही दिया, साथ में ये भी बता दिया कि उन्हें कंग-फू की भी जानकारी है। शिवराज ने कहा कि अरुंधति जी को शर्म आनी चाहिए। ऐसे बयान देश के साथ विश्वासघात नहीं है तो क्या है?
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अरुंधति रॉय ने कहा कि एनपीआर भी एनआरसी का ही हिस्सा है। एनपीआर के लिए जब सरकारी कर्मचारी जानकारी मांगने आपके घर आएं तो उन्हें अपना नाम रंगा बिल्ला या कुंगफू कुत्ता बताइए। अपने घर का पता देने के बजाए 7 रेस कोर्स रोड (प्रधानमंत्री आवास) लिखाएं। ऐसे ही हम लोग कोई फोन नंबर भी चुन सकते हैं।
जानिए कौन थे रंगा बिल्ला
बता दें कि रंगा और बिल्ला दोनों अपराधी थे। 1978 में दिल्ली में दो भाई-बहन गीता और संजय चोपड़ा की अपहरण के बाद हत्या कर दी थी। इस मामले में रंग्गा और बिल्ला को दोषी ठहराया गया था और इन दोनों को मौत की सजा सुनाई गई थी। बाद में दोनों को 1982 में फांसी दे दी गई।