Lal Krishna Advani: आडवाणी की दरियादिली, खुद को गिरफ्तार करने वाले लालू को भी कर दिया था माफ
ऐसे में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव ने उन्हें बिहार के समस्तीपुर में गिरफ्तार किया तो उन्हें इस बात का भलीभांति अहसास था कि आडवाणी की नाराजगी उन्हें उल्टी पड़ सकती है।
Lal Krishna Advani: भारतीय जनता पार्टी को एक झटके में राष्ट्रीय फलक पर स्थापित करने वाले पार्टी के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने अपने राजनीतिक प्रतिद्वंदियों के साथ कभी शत्रुता का भाव नहीं रखा। रथयात्रा लेकर निकले आडवाणी ने लालू यादव को भी बगैर कोई शिकवा किए तब माफ कर दिया जब लालू ने अपनी राजनीतिक का वास्ता देते हुए उन्हें गिरफ्तार करना मजबूरी बताया।
आडवाणी का राष्ट्रीय राजनीति में कद दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था
कड़क छवि वाले नेता लालकृष्ण आडवाणी में केवल अपनों को ही नहीं परायों को भी माफ करने माद्दा था। रथयात्रा लेकर निकले आडवाणी का राष्ट्रीय राजनीति में कद दिन-प्रतिदिन बढ़ता जा रहा था। वह भाजपा के बहुत बड़े सपने को साकार करने के लिए निकले थे। उनकी रथयात्रा ने उन दिनों भारत के जनमानस पर ऐसा जोरदार प्रभाव छोड़ा था जितना हिन्दू जन जागरण में जुटे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अन्य आनुषांगिक संगठन विहिप और बजरंग दल भी लगातार कई सालों के अपने काम के बावजूद नहीं कर पाए थे।
लालू यादव ने अपने एक साक्षात्कार में खुद बताया
ऐसे में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव ने उन्हें बिहार के समस्तीपुर में गिरफ्तार किया तो उन्हें इस बात का भलीभांति अहसास था कि आडवाणी की नाराजगी उन्हें उल्टी पड़ सकती है। लालू यादव ने अपने एक साक्षात्कार में खुद बताया कि मसनजोर गेस्ट हाउस में आडवाणी के पहुंचते ही उन्होंने फोन कर उनसे बात की और गिरफ्तार करने की मजबूरी बताते हुए अपने किए की माफी मांगी, लालू ने उनसे कहा कि राजनीतिक वजह से ऐसा किया है वह उनके दुश्मन नहीं हैं। आडवाणी जो बाद में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को माफ करने के लिए भी चर्चा में रहे उन्होंने बगैर देर लगाए लालू को माफ कर दिया और कहा कि वह अपनी राजनीति करें। उन्हें कोई शिकायत नहीं है।
आडवाणी को भाजपा में नहीं मिली माफी
अपने राजनीतिक जीवन में विरोधियों की भी गलती माफ करने वाले लालकृष्ण आडवाणी को भाजपा में उनकी ही विचारधारा के समर्थकों ने पिछले 15 साल में कभी माफ नहीं किया। साल 2005 में अपने पाकिस्तान दौरे पर आडवाणी ने मो. अली जिन्ना की जो तारीफ की उसका खामियाजा वह बाकी जिंदगी भरते रहे। कराची में जिन्ना के मकबरे पर पहुंचे आडवाणी ने वहां मौजूद आगंतुक रजिस्टर में लिखा, ऐसे कई लोग हैं जो इतिहास पर अपनी अमिट पहचान छोड़ जाते हैं। लेकिन बहुत कम लोग हैं जो वास्तव में इतिहास बनाते हैं, कायद-ए-आज़म मोहम्मद अली जिन्ना एक ऐसे ही दुर्लभ व्यक्ति थे।
अपने शुरुआती सालों में, भारत की स्वतंत्रता संग्राम की अग्रणी सरोजिनी नायडू ने श्री जिन्ना को 'हिंदू-मुस्लिम एकता के राजदूत' के रूप में वर्णित किया था। 11 अगस्त, 1947 को पाकिस्तान की संविधान सभा को संबोधित करते हुए उनका बयान वास्तव में उत्कृष्ट था, एक धर्मनिरपेक्ष राज्य का सशक्त अनुरक्षण जिसमें, हर नागरिक अपने धर्म का अभ्यास करने के लिए स्वतंत्र होगा, राज्य नागरिकों की आस्थाओं के आधार पर उनके बीच कोई अंतर नहीं करेगा। इस महान व्यक्ति को मेरी आदरणीय श्रद्धांजलि।
आडवाणी की इस टिप्पणी ने उनके पूरे जीवन के काम और निष्ठा को धूल-धूसरित कर दिया
आडवाणी की इस टिप्पणी ने उनके पूरे जीवन के काम और निष्ठा को धूल-धूसरित कर दिया। पिछले सात सालों से भाजपा को केंद्र की कुर्सी मिली हुई है लेकिन आडवाणी का इसमें कहीं हिस्सा नहीं है। हाल यह है कि पिछले सालों में उन्हें देश का राष्ट्रपति बनाए जाने की चर्चा भी हुई लेकिन यह अवसर भी उन्हें नहीं मिला। ऐसे में केवल यही माना जा सकता है कि अपने राजनीतिक विरोधियों को भी माफ करने का साहस रखने वाले और उदारता भाव से संपन्न आडवाणी अपने उन लोगों को भी माफ कर चुके होंगे जो उन्हें उनके राजनीतिक योगदान का हक देने को तैयार नहीं हैं।