मायावती का आरोप, चुनावी हथकंडा है 17 पिछड़ी जातियों को SC में शामिल करने का फैसला

बसपा प्रमुख मायावती ने कहा है कि यह सिर्फ इन वर्गों की आंखों में धूल झोंकने का प्रयास है और खोखला चुनावी हथकण्डा है। इससे वे लोग ओबीसी वर्ग के तहत मिलने वाली आरक्षण की सुविधा से भी वांचित हो जाएंगे, जैसा कि 2005 में मुलायम सिंह यादव की सरकार में हुआ था।

Update:2016-12-22 16:23 IST

लखनऊ: बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती ने सपा सरकार पर अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के यादव समाज को छोड़कर अन्य पिछड़ी जातियों की घोर उपेक्षा व अनदेखी करने का आरोप लगाया है। मायावती ने कैबिनेट में 17 पिछड़ी जातियों को एससी वर्ग में शामिल करने के निर्णय को आंख में धूल झोंकने वाला प्रयास करार दिया है।

चुनावी हथकंडा

-बसपा प्रमुख मायावती ने कहा है कि यह सिर्फ इन वर्गों के लोगों की आंखों में धूल झोंकने का प्रयास है और खोखला व हवाई चुनावी हथकण्डा है।

-मायवती ने कहा कि इनके इस छलावे से ओबीसी वर्ग के लोग गुमराह होने वाले नहीं हैं।

-उन्होंने कहा कि सपा सरकार के इस फैसले से इन वर्गों का फायदा नहीं बल्कि नुकसान ही होने वाला है।

जारी सुविधा भी नहीं मिलेगी

-मयावती ने कहा कि इससे वे लोग ओबीसी वर्ग के तहत मिलने वाली आरक्षण की सुविधा से भी वांचित हो जाएंगे, जैसा कि वर्ष 2005 के अन्त में मुलायम सिंह यादव की सरकार में हुआ था।

-बसपा प्रमुख ने कहा कि कानूनी तौर से यह फैसला एकतरफा है व ग़लत है क्योंकि अनुसूचित जाति की सूची में किसी भी जाति को शामिल करने या हटाने का अधिकार किसी राज्य की विधानसभा या राज्य सरकार के पास नहीं है।

पहले भी छिनी हैं सुविधाएं

-मायावती ने कहा कि इसी कारण मुलायम सिंह यादव ने अक्टूबर 2005 में जब ओबीसी की 17 जातियों को एससी की सूची में शामिल करने का फैसला लिया था, तब वे जातियां न एससी में शामिल हो पायीं और न ही उनका नाम ओबीसी सूची में रह पाया।

-तब इस कारण ये लोग आरक्षण की सुविधा से वंचित हो गए थे और बाद में बसपा सरकार बनने पर इन 17 जातियों की आरक्षण सुविधा को बहाल किया गया था।

किया जा रहा है गुमराह

-साथ ही इन जातियों को एससी का कोटा बढाने की शर्त के साथ सूची में शामिल करने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार के पास भेजा गया था, जो अभी भी लम्बित है।

-इस मामले में सपा सरकार ने अपने शासनकाल के दौरान एक बार भी केन्द्र सरकार पर दबाव नहीं बनाया और इसे नजरअन्दाज किए रही, पर अब चुनाव के समय समाज को गुमराह करने का प्रयास किया जा रहा है।

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