कांग्रेस छोड़ भाजपा की सरकार बनवाने वाले सिंधिया को BJP नाम से एतराज क्यों?
भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कथित तौर पर अपने ‘ट्विटर' अकाउंट से बीजेपी हटा दिया है। इसकी जगह पब्लिक सर्वेंट कर लिया है। कांग्रेस छोड़ने से पहले भी उन्होंने ट्विटर अकाउंट से कांग्रेस हटा दिया था।
नई दिल्ली: भाजपा नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कथित तौर पर अपने ‘ट्विटर' अकाउंट से बीजेपी हटा दिया है। इसकी जगह पब्लिक सर्वेंट कर लिया है। कांग्रेस छोड़ने से पहले भी उन्होंने ट्विटर अकाउंट से कांग्रेस हटा दिया था। इसको लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म है। कुछ लोगों का कहना है कि सिंधिया ने अपने प्रोफाइल में बीजेपी जोड़ा ही नहीं था।
बीजेपी की तरफ से नहीं आई प्रतिक्रिया
दरअसल, मध्य प्रदेश में उपचुनाव होने हैं। जिसकी तैयारियां भी शुरू हो गई हैं। इन सब के बीच ज्योतिरादित्य सिंधिया का अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से बीजेपी शब्द हटाया जाना सियासी गलियारे में चर्चा का विषय बन गया है। वैसे अभी तक भाजपा की ओर से सिंधिया के इस कदम पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।
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बीजेपी क्यों नहीं लिखा, उठे सवाल?
अगर हम सिंधिया की राजनीति को गौर से देखें तो उनका सियासत में अपना एक अलग स्टाइल है। मध्य प्रदेश की राजनीति को करीब से देखने वाले लोग भलीभांति वाकिफ है। वह कब कौन सा कदम उठा लेंगे, उनके करीबियों को भी इसकी भनक नहीं लगती।
अब जबकि सिंधिया ने अपने फेसबुक अकाउंट पर बीजेपी लिखा हुआ शब्द हटा दिया है, ऐसे में उनके गढ़ भोपाल से लेकर दिल्ली में आम है कि आखिर ज्योतिरादित्य सिंधिया के टि्वटर प्रोफाइल में बीजेपी का जिक्र क्यों नहीं है?
कई सवाल उठ रहे हैं कि जिस नेता का खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह सहित पूरी बीजेपी ने पार्टी में आने पर स्वागत किया हो। मध्य प्रदेश में बीजेपी की सत्ता में वापसी हो गई। शिवराज सिंह चौहान चौथी बार मुख्यमंत्री बन गए।
जिसके आने के बाद मध्य प्रदेश की सियासत पूरी तरह बदल गई।
उस नेता ने पार्टी ज्वाइन करने के बाद अपने टि्वटर प्रोफाइल से बीजेपी को दूरी क्यों बनाए रखी है। क्या ये निजी फैसला है या इसके और भी कुछ मायने हैं?
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22 विधायकों संग छोड़ी थी कांग्रेस
यहां आपको ये भी बता दें कि इसके पहले जब सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़ा था, तब उन्होंने अपने बायो से कांग्रेस शब्द को हटा दिया था और बाद में भाजपा का दामन थाम लिया था।
मालूम हो कि उस वक्त सिंधिया के साथ 22 विधायकों ने भी कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था। भाजपा ने सिंधिया को राज्यसभा सांसद का टिकट दे दिया। वहीं जिन विधायकों ने कांग्रेस छोड़ा था, उनमे कमलनाथ मंत्रिमंडल के छह मंत्री भी थे, जिन्हे शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में शामिल किया गया।
अटकलें तेज, भाजपा पर दबाव बना रहे सिंधिया
राजनीतिक गलियारे में चर्चा है कि सिंधिया अपने ज्यादातर समर्थकों को शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार में शामिल करवाना चाहते हैं। वहीं सीएम शिवराज पार्टी और सरकार में भाजपा और बागी विधायकों के बीच संतुलन बनाये रखना चाहते थे। ऐसे में आशंका जताई जा रही है कि सोशल मीडिया से बीजेपी का नाम हटा कर सिंधिया पार्टी पर दबाव बना रहे हैं।
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