राजस्थान : उपचुनाव में बीजेपी की करारी का हार का साइड इफेक्ट गोरखपुर में

Update:2018-02-09 12:15 IST

गोरखपुर: राजस्थान के अजमेर और अलवर लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में भाजपा की करारी का हार का साइड इफेक्ट गोरखपुर में साफ दिख रहा है। राजस्थान के परिणामों का डर ही है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद की छोड़ी गोरखपुर लोकसभा सीट पर पिछले एक पखवाड़े से शीर्षासन करते नजर आ रहे हैं। 22 मार्च से पहले गोरखपुर सीट पर लोकसभा उपचुनाव चुनाव होने की घोषणा के बाद वे अपने गृहजनपद में 800 करोड़ से अधिक लागत की योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास कर चुके हैं। भाजपा संगठन से जुड़े दिग्गज ही नहीं खुद योगी आदित्यनाथ चुनाव में बाधा बनने वाले कील कांटों को दुरुस्त करने के लिए सांसदों और विधायकों के साथ ताबड़तोड़ बैठकें कर रहे हैं।

गोरखपुर संसदीय सीट से पांच बार सांसद रहे योगी आदित्यनाथ को इस सीट के जीत-हार का निहीतार्थ भलीभांति पता है। यही वजह है कि पिछले 29 जनवरी से लेकर 8 फरवरी तक उन्होंने चार दिन गोरखपुर में गुजारा। इस दौरान दस जनसभाएं कर योगी ने विरोधियों को साफ संदेश दिया कि गोरखपुर सीट का उनके लिए क्या महत्व है। 29 और 30 जनवरी को योगी ने गोरखपुर संसदीय सीट के लिए 800 करोड़ से अधिक योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया। इसी क्रम में 4 फरवरी को मुख्यमंत्री ने आचारसंहिता लागू होने से पहले एक बार फिर गोरखपुर यूनिवॢसटी में आयोजित भव्य कार्यक्रम में दिव्यांगों को उपकरण बांटे। इस दौरान 4000 से अधिक दिव्यांगों को करीब तीन करोड़ के उपकरण बांटे गए। 8 फरवरी का दिन भी तोहफों की घोषणा का रहा। तोहफों के क्रम में सवा तीन करोड़ की लागत से नौसढ़-कालेसर तक एलईडी स्ट्रीट लाइट, गीडा के नये भवन और उद्यमियों की सहूलियत के लिए वेबसाइट का लोकार्पण हुआ। इसी क्रम में मुख्यमंत्री ने सहजनवां में पॉलीटेक्निक भवन का शिलान्यास किया।

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पिछले दस दिनों की सक्रियता में मुख्यमंत्री गोरखपुर विस्तार को लेकर भी तमाम घोषणाएं कर चुके हैं। गोरखपुर से पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को जोडऩे की घोषणा नये गोरखपुर की परिकल्पना को दर्शाती है। योगी सपना दिखाते हैं कि खजनी, कम्हरिया घाट पुल होते हुए फोरलेन सडक़ पूर्वांचल एक्सप्रेसवे को गोरखपुर से जोड़ेगी। सडक़ के दोनों तरफ औद्योगिक कॉरीडोर बनेगा और गोरखपुर से लखनऊ की दूरी महज तीन घंटे की रह जाएगी। गोरखपुर विकास को लेकर फिक्रमंद होना लाजमी ही है, लेकिन उपचुनाव के ठीक पहले जिस प्रकार उन्होंने कमोवेश सभी पांच विधानसभाओं में जनसभाएं कर योजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया वह उनकी बेचैनी को दर्शाता है। गोरखपुर संसदीय क्षेत्र के गोरखपुर शहर, ग्रामीण, कैम्पियरगंज, पीपीगंज, चौरीचौरा और सहजनवां में योजनाओं की बारिश को विरोधी चुनाव से जोडक़र देख रहे हैं। मुख्यमंत्री ने पिपराइच में आईटीआई और चीनी मिल, चौरीचौरा में फूडपार्क, सहजनवां में पॉलीटेक्निक, गीडा कार्यालय, गोरखपुर शहर में महेसरा पुल, ग्रामीण में हार्बट बंधा और मलौनी बांध पर फोरलेन सडक़ का तोहफा दिया। इसी क्रम में कैम्पियरगंज में पीपीगंज को ब्लाक बनाने का तोहफा दिया है।

सपा ने खड़े किए सवाल : सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम मुख्यमंत्री के लोकार्पण पर सवाल खड़े करते हुए कहते हैं कि मुख्यमंत्री को खुद की घोषित योजनाओं का लोकार्पण करना चाहिए, लेकिन वह यूपीए और सपा सरकार में शुरू हुए कार्यों का लोकार्पण कर रहे हैं। महेसरा पुल से लेकर लोकाॢपत पेयजल योजनाएं यूपीए सरकार की देन है। वहीं नौसढ़-कालेसर मार्ग पर एलईडी लाइट के लिए भी सपा सरकार ने धन दिया था। जीडीए उपाध्यक्ष ने टेंडर निरस्त कर बरहज के भाजपा विधायक के बेटे को दे दिया। इनता ही नहीं गोरखपुर महोत्सव के आयोजन को भी विरोधी सियासी चश्मे से देख रहे हैं। सपा नेता जियाउल इस्लाम आरोप लगाते हैं कि बॉलीवुड की रंगीनियों के आगे गोरखपुर की लोक संस्कृति को प्रस्तुत करने का दावा कहीं नजर नहीं आया। प्रशासनिक अफसरों ने हर छोटे-बड़े व्यापारियों से वसूली का रिकार्ड बनाया है। कांग्रेस नेता और तमकुही राज से विधायक अजय कुमार उर्फ लल्लू का कहना है कि केन्द्र सरकार के बजट से मिलने वाले दिव्यांगों के उपकरण आमतौर पर सांसद और विधायक बांटते हैं, लेकिन मुख्यमंत्री उपचुनाव की चिंता में खुद ही भव्यता के साथ ऐसा कर रहे हैं। लाखों रुपये खर्च कर दिव्यांगों को उपकरण देना हो या लोकार्पण-शिलान्यास का कार्यक्रम, यह गरीबों के धन की बर्बादी है।

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कई दावेदारों के नाम चर्चा में : लोकसभा चुनाव को लेकर सिर्फ भाजपा और सपा तैयारियों में जुटे हैं। दोनों ने विधानसभावार प्रभारियों की घोषणा कर बूथ लेबल पर तैयारियां तेज कर दी है। हालांकि दोनों दलों ने अभी तक अपने दावेदारों के नाम से पर्दा नहीं हटाया है। गोरखपुर संसदीय सीट पर योगी आदित्यनाथ का उत्तराधिकारी कौन होगा,इसे लेकर सस्पेंस बरकरार है। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री वीर बहादुर सिंह की पुत्रवधू और पूर्व कैबिनेट मंत्री फतेह बहादुर सिंह की पत्नी साधना सिंह, योगी के करीबी और संगठन का काम देख रहे धर्मेन्द्र सिंह और उपेन्द्र दत्त शुक्ला के नामों पर कयासबाजी चल रही है। वहीं एक खेमा बाहरी उम्मीदवारों मसलन फिल्म स्टार रवि किशन के नाम को आगे कर रहा है। उपचुनाव में विपक्ष का संयुक्त प्रत्याशी उतारा जाना लगभग तय माना जा रहा है। पार्टी में पूर्व मंत्री रामभुआल निषाद और पूर्व मंत्री जमुना निषाद के बेटे अमरेन्द्र निषाद के नाम को लेकर चर्चा है। यह भी संभावना बन रही है कि सपा पूर्वांचल में तेजी से उभर से निषाद चेहरे डॉ.संजय निषाद को मैदान में उतार दे।भाजपा और सपा आमने-सामने : लोकसभा उपचुनाव के लिए एक तरफ जहां मुख्यमंत्री गोरखपुर में तोहफों की बारिश कर रहे हैं, वहीं संगठन के नेता भी कमर कसे हुए हैं। भाजपा के रणनीतिकार और वरिष्ठ भाजपा नेता सुनील बंसल ने बीते 31 जनवरी को संसदीय क्षेत्र से जुड़े सभी दिग्गज भाजपाइयों के साथ बैठक कर जीत का मंत्र दिया। वहीं सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम ने भी कार्यकर्ताओं के साथ बैठक कर योगी के गढ़ में ही जीत का दावा किया। प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि पार्टी ने संसदीय क्षेत्र में विधानसभावार एमएलसी सदस्यों को जिम्मेदारी दे दी गयी है। पार्टी बूथ लेबल पर मजबूत है। सपा सरकार के कार्यों का लोकार्पण करने की हकीकत आम लोगों को पता है।

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