गुजरात में भाजपा को लगा तगड़ा झटका, इस दिग्गज नेता ने दिया इस्तीफा

मनसुख वसावा हाल के दिनों में अपने बयानों को लेकर खूब चर्चा में रहे हैं। इससे पहले गुजरात के सीएम विजय रुपाणी को पत्र लिखकर वसावा ने कहा था कि गुजरात में आदिवासी महिलाओं की तस्करी की जा रही है।

Update: 2020-12-29 08:30 GMT
सौदान सिंह को चंडीगढ़ केंद्र का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है। चंडीगढ़ के अलावा इनका विशेष ध्यान हरियाणा, पंजाब और हिमाचल प्रदेश पर भी रहेगा।

भरूच: गुजरात में भारतीय जनता पार्टी(बीजेपी) को तगड़ा झटका लगा है। भरूच से लोकसभा सांसद मनसुख वसावा ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। साथ ही जल्द ही संसद की सदस्यता से भी इस्तीफा देने की बात कही है।

इस बाबत पत्र उन्होंने गुजरात के प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष सी. आर पाटिल को पत्र लिखकर अपने फैसले की जानकारी भी दे दी है। हालांकि पत्र में इस्तीफा के कारणों के बारें में कोई उल्ल्लेख नहीं किया गया है।न ही इस पर कोई बयान आया है।

पत्र में मनसुख वसावा ने लिखा है कि उन्होंने पार्टी के साथ वफ़ादारी निभाई है। साथ ही पार्टी और जिंदगी के सिद्धांत का पालन करने में बहुत सावधानी रखी है, लेकिन आखिरकार मैं एक इंसान हूं और इंसान से गलती हो जाती है। इसलिए मैं पार्टी से इस्तीफा देता हूं। वसावा ने ये भी कहा कि लोकसभा सत्र शुरू होने से पहले वो सांसद पद से भी इस्तीफा दे देंगे।

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गुजरात में भाजपा को लगा तगड़ा झटका, इस दिग्गज नेता ने दिया इस्तीफा (फोटो:सोशल मीडिया)

मनसुख एक आदिवासी नेता हैं और लम्बे समय से इस समुदाय की राजनीति करते आए हैं

बताते चलें कि मनसुख वसावा खुद एक आदिवासी नेता हैं और वो इस समुदाय की लंबे समय से राजनीति करते आए हैं।

मनसुख वसावा हाल के दिनों में अपने बयानों को लेकर खूब चर्चा में रहे हैं। इससे पहले गुजरात के सीएम विजय रुपाणी को पत्र लिखकर वसावा ने कहा था कि गुजरात में आदिवासी महिलाओं की तस्करी की जा रही है। इसके अलावा स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के बारें में उन्होंने पीएम मोदी को भी एक पत्र लिखा था।

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गुजरात में भाजपा को लगा तगड़ा झटका, इस दिग्गज नेता ने दिया इस्तीफा (फोटो:सोशल मीडिया)

पीएम मोदी को भी लिख चुके हैं पत्र

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसी महीने मनसुख वसावा का पीएम मोदी को लिखा गया पत्र सामने आया था। जिसमें मनसुख वसावा ने स्टैच्यू ऑफ यूनिटी के आसपास इको-सेंसेटिव जोन रद्द करने की मांग की थी।

पत्र में अपने इस आवेदन के पीछे मनसुव वसावा ने इलाके के आदिवासी समुदाय के 'विरोध को कम करने' का तर्क दिया था।

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