HC: भड़काऊ बयान देने वाले नेताओं द्वारा चुनाव प्रचार करने पर लग सकती है रोक
याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दलों के नेताओं और वक्ताओं के द्वारा प्रत्याशियों की सहमति से मजहब के नाम पर अपील की जा रही है और बयान जारी किए जा रहे हैं।
लखनऊ: 2014 के आम चुनावों के दौरान बीजेपी के गिरिराज सिंह और सपा के आजम खान पर भड़काऊ भाषण देने के आरेाप में चुनाव आयोग द्वारा उन्हें प्रचार से रोक देने के कदम का हवाला देते हुए शुक्रवार (17 फरवरी) को हाई कोर्ट ने चुनाव आयोग से मौजूदा विधानसभा चुनावों के दौरान उसी प्रकार के मजहबी बयानों से माहौल को भडकाने की कोशिश करने वाले नेताओ के खिलाफ भी कार्यवाही की अपेक्षा की है।
कोर्ट ने आयेाग से सवाल किया कि अगर पीआईएल में दिए गए नेताओं पर भी मजहबी आधार पर बयान देने के आरेाप हैं तो क्यों न आयेाग पहले की तरह कार्यवाही करे। पीआईएल में बसपा के सतीश चंद्र मिश्रा, सपा के आजम खान, बीजेपी योगी आदित्यनाथ और केशव प्रसाद मौर्या समेत मौलाना सैय्यद अहमद बुखारी, खालिद रशीद और कल्बे जव्वाद के कतिपय बयानों का हवाला देकर कहा गया है कि ये नेता फिजा को धार्मिक या जातिगत आधार पर भड़काने की कोशिश कर रहें है।
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यह आदेश जस्टिस एपी साही और जस्टिस संजय हरकौली की बेंच ने अजमल खान की ओर से दायर पीआईएल पर पारित किया। याचिका में कहा गया है कि राजनीतिक दलों के नेताओं और वक्ताओं के द्वारा प्रत्याशियों की सहमति से मजहब के नाम पर अपील की जा रही है और बयान जारी किए जा रहे हैं। तर्क दिया गया कि इस प्रकार की अपीलों से समाज को भारी नुकसान पहुंच रहा है और यह जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा- 123(3) का उल्लंघन भी है।
कोर्ट ने इस पर कहा कि यदि याचिका में लगाए गए आरोप सही हैं तो यह गंभीर मामला है और चुनाव आयोग केा तत्काल इस माहौल पर नियंत्रण के लिए कार्रवाई करना चाहिए।
सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग की ओर से दलील दी गई कि उसने सभी राजनीतिक दलों, प्रत्याशियों और मीडिया को इस संबंध में गाइडलाइंस भेज दिए हैं। जिसमें सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी जिक्र किया गया है।
इस पर याची की ओर से कहा गया कि चुनाव आयोग का कार्य मात्र सूचना देना नहीं है। उसे प्रावधानों का उल्लंघन होने पर कार्रवाई भी करनी चाहिए। याची की ओर से चुनाव आयोग के 11 और 22 अप्रैल 2014 के आदेश भी प्रस्तुत किए गए। जिसमें आयोग ने बीजेपी नेता गिरिराज सिंह और सपा नेता आजम खान के खिलाफ कार्रवाई की थी। बीजेपी नेता अमित शाह को नोटिस भी भेजा था।
जब कोर्ट के सामने मजहबी आधार पर अपील करने पर आयोग की ओर से पूर्व में की गई कार्यवाही का जिक्र किया गया तो कोर्ट ने कहा कि ऐसा आदेश आयोग फिर से क्यों नहीं पास कर रहा है। कोर्ट ने आयोग को इस बाबत कार्यवाही के लिए मौका देते हुए मामले की सुनवाई 21 फरवरी तक टाल दी।