JK Election: महबूबा का बड़ा सियासी दांव, कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा दिए बिना चुनाव न लड़ने का ऐलान

Jammu Kashmir Election : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से हाल में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने वाली महबूबा ने चुनाव पर बड़ा एलान किया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shivani
Update:2021-06-26 12:02 IST

महबूबा मुफ्ती फाइल फोटो

Jammu Kashmir Election:  जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी की मुखिया (PDP Chief) महबूबा मुफ्ती (Mehbooba Mufti) जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली (Article 370) की मांग पर अड़ गई है। उन्होंने से जल्द जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग की है। उन्होंने बड़ा ऐलान करते हुए कहा कि जब तक जम्मू कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा बहाल नहीं किया जाएगा तब तक वे खुद कोई चुनाव नहीं लड़ेंगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से हाल में बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में हिस्सा लेने वाली महबूबा ने कहा के पीएम मोदी दिल्ली और दिलों की दूरी खत्म करने की बात कह रहे हैं नगर राज्य के लोगों के साथ दिल की दूरी कैसे दूर होगी, सबसे पहले इस पर विचार किया जाना चाहिए।

पार्टी के चुनाव लड़ने पर फैसला बाद में

महबूबा मुफ्ती हाल के दिनों में पाकिस्तान का राग अलापती रही हैं। दिल्ली में पीएम की बैठक में हिस्सा लेने से पहले और बाद में महबूबा ने कश्मीर समस्या का समाधान करने के लिए पाकिस्तान से बातचीत शुरू करने की मांग की थी। हालांकि इस मांग को लेकर उनके खिलाफ जम्मू प्रदर्शन भी हुए थे। अब उन्होंने कश्मीर में अनुच्छेद 370 की बहाली तक चुनाव न लड़ने का बड़ा सियासी दांव खेला है।


पीएम मोदी के साथ बैठक में हिस्सा लेने के बाद महबूबा ने कहा कि मैं इस बात को स्पष्ट कर देना चाहती हूं कि मैं केंद्र शासित प्रदेश के तहत कोई चुनाव नहीं लड़ूंगी। वैसे मेरी पार्टी किसी दूसरे को राजनीतिक लाभ उठाने का मौका नहीं देगी। मैंने फैसला अपने बारे में लिया है।

उन्होंने कहा कि मेरी पार्टी ने पिछले साल हुए जिला विकास परिषद के चुनाव लड़े थे। उन्होंने कहा कि अगर सरकार की ओर से विधानसभा चुनाव कराने की घोषणा की जाती है तो हम पार्टी स्तर पर बैठकर इस बारे में अंतिम फैसला करेंगे।

केंद्र सरकार के कदम स्वीकार नहीं

पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के संबंध में 5 अगस्त 2019 को पारित किए गए प्रस्तावों को कतई स्वीकार नहीं किया जा सकता क्योंकि इसके जरिए जम्मू-कश्मीर का विशेष राज्य का दर्जा खत्म कर दिया गया। जम्मू-कश्मीर की समस्या को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार को यहां के लोगों के साथ बेहतर रिश्ता कायम करना होगा।
केंद्रीय नेतृत्व यहां के लोगों का दर्द समझने में अभी तक नाकाम रहा है। यहां के लोगों का दर्द समझने के लिए सबसे पहले पूर्व में जारी दमनकारी आदेशों को वापस लेना होगा। मौजूदा समय में जोर जबर्दस्ती के बल पर जम्मू-कश्मीर की आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है। केंद्र सरकार को पहले इसे खत्म करना होगा।

लोकतंत्र विरोधी काम कर रही सरकार

उन्होंने कहा कि सच्चाई तो यह है कि जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक राज नहीं चल रहा है। किसी भी मुद्दे पर कोई शिकायत दर्ज कराने वाले को हिरासत में डाल दिया जाता है। ट्विटर पर अपनी भावनाओं को व्यक्त करने वाले भी जेल भेज दिए जाते हैं। केंद्र सरकार को ऐसी कार्रवाइयों पर तत्काल रोक लगानी चाहिए और लोगों को खुली हवा में सांस लेने की इजाजत देनी चाहिए।

वैसे महबूबा के पाकिस्तान राग को अन्य नेताओं का समर्थन नहीं मिल रहा है। उनकी ओर से पाकिस्तान से बातचीत शुरू किए जाने की मांग पर नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला ने भी असहमति जताई थी। हालांकि प्रधानमंत्री की ओर से बुलाई गई बैठक के दौरान महबूबा ने इस बाबत कोई बात नहीं कही। पीएम की बैठक में उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों विश्वास बहाली के लिए केंद्र सरकार से कदम उठाने की मांग की थी।
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