तबस्सुम हसन की जीत सिर्फ गठबंधन की जीत नहीं, बंदी दमदार है

Update: 2018-05-31 13:57 GMT
कैराना , नूरपुर - विपक्ष के एकजुट होने से भाजपा के सारे दांव फेल

शामली : कैराना लोकसभा उपचुनाव का परिणाम आने के साथ ही महागठबंधन प्रत्याशी तबस्सुम हसन के समर्थकों में खुशी का माहौल है। इसके बाद अब हम तबस्सुम हसन के बारे में वो सब कुछ बताने वाले हैं जो आपके लिए जरुरी है।

तबस्सुम जिस राजनीतिक परिवार से हैं, उसकी तीसरी पीढ़ी भी राजनीति में उतर चुकी है। तबस्सुम हसन के ससुर चौधरी अख्तर हसन सांसद रह चुके है। उनके पति मुनव्वर हसन कैराना से दो बार विधायक, दो बार सांसद और एक बार विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं। हालांकि हसन का परिवार भी कई राजनीतिक दलों के साथ रहा है, 1984 में चौधरी अख्तर हसन सांसद कांग्रेस सांसद बने थे। उनके बेटे चौधरी मुनव्वर हसन यानी तबस्सुम के पति साल 1991 में कैराना से सांसद चुने गये। इस चुनाव में उन्होंने हुकुम सिंह को हराया था। जिनकी बेटी मृगांका इस बार बीजेपी प्रत्याशी थी।

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साल 2009 में तबस्सुम हसन बीएसपी के टिकट से कैराना लोकसभा सीट जीती थी। साल 2014 में जब हुकुम सिंह सांसद बन गए तो उन्होंने कैराना विधानसभा सीट छोड़ दी। इस पर हुए उपचुनाव में तबस्सुम हसन के बेटे नाहिद हसन ने जीत दर्ज की।

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बात करें तबस्सुम हसन की शिक्षा की तो वह हाईस्कूल तक पढ़ी हैं। इस चुनाव में बीजेपी की प्रत्याशी मृगांका सिंह और आरएलडी प्रत्याशी तबस्सुम हसन दोनों ही सहानुभूति की लहर पर सवार थी। एक ने अपने पिता खोया है तो एक ने पति। तबस्सुम हसन का परिवार गुर्जर से ताल्लुक रखता है। दरअसल पश्चिमी उत्तर प्रदेश में जातिगत समीकरण बहुत ही उलझे हुए हैं। सीधे इस तरह से समझें कि मृगांका सिंह हिंदू गुर्जर हैं तो तबस्सुम हसन मुस्लिम गुर्जर हैं।

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