निकाय चुनाव: साख तराशने में जुटे सियासी दल, जोर आजमाइश शुरू

Update:2017-10-27 17:00 IST

राजकुमार उपाध्याय की रिपोर्ट

लखनऊ। आगामी लोकसभा चुनाव के पहले सियासी दल मतदाताओं के बीच अपनी शक्ल चमकाने में जुटे हैं। उनके लिए निकाय चुनाव साख तराशने का नायाब मौका है। सपा अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के चेहरे को आगे कर पहली बार अपने सिम्बल पर चुनाव में उतरने जा रही है। बसपा कार्यकर्ता पार्टी की परम्परागत चुनावी रणनीति पर आगे बढ़ रहे हैं। आम आदमी पार्टी (आप) का प्रदेश में यह पहला निकाय चुनाव है। उसने आरटीआई को अपना हथियार बनाया है।

सत्ताधारी दल भाजपा को केंद्र और राज्य सरकार की चाल, चरित्र और चेहरे के दम पर वोट मिलने का भरोसा है। जबकि कांग्रेस ने स्थानीय स्तर के वरिष्ठ नेताओं पर विश्वास जताया है। मतदाताओं को रिझाने के लिए सभी दल अपनी-अपनी तरकीबें लगा रहे हैं। जातीय समीकरणों के दांवपेंच की जोर आजमाइश शुरू हो चुकी है।

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भाजपा में दिल्ली मॉडल पर बंटेंगे टिकट

विधानसभा चुनाव के बाद से सुप्त पड़े आईटी सेल को सक्रिय कर भाजपा ने निकाय चुनाव की तैयारियों को अंतिम रूप दे दिया है। पं.दीनदयाल उपाध्याय जन्मशताब्दी समारोह के दौरान चले कार्यक्रमों की वजह से पार्टी बूथ स्तर पर पहले से ही सक्रिय है। इस संरचना को और मजबूत करने के लिए वार्ड संयोजक बनाए गए हैं। इन पदों पर वार्डों के प्रभावशाली लोगों को बिठाया जा रहा है ताकि नये लोगों को पार्टी से जोड़ा जा सके।

बूथ कमेटियों की समस्याओं के निराकरण में भी इनकी भागीदारी होगी। इसके अलावा विधानसभा चुनाव की तर्ज पर इलाकों में एलईडी वैन से प्रचार की तैयारी भी है।इसके जरिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के कामों का प्रचार किया जाएगा। पार्टी में टिकट को लेकर पहले से रणनीति तय हो चुकी है।

दिल्ली मॉडल के आधार पर टिकट बांटे जाएंगे। जिन्हें दो बार पार्षद या मेयर का टिकट दिया जा चुका है, उनका इस बार टिकट कट सकता है। साठ वर्ष की आयु पूरी कर चुके प्रत्याशी भी इस दौड़ से बाहर हो सकते हैं। जातीय समीकरणों को भी साधने की पूरी कोशिश की जा रही है।

सपा में यूथ ब्रिगेड सबसे आगे

सपा के काम बोलता है गाने की धुन पर एक बार फिर सपाई थिरकेंगे। टिकटों की दावेदारी में अखिलेश की यूथ ब्रिगेड सबसे आगे है। वरिष्ठ नेताओं ने पार्षद का टिकट छात्रसभा के युवा नेताओं को देने का मन बनाया है। इसके अलावा उन नेताओं को टिकट देने में तरजीह दी जाएगी जो पार्टी में कम से कम पांच वर्ष से बतौर कार्यकर्ता सक्रिय हैं। अखिलेश सरकार में किए गए विकास के कामों को हथियार बनाकर लोगों के बीच जाने की तैयारी है।

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वार्ड स्तर पर नेताओं को तीन से चार आवश्यक बैठक करने के निर्देश दिए गए हैं। इसके अलावा सपाई स्थानीय स्तर पर भाजपा नेताओं की पोल भी खोलने की कोशिश करेंगे। पहली बार अपने सिम्बल पर निकाय चुनाव में उतर रही सपा ने प्रत्याशियों के चयन के लिए सभी जिलों से संभावित प्रत्याशियों के नामों का पैनल मांगा था। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी का कहना है कि पार्टी मुख्यालय पर चयन समिति की बैठक जल्द होगी। इसमें प्रत्याशियों के नाम

तय होंगे।

बिखरे वोट बैंक को संगठित में जुटी कांग्रेस

निकाय चुनाव में कांग्रेस भी किसी दल से पीछे नहीं है। पार्टी इस चुनाव में आगामी लोकसभा चुनाव के पहले की तैयारियों के लिहाज से उतर रही है ताकि राज्य में दल की सियासी जमीन उपजाऊ हो सके। जातीय समीकरणों को भी साधा जा रहा है। वार्ड स्तर पर पार्टी को मजबूत करने का जिम्मा स्थानीय वरिष्ठ नेताओं को सौंपा जा रहा है। इसमें पूर्व सांसद, पूर्व विधायक, पूर्व प्रत्याशी व पदाधिकारी शामिल हैं। प्रदेश अध्यक्ष राजबब्बर पार्टी मुख्यालय पर मंडलवार संबंधित जिलों के नेताओं के साथ मैराथन बैठक कर रहे हैं।

कांग्रेसी मुख्य तौर पर वार्ड स्तर पर नुक्कड़ सभाएं कर सत्ताधारी दल के नेताओं की पोल खोलने की तैयारी में हैं। प्रदेश अध्यक्ष राज बब्बर के महापौर प्रत्याशियों के पक्ष में रोड शो करने की भी योजना बनायी जा रही है। प्रत्याशियों का टिकट तय करने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। इसमें पूर्व विधायक सतीश अजमानी, प्रदेश उपाध्यक्ष व ट्रेड यूनियन नेता अनुसुइया शर्मा और उप्र युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष नदीम अशरफ जायसी शामिल हैं।

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सभी जिलाध्यक्ष और नगर अध्यक्षों को पत्र लिखकर प्रत्याशियों के तीन नामों का पैनल मांगा गया था। पूर्व विधायक अजमानी का कहना है कि प्रत्याशियों के तीन-तीन नाम के पैनल आ गए हैं। जल्द ही प्रत्याशियों की घोषणा कर

दी जाएगी।

आरटीआई को हथियार बनाएगी आप

आम आदमी पार्टी (आप) निकाय चुनाव में पहली बार दांव लगा रही है। पार्टी 16 नगर निगमों में अपने प्रत्याशी उतारेगी। पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय सिंह, आशुतोष प्रत्याशियों के लिए रैली भी करेंगे। टिकट ऐसे उम्मीदवारों को दिया जाएगा, जिसकी छवि साफ सुथरी हो और वह इलाके का प्रभावशाली व्यक्ति हो। इसकी स्क्रीनिंग चल रही है। इसमें पार्टी से जुड़े प्रोफशनल्स भी उम्मीदवार घोषित हो सकते हैं।

पार्टी ने नगर निगम, नगरपालिका और नगर पंचायतों में सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 (आरटीआई) के तहत करप्शन के कई खुलासे भी किए हैं। आप विरोधी पार्टियों के खिलाफ इसे ही हथियार बनाएगी। नुक्कड़ सभाओं में ऐसी ही आरटीआई को हथियार बनाकर विपक्ष पर वार किया जाएगा।

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बसपा की शहरी जनाधार बढ़ाने की कोशिश

विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद बसपा ग्रामीण इलाकों के साथ शहरी क्षेत्रों में अपना जनाधार बढ़ाने की पुरजोर कोशिश में है। शहरों में संगठन को मजबूत करने पर जोर दिया जा रहा है। ऐसे नेताओं की भी सूची बनायी गयी है जिनकी शहरी क्षेत्रों में अच्छी पकड़ है। पार्टी नेतृत्व ने पदाधिकारियों को उम्मीदवारों के चयन में सतर्कता बरतने व जातीय समीकरण का ध्यान रखने का साफ संदेश दिया है।

बसपा छोडक़र जाने वाले नेताओं के निकटस्थ नेताओं पर निगाह रखने को कहा गया है। निष्कासित या पार्टी छोडक़र जाने वाले नेताओं के सजातीय नेताओं को भी विकल्प के तौर पर तलाशा जा रहा है।

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