सादिया बनीं सबसे कम उम्र की पार्षद, 23 साल में हासिल किया मुकाम

Update: 2017-12-01 16:49 GMT

लखनऊ. अगर खुद में जज्‍बा हो तो सफलता उम्र के किसी भी पड़ाव पर हासिल की जा सकती है। यह कहना है लखनऊ से मात्र 23 साल की उम्र में पार्षद बनीं सादिया रफीक का। सादिया लखनऊ के जोन दो के वार्ड संख्‍या 34 तिलकनगर कुंडरी से पार्षद बनी हैं।इनका कहना है कि उम्र जरूर कम है लेकिन मन में समाज सेवा का भाव है। इसी भाव से समाज में अपना योगदान करने के लिए राजनीति में आई हूं।

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पिता से सीखा राजनीति का ककहरा

निर्दलीय प्रत्‍याशी के तौर पर जीत हासिल करने वाली सादिया रफीक ने बताया कि उन्‍हें पार्षद की सीढी तक पहुंचने का ककहरा उनके पिता रफीक अहमद ने सिखाया है। रफीक अहमद पूर्व पार्षद रह चुके हैं। वह भी निर्दलीय प्रत्‍याशी के तौर पर ही पार्षद पद पर जीते थे। इसके बाद वर्ष 2012 में उनके भाई आदिल को पिता ने समाज सेवा में लगाया। आदिल भी निर्दलीय प्रत्‍याशी के तौर पर जीता। उनके पिता और भाई ने अपने वार्ड में जमकर लोगों के लिए काम किया। सादिया का कहना है कि उनका जोन कट्टर बीजेपी का जोन है, इसके बाद भी निर्दलीय प्रत्‍याशी के रूप में बहुत बड़ा समर्थन मिला है।वह अभी एमिटी यूनिवर्सिटी में मॉस कॉम की छात्रा हैं लेकिन राजनीतिक रूप से सक्रिय रहकर समाज की सेवा करने की इच्‍छा रखती हैं।

वार्ड को तकनीक से जोडेंगी

सादिया रफीक ने बताया कि वह अपने वार्ड में पानी की व्‍यवस्‍था को सही करेंगी। इसके अलावा कूड़ा निस्‍तारण, प्रकाश की व्‍यवस्‍था के अलावा वह अपने वार्ड को डिजिटल रूप से आगे लेकर जाएंगी। वार्ड के निवासियों को तकनीक से जोडेंगी।

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