लखनऊ: अखाड़ा हो या राजनीति, सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव किसी को भी चित करने में माहिर है। सियासत में सही समय पर यू-टर्न लेने के लिए वो जाने जाते है। जिसका एक और उदहारण आज की उनकी प्रेस कांफ्रेंस में देखने को मिला । सोमवार को ये कयास लगाया जा रहे थे कि नेताजी नई पार्टी का ऐलान कर सकते है। लेकिन उन्होंने सभी को चौंकाते हुए अखिलेश को आशीर्वाद दे डाले और कोई भी नई पार्टी बनाने से साफ़ इनकार कर दिया। शायद इस बात की भनक मुलायम के सहारे अपनी सियासी बिसात बिछा कर बैठे शिवपाल को भी लग चुकी थी इसीलिए वो इस प्रेस कांफ्रेंस से नदारद रहे ।
यूपी में जब सभी राजनीतिक दल 2017 के विधान सभा चुनावों की तैयारियों में लगे थे उस समय सपा संरक्षक मुलायम के आँगन में जंग छिड़ी हुई थी। चुनाव ख़त्म हो गया और सपा सत्ता से बाहर हो गयी लेकिन ये जंग अभी भी जारी है । सपा की हालत उस डूबते हुए जहाज जैसी है जिसमे डूबते वक़्त लूटपाट शुरू हो जाती है और उस लूटपाट करने के चक्कर में लोग अपनों से ही दंगल कर बैठते है ।
विधान सभा चुनाव के पहले चाचा भतीजे में शुरू हुई जंग का नतीजा ये रहा कि चाचा शिवपाल को पार्टी से दरकिनार कर दिया गया । उसके बाद मुलायम को भी पार्टी अध्यक्ष से हटाकर सिर्फ संरक्षक के रूप में ही रखा गया । सपा में भविष्य न देख शिवपाल को उम्मीद थी कि वो मुलायम के सहारे ही अपनी आगे की राजनीतिक पारी खेल सकते है । इसी के चलते वो ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ते है जब वो सार्वजानिक स्थलों पर कहते दिखते है कि समाजवादियों को वो एक कर सेक्युलर मोर्चा बनायेंगे जिसके सर्वे-सर्वा मुलायम सिंह यादव होंगे। लेकिन समय बीतते-बीतते शिवपाल मोर्चा के बजाय पार्टी बनाने की बात करने लगे ।
शिवपाल कई बार नेताजी के सहारे अखिलेश को निशाना बना चुके है लेकिन हर बार उन्हें मुंह की ही खानी पड़ रही है। शिवपाल तैयारी पूरी करते है लेकिन मुलायम समय आने पर अखिलेश को आशीर्वाद देकर उल्टा शिवपाल को राजनीतिक मात दे देते है । जिसपर ये सवाल उठना लाज़मी है कि कहीं नेताजी पुत्रमोह में शिवपाल को राजनीति में ठिकाने लगाने का कोई दांव तो नहीं लगा रहे है ।
आज मुलायम सिंह यादव ने एक बार फिर प्रेस कांफ्रेंस की । राजनीतिक गलियारों में यही चर्चा थी कि आज शायद वो कोई बड़ा फैसला ले सकते है । लेकिन जैसे ही वो बोलना शुरू किये सभी कयासों पर पानी फेर दिया । पूरी प्रेस कांफ्रेंस में उन्होंने सूबे की योगी सरकार पर हमले किये । सपा को मजबूत करने की बात कही और अखिलेश को आशीर्वाद दिया । यही नहीं अलग से पार्टी बनाने से भी साफ़ इनकार कर दिया ।
मुलायम ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा कि, अखिलेश मेरे बेटे हैं तो आशीर्वाद रहेगा ही, लेकिन उनके फैसलों से मैं सहमत नहीं हूं। मुलायम के ये बोल काफी थे ये अंदाजा लगाने के लिए कि वो सपा को मजबूत करने की बात कह कर अखिलेश को मजबूत बनाने की बात कर रहे है । शिवपाल के मुलायम के साथ न रहने पर उन्होंने कहा कि वो इटावा में है बल्कि खबर ये थी कि वो लखनऊ में ही थे उन्हें पहले प्रेस में नेताजी के साथ आना था लेकिन वो समझ चुके थे कि नेताजी पुत्र मोह में फंसे है तो वो नहीं गए ।
मुलायम की प्रेस कांफ्रेंस के बाद शिवपाल ने भी मीडिया को बुला लिए लेकिन कुछ समय में ही उन्होंने प्रेस कांफ्रेंस निरस्त कर दी और उसके बाद सोशल मीडिया पर एक प्रेस नोट वायरल होने लगा। कहा जा रहा है कि ये प्रेस नोट शिवपाल ने तैयार किया था और इसी प्रेस नोट को मुलायम प्रेस कांफ्रेंस में बोलने वाले थे लेकिन सियासत में महारथ हासिल किये हुए नेताजी ने मौके पर इसके उलट बयान दे दिया ।
जो पत्र वायरल हुआ है उसमे लिखा है कि ‘पिछले एक वर्ष से लगातार अकारण अपमानित होने के बावजूद पार्टी को एक रहने के लगातार कई प्रयास किये परन्तु प्रदेशीय सम्मेलन में मुझे आमंत्रित तक नहीं करने के कारण अपमानित महसूस कर रहा हूँ जबकि पार्टी की स्थापना वर्ष 1992 में मेरे ही द्वारा की गई थी जो कि देश के समाजवादी आंदोलन का महत्वपूर्ण व प्रमुख भाग रहा है। देश के कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान रखते हुए मैंने फैसला लिया है कि अलग संगठन या दल बनाकर समान विचारधारा वाले लोगों को साथ लेकर अलग राजनैतिक रास्ता बनाया जाएगा, जिसकी रूपरेखा शीघ्रा तैयार की जाएगी। किसानों, बेरोजगारों, मुसलमानों की आवाज कोई नहीं उठा रहा है, इसलिए मजबूर होकर मैं यह निर्णय कर रहा हूँ। '
अब सवाल ये उठता है कि पिछले एक साल से हर मोर्चे पर उनके साथ खड़े रहने वाले शिवपाल जो खुद की राजनीतिक पारी एक नई पार्टी के सहारे खेलना चाह रहे है और उन्हें लग रहा था कि मुलायम भी उनका साथ देंगे तो मुलायम के इस फैसले के बाद अब नेताजी शिवपाल के साथ क्या करना चाह रहे है।