न्यूज़ ट्रैक/अपना भारत का सर्वे: 40.37 फीसदी लोगों की भाजपा अभी भी पसंद

सपा बसपा गठबंधन का एलान भले ही 12 जनवरी को हुआ हो लेकिन जनता पहले से ही इस बात को समझ रही थी कि मायावती और अखिलेश एक हो चुके हैं क्योंकि जब न्यूजट्रैक और अपना भारत ने 15 दिसंबर से दस जनवरी के बीच उत्तर प्रदेश के अलग अलग इलाकों के दस लोकसभा क्षेत्रों में रायशुमारी की तो ज्यादातर लोग सपा बसपा गठबंधन की ही बातें कर रहे थे।

Update: 2019-01-23 16:07 GMT

सपा-बसपा के वोट ट्रांसफर होने की 90 फीसदी उम्मीद

कांग्रेस वोटों के लिहाज से ऊंची छलांग लगाएगी

योगेश मिश्र /संजय सिंह

लखनऊ: सपा बसपा गठबंधन का एलान भले ही 12 जनवरी को हुआ हो लेकिन जनता पहले से ही इस बात को समझ रही थी कि मायावती और अखिलेश एक हो चुके हैं क्योंकि जब न्यूजट्रैक और अपना भारत ने 15 दिसंबर से दस जनवरी के बीच उत्तर प्रदेश के अलग अलग इलाकों के दस लोकसभा क्षेत्रों में रायशुमारी की तो ज्यादातर लोग सपा बसपा गठबंधन की ही बातें कर रहे थे। ग्राउंड जीरो के साथ हर लोक सभा क्षेत्र में दो-दो हजार लोगों से रायशुमारी की गई। इस रायशुमारी में यह पता करना तो मुश्किल था कि किस राजनीतिक दल को कितनी सीटें हासिल होंगी क्योंकि जीत हार कई बार बहुत कम वोटों से होता है।

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हमारे सर्वे का लक्ष्य भी अभी सीटें तय करना नहीं था क्योंकि उत्तर प्रदेश में जिस तरह का ध्रुवीकरण हो रहा है उससे साफ है कि चुनावी नतीजे काफी कुछ उम्मीदवारों पर निर्भर करेंगे। लेकिन सर्वे से यह तथ्य उभर कर आया कि सपा और बसपा के गठबंधन ने भाजपा के लिए दिक्कत खड़ी की है। यह दिक्कत कितनी है यह भी उम्मीदवारों के नाम के बाद पता चलेगी लेकिन यह भी तथ्य हाथ लगा कि सपा और बसपा के जिन पुराने उम्मीद्वारों के टिकट कटेंगे वह खाली बैठने वाले नहीं हैं। वह गठबंधन की हवा निकालने में जुटेंगे या फिर खुद किस्मत आजमाएंगे।

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हालांकि सपा और बसपा के धुर जातीय 90 फीसदी वोट एक दूसरे को ट्रांसफर होंगे। सर्वे के मुताबिक भाजपा को अगले लोकसभा चुनाव में 40.37 फीसदी वोट मिलने की संभावना है यह पिछले बार के लोकसभा चुनाव से तकरीबन दो फीसदी कम है। सपा को लगभग 20%, कांग्रेस को लगभग 18%, बसपा को लगभग 12% मत प्राप्त हो रहे हैं। जबकि लगभग 10% लोग ऐसे हैं जिन्होंने अभी अपनी राय स्पष्ट नहीं की है।

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प्रधानमंत्री के लिहाज से नरेंद्र मोदी 51.46 फीसदी लोगों की पसंद बने हुए हैं जबकि राहुल गांधी को भी 21 फीसदी लोग प्रधानमंत्री के लिए अपनी पसंद बताते हैं अखिलेश को लगभग 11% लोगों ने, सुश्री मायावती को लगभग 8% लोगों ने उपयुक्त बताया।

सर्वे उत्तर प्रदेश के संदर्भ में किया गया था नतीजतन सबसे अधिक भ्रष्ट दल के रूप में लोगों ने भाजपा को बताया, हालांकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को ईमानदार नेता मानने में उन्हें कोई गुरेज नहीं है। सर्वे के दौरान लगभग 28% लोगों ने भाजपा को, कांग्रेस को लगभग 25%, सपा को लगभग 11%, बसपा को लगभग 10% व सभी दलों को लगभग 12% लोगों ने भ्रष्ट दल माना। जबकि लगभग 13% लोग ऐसे रहे जिन्होंने भ्रष्ट दल पर अपनी राय स्पष्ट नहीं की।

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सर्वे में लगभग 26% लोग एस.सी./एस.टी. एक्ट को अच्छा मानते हैं। जबकि लगभग 57% लोग खराब। 17% लोगों ने एस.सी./एस.टी. एक्ट पर अपनी राय स्पष्ट नहीं की।

रायशुमारी शामिल लोगों के लिए खराब सड़कें सबसे बड़ा मुद्दा हैं 15 फीसदी लोग खराब सड़कों का सवाल उठाते हैं जबकि 14 फीसदी लोगों के लिए बड़ा मुद्दा बेरोजगारी है। 12 फीसदी लोगों के लिए भ्रष्टाचार, पेयजल, प्रशासनिक लापरवाही को लगभग आठ-आठ फीसदी, महंगाई को लगभग सात फीसदी, बिजली को लगभग छह फीसदी, सिचाई व कानून व्यवस्था को लगभग चार चार फीसदी लोगों ने सबसे बड़ा मुद्दा माना है।

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न्यूज़ ट्रैक/अपना भारत ने 'ग्राउंड जीरो' के संग यह सर्वे गौतमबुद्ध नगर, फर्रुखाबाद, लालगंज, रोबर्ट्सगंज, जालौन, कैसरगंज, सलेमपुर, कानपुर नगर, बाँदा और हाथरस लोकसभा क्षेत्रों में किया है। सर्वे में इन दस क्षेत्रों में दो-दो हजार लोगों से बातचीत की गयी है।

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इन लोगों से बारह सवाल पूछे गए जिनमें आपके क्षेत्र की सबसे बड़ी समस्या क्या है, इसके लिए आप किसे जिम्मेवार मानते हैं, वर्तमान सांसद के प्रति आपकी क्या राय है, यदि सांसद से असंतुष्ट हैं तो प्रमुख कारण क्या है, क्या आपका सांसद क्षेत्र में सक्रिय भूमिका निभाता है, आपके हिसाब से सबसे भ्रष्ट दल कौन सा है, आप किस आधार पर मतदान कर सकते हैं, आगामी लोकसभा चुनाव में आप किस दल का समर्थन कर सकते हैं, आगामी लोकसभा चुनाव में महागठबंधन की स्थिति बनने पर आप किस दल को समर्थन कर सकते हैं, आपके हिसाब से आपकी लोकसभा के लिए सबसे उपयुक्त सांसद कौन हो सकता है, केंद्र सरकार द्वारा लाये गए संशोधित एस.सी./एस.टी. एक्ट को आप कैसा मानते हैं, आपके हिसाब से देश का अगला प्रधानमंत्री कौन होना चाहिए है?

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