लखनऊ: नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) बिजनौर—उन्नाव—कानपुर तक गंगा के तट के दोनों किनारों से 100मी तक नो कंस्ट्रक्शन जोन घोषित किया है। नदी के दोनों किनारों से 100 मीटर तक किसी भी प्रकार के निर्माण, अतिक्रमण, व्यवसायिक गतिविधि, पट्टे, निलामी, प्रदूषण करने वाली गतिविधियां नहीं हो सकेंगी।
ये महकमे हैं नोडल एजेंसी
इसके लिए सिंचाई और नगर विकास महकमे को नोडल एजेंसी बनाया गया है।
यह जोन फ्लड प्लेन जोन के रूप में ही संरक्षित होगा और पहले से चल रही गतिविधियां बंद होंगी या विस्थापित होंगी। ग्रामीण इलाकों में अतिक्रमण की स्थिति में सम्बंधित अधिशासी अभियन्ता डीएम के माध्यम से कार्यवाही करेंगे। शहरी इलाकों में नगर पालिका अर्बन डेवलपमेंट विभाग/नगर निगम/विकास प्राधिकरण कार्यवाही करेगा।
शासन स्तर पर नो डेवलमेन्ट/नो कंस्ट्रक्शन जोन की निगरानी के लिए हर माह बैठक होगी। सम्बंधित जनपद के जिलाधिकारी, सम्बंधित संगठन के मुख्य अभियन्ता, अर्बन डेवलमेंट विभाग के समकक्ष अधिकारी अतिक्रमण को रोकने/हटवाने के लिए प्रभावी कार्यवाही करेंगे।
सिंचाई महकमे के संबंधित अधिशासी अभियन्ता (नोडल) के किनारों (फ्लड प्लेन जोन) और 100 मीटर की सीमा नक्से पर एवं मौके पर चिन्हित करेंगे। किनारों पर निर्माण के लिए कोई एनओसी नहीं दी जाएगी और न ही भू-मानचित्र स्वीकृति होगा।
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एनजीटी के यह हैं निर्देश
सम्बन्धित एजेंसियां नदियों के नो डेवलपमेंट/नो कंस्ट्रक्शन जोन में अवैध निर्माण तुरन्त हटा ले। अवैध निर्माण के कारण बाढ़ से होने वाली क्षति की पूर्ति शासन द्वारा नहीं की जायेगी। बाढ़ सुरक्षा कार्य नहीं कराये जायेंगे। अवैध निर्माण से होने वाली क्षति की वसूली अवैध निर्माणकर्ताओं से की जायेगी। स्वेच्छा से अतिक्रमण नहीं हटाने पर संबंधित प्राधिकरण या परिषद कार्रवाई करें। एसओ नो कंस्ट्रक्शन जोन में अतिक्रमण पर कार्यवाही करेंगे। अतिक्रमण हटाये जाने के लिए कार्यवाही न करने पर सम्बंधित विभागों के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरूद्ध कठोर दण्डात्मक कार्यवाही की जाए। अतिक्रमणकारियों/अवैध निर्माणकर्ता को राशन कार्ड, बिजली कनेक्शन, पानी कनेक्शन आदि राजकीय सुविधाएं भी न उपलब्ध कराने के निर्देश।