ओवैसी के यूपी में चुनाव लड़ने से बीजेपी के खुश होने की वजह है

ओवैसी की पार्टी से मिली जानकारी के अनुसार एआईएमआईएम विधानसभा की 85 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम मतदाता 50 प्रतिशत या उससे ज्यादा हैं। मुस्लिम चुनाव में टैक्टिकल वोटिंग करते हैं लेकिन ओवैसी के बढ़ते प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता। यदि इन 85 विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम मत बंटते हैं तो इसका जाहिर सा फायदा बीजेपी को ही मिलने जा रहा है।

Update:2016-08-14 14:55 IST

 

Vinod Kapoor

लखनऊ: ओवैसी की आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन यूपी में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव को पूरी ताकत से लड़ेगी और इससे बीजेपी के खुश होने की वजह भी है।

खाका तैयार

हालांकि, ओवैसी जब जब यूपी में आते हैं, अपने निशाने पर सपा के साथ बीजेपी को भी रखते हैं। सपा से उनकी शिकायत कानून व्यवस्था की खराब स्थिति को लेकर है। बड़ी शिकायत ये कि यूपी सरकार उन्हें सभा करने की इजाजत नहीं देती। ओवैसी शनिवार को भी राजधानी में थे। चुनाव को लेकर उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की और रणनीति का खाका खींचा। उनका कहना था कि एआईएमआईएम को फिरकापरस्त कहने में बीजेपी, कांग्रेस, सपा और बसपा सब एक हो जाते हैं। चारों दल मिलकर फैसला करें कि सेकुलर पार्टी कौन है।

निशाने पर सपा

ओवैसी ने कहा कि सपा सरकार उन्हें जलसा करने से ये आरोप लगाकर रोकती है कि भाषण भड़काऊ होते हैं। उनका सवाल था कि बाकी नेता तकरीर करते हैं तो क्या फूल बरसते हैं। यूपी में 30 फीसदी अंडर ट्रायल मुस्लिम लड़के हैं जिनकी रिहाई के लिए वे प्रयास कर रहे हैं। यूपी की जेलों में 20 हजार मुस्लिम बंद हैं। यूपी सरकार अब परमिशन दे या न दे, अवाम से मुलाकात करूंगा। घर घर जाऊंगा। मुजफ्फरनगर कांड के बाद यूपी में ला एंड आर्डर जैसी कोई चीज नहीं है। बस यह है कि ओवैसी को यूपी में जलसे की परमिशन मत दो। मथुरा में लाइट लगवाकर और राशन की दुकानें खुलवाकर जमीन कब्जा कराई गई।

मुस्लिम मतों पर नजर

ओवैसी इस साल चार बार यूपी आ चुके हैं लेकिन उन्हें जलसे की इजाजत नहीं दी गई। ओवैसी की पार्टी से मिली जानकारी के अनुसार एआईएमआईएम विधानसभा की 85 सीटों पर चुनाव लड़ने जा रही है। ये वो सीटें हैं जहां मुस्लिम मतदाता 50 प्रतिशत या उससे ज्यादा हैं। मसलन इन सीटों पर हारजीत का फैसला मुस्लिम मतदाता करते हैं। इनमें अधिकांश सीटें ऐसी हैं जहां से बीजेपी को जीत नसीब नहीं हुई।

ओवैसी ने पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सहारनपुर, मुजप्फरनगर, बिजनौर, मुरादाबाद, गाजियाबाद, बुलंदशहर, रामपुर, बदायूं और अमरोहा की सभी सीटों के अलावा बागपत, अलीगढ़, आगरा और फिरोजाबाद की कुछ सीटों को चुना है। पार्टी इसके अलावा पूर्व और मध्य यूपी के बहराइच, श्रावस्ती, बस्ती, सिद्धार्थनगर, संत कबीर नगर, गोरखपुर, कुशीनगर, आजमगढ़, लखनऊ, बाराबंकी, फैजाबाद, अंबेडकरनगर, हरदोई, उन्नाव, सुलतानपुर और शाहजहांपुर की कुछ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी।

ये 85 सीटें ऐसी हैं जिनमें अधिकांश पर सपा और बसपा के प्रत्याशी पिछले चुनाव में जीते थे। इक्का दुक्का सीटें बीजेपी और कांग्रेस को भी मिल गई थीं।

जिन विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम वोटों का प्रतिशत पचास या उससे ज्यादा है, उनमें बिजनौर, मुरादाबाद, बहराइच, अलीगढ़ और सीतापुर जैसे जिले हैं। लखनऊ पश्चिम विधानसभा सीट के कुल तीन लाख 40 हजार वोटरों में मुस्लिम मतदाता एक लाख 90 हजार हैं। इसी तरह बहराइच के मटेरा में 2 लाख 66 हजार मतदाताओं में एक लाख 50 हजार मुस्लिम और बहराइच सीट पर तीन लाख 10 हजार वोटरों में एक लाख 80 हजार मुस्लिम हैं।

ध्रुवीकरण की संभावना

हालांकि सभी राजनीतिक दल ओवैसी की यूपी में संभावनाओं को नकार रहे हैं। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी इसी तरह ओवैसी को हलके में लिया गया था। लेकिन पार्टी ने वहां दो सीटें जीतीं और पांच पर दूसरे स्थान पर रहीं। कुछ सीटों पर उनकी पार्टी को मिले वोट रिजल्ट को प्रभावित करने वाले रहे।

कांग्रेस, यूपी में ओवैसी के प्रभाव को सिरे से नकार रही है। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता अमरनाथ अग्रवाल ने एआईएमआईएम को बीजेपी की बी टीम करार दिया है। उनका कहना है कि दोनों साम्प्रदायिक दल हैं जिनका काम किसी तरह मतों का ध्रुवीकरण करना है। ये संयोग नहीं है कि ओवैसी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह एक ही दिन राजधानी में थे। चुनाव आते आते दोनो पार्टियों के नेता ऐसा कुछ करेंगे ताकि वोटों का ध्रुवीकरण हो। राज्य की जनता को साम्प्रदायिक दलों से सावधान भी रहना होगा। कांग्रेस इन दोनों दलों से पूरी तरह सतर्क है। उनका तो ये भी आरोप है कि ओवैसी को फंडिंग बीजेपी की ओर से हो रही है ताकि मुस्लिम मतों का बिखराव हो।

लाभ में बीजेपी

दूसरी ओर बीजेपी कहती है कि सभी दलों को ये अधिकार हैं कि वो चुनाव में अपनी संभावनाएं देखे। ओवैसी के चुनाव लड़ने से बीजेपी को होने वाले फायदे के सवाल पर प्रदेश बीजेपी महासचिव विजय बहादुर पाठक सीधे तौर पर तो कुछ नहीं कहते लेकिन उनका कहना है कि पार्टी इस बार पूरे बहुमत की सरकार बनाने जा रही है। पार्टी का पूरा प्रयास दो तिहाई बहुमत हासिल करना है और इसी दिशा में काम किया जा रहा है। पूर्ण बहुमत के पीछे उनका तर्क था कि 2007 ओर 2012 के चुनाव में यूपी में पूरे बहुमत की सरकार बसपा और सपा ने बनाई थी और इस बार भी ऐसा ही होने जा रहा है।

राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा जोरों पर कि ओवैसी की पार्टी को कम कर आंकना बड़ी भूल साबित हो सकती है। खासकर उन विधानसभा क्षेत्रों में जहां मुस्लिम मत निर्णायक भूमिका अदा करते हैं। ये अलग बात है कि मुस्लिम चुनाव में टैक्टिकल वोटिंग करते हैं लेकिन ओवैसी के बढ़ते प्रभाव को नकारा नहीं जा सकता। यदि इन 85 विधानसभा क्षेत्रों में मुस्लिम मत बंटते हैं तो इसका जाहिर सा फायदा बीजेपी को ही मिलने जा रहा है।

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