लखनऊ: सपा सरकार बनने के बाद जब सीएम अखिलेश यादव ने जनता दरबार में लोगों से मिलकर उनकी समस्याएं सुननी शुरू की तो उन्हें सरल सीएम के तौर पर पॉपुलरिटी मिली। बीतते समय के साथ जनता दरबार की असलियत सबके के सामने आ गई। सीएम के हाथ में अपनी समस्या संबंधी पत्र सौंपकर निश्चिंत हुए लोगों को उस समय बड़ा झटका लगा, जब इसका उन्हें कोई लाभ नहीं मिला। इस बारे में लोगों का कहना है कि जनता दरबार सरकार के लिए सिर्फ लोकप्रियता इकट्ठा करने का साधन भर बन कर रह गया।
सीएम के दरबार में भी जनता को नहीं मिलता फायदा
सचिवालय व एनेक्सी भवन के प्रवेश द्वार पर आये दिन ऐसे मामले सामने आते हैं। जब लोग अपनी समस्या के हल की आस लिए वहां खड़े मिलते हैं। प्रवेश द्वार पर मौजूद गार्डों को अपने मोबाइल पर आए मैसेज का हवाला देते हुए संबंधित अधिकारी से मिलने की कोशिश करते हैं। इसी को लेकर फरियादियों की गार्डों से झड़प भी होती है।
सपा नेता के सीएम को भेजे गए पत्र पर भी कार्रवाई नहीं
कुशीनगर के सपा नेता जुल्फिकार अहमद ने जिले में खाद्यान योजना की कालाबाजारी व रिश्वतखोरी की शिकायत करते हुए सीएम को 18 नवम्बर 2014 को पत्र (पीजी नम्बर 02544617 ) भेजा था। सवा साल से अधिक का समय बीत चुका है। एक तरफ इस पर कार्रवाई लम्बित है तो वहीं सपा नेता बार—बार पत्र भेजकर कार्रवाई की गुहार लगा रहे हैं।
फरियादियों की अर्जी पर सालों से कार्रवाई लंबित
सीएम को भेजे गए पत्रों में ढेर सारे ऐसे मामले हैं। जिस पर सालों से कार्रवाई लम्बित है। इसी तरह के एक मामले में सिद्धार्थनगर के ग्राम मऊ नानकार के रहने वाले सुभाष विश्वकर्मा ने बीते साल 23 मार्च को अपनी घरेलू समस्या को लेकर सीएम अखिलेश यादव को एक पत्र दिया था। जिसके बाद उनके मोबाइल पर एक मैसेज (पीजी05576089) आया। इसमें बताया गया है कि उनका पत्र प्रमुख सचिव गृह को कार्यवाही के लिए भेज दिया गया है पर उनका प्रकरण अभी तक जस का तस है। यह कोई एक मामला नहीं है, बल्कि इस तरह के सैकड़ो मामले लंबित है।
अफसरों से मिलने की कोशिश में हुई गार्डों से झड़प
अभी हाल ही में बागपत निवासी मंजू लोध अपनी समस्या के समाधान की आस लिए राजधानी स्थित सचिवालय भवन पहुंची और अफसरों से मिलने की कोशिश की तो उन्हें बताया गया कि वह प्रमुख सचिव से नहीं मिल सकती। उन्होंने अपने मोबाइल पर सीएम के पोर्टल से आया मैसेज दिखाया। जिसमें लिखा था कि आपका पत्र कार्यवाही के लिए संबंधित प्रमुख सचिव को भेज दिया गया है। आप उनसे सम्पर्क कर सकती हैं। मंजू का कहना है कि तब उन्हें बताया गया था कि ऐसे प्रकरणों पर मिलने के लिए पास बनाने का कोई प्रावधान नहीं है। इसको लेकर उनकी गार्डों से झड़प भी हुई अंत में थकहार कर उन्हें निराश लौटना पड़ा।
कम्प्यूटरीकृत मैसेजों पर शासन की तरफ से पास बनाने के निर्देश नहीं
गोंडा के सिविल लाइन निवासी राजीव श्रीवास्तव का कहना है कि उन्होंने जब गोंडा के शिक्षा माफियाओं के कारनामें उजागर करने शुरू किए तो माफियाओं पर कार्रवाई के बजाये उन पर ही एफआईआर दर्ज कराई गई। सुनवाई कहीं न होने पर उन्होंने जनता दरबार का रास्ता चुना और अपना प्रार्थना पत्र मुख्यमंत्री को सौंपा। इसके बाद उनके मोबाइल पर एक मैसेज आया, इसके (पीजी नम्बर 05696436) जरिए बताया गया कि आपका पत्र कार्यवाही के लिए संबंधित अधिकारी के पास पहुंच गया है, पर इसके बाद अब तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई है। इस बीच उन्होंने सचिवालय में अफसरों से मिलने की कोशिश की तो बताया गया कि इस तरह के मामलों में शासन की तरफ से पास बनाने के कोई निर्देश नहीं है। राजीव का कहना है कि सीएम का जनता दरबार सिर्फ लोकप्रियता इकट्ठा करने का सस्ता साधन भर बन कर रह गया है।
ये है कार्रवाई की प्रक्रिया
दरअसल, जनता दरबार, मुख्यमंत्री कार्यालय या सीएम को उनके दौरों के दौरान दिए गए दरख्वास्तों पर एक बारकोड चिपकाया जाता है और इसका ब्यौरा उस व्यक्ति के मोबाइल फोन नंबर के साथ कंप्यूटर में दर्ज किया जाता है। फिर इन पत्रों पर जो भी कार्रवाई होती है, उसकी सूचना तुरंत उस व्यक्ति के मोबाइल नम्बर पर मैसेज भेज कर दी जाती है। मुख्यमंत्री कार्यालय के भूतल पर एक एजेंसी को इसी काम में लगाया गया है जो आने वाले सभी पत्रों की पूरी जानकारी कम्प्यूटर में दर्ज करती है पर ये व्यवस्था भी सिर्फ शिकायतकर्ता को मैसेज भेजने तक सीमित होकर रह गई है।
जनता से दूरी ही बनी थी बसपा की हार का कारण
पूर्व मुख्यमंत्री मायावती अपने पांच साल के कार्यकाल में जनता से कभी नहीं मिली। उन्होंने पांच, कालिदास मार्ग को आम जनता के लिए बंद कर दिया था अब यही सब कुछ अखिलेश यादव के साथ गुजर रहा है। सरकार बनने के बाद श्री यादव ने जनता दरबार भले ही शुरू किया पर अब यह भी पिछली सरकार के ही ढर्रे पर चल रहे हैं, लेकिन उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि जनता से दूरी के कारण बसपा को जो हश्र हुआ, वही सपा के साथ भी दोहराया जा सकता है।
मुख्यमंत्री के सचिव ने क्या कहा
सचिव मुख्यमंत्री पार्थ सारथी सेना शर्मा का कहना है कि सीएम कार्यालय में कोई पेंडेंसी नहीं है। शिकायती पत्रों से संबंधित जो कम्प्यूटरीकृत मैसेज लोगों को मिलता है, उस पर सचिवालय भवन में किसी अफसर से मिलने के लिए पास बनाने के निर्देश नहीं है। फिर भी ऐसे मामलों को दिखवाया जाएगा, जिसमें कार्रवाई लम्बित है।