Punjab Politics: पंजाब कांग्रेस में सुनील जाखड़ का बागी तेवर बरकरार, नहीं दिया कारण बताओ नोटिस का जवाब
Punjab Politics: पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद जाखड़ सीएम बनने का मौका चूक गए थे और इस प्रकरण के बाद से ही उनका तेवर पार्टी के लिए मुसीबत बना हुआ है।
Punjab Politics: पंजाब कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुनील जाखड़ का बागी तेवर बरकरार है। अनुशासनहीनता के मामले में पार्टी नेतृत्व की ओर से उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था मगर जाखड़ ने अभी तक नोटिस का कोई जवाब नहीं दिया है।
जाखड़ से सोमवार तक के नोटिस का जवाब मांगा गया था मगर समय सीमा समाप्त होने तक उन्होंने नोटिस का जवाब देना जरूरी नहीं समझा। ऐसे में जाखड़ के बागी तेवर को लेकर कांग्रेस हलकों में खूब चर्चाएं हो रही हैं। अब सबकी निगाहें कांग्रेस नेतृत्व के फैसले पर टिकी हुई हैं। माना जा रहा है कि नेतृत्व की ओर से जाखड़ के खिलाफ कार्रवाई की जा सकती है।
जवाब देने की समय सीमा समाप्त
पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद जाखड़ सीएम बनने का मौका चूक गए थे और इस प्रकरण के बाद से ही उनका तेवर पार्टी के लिए मुसीबत बना हुआ है। दिल्ली में 11 अप्रैल को हुई बैठक के बाद जाखड़ और केरल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केवी थॉमस को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। दिल्ली की बैठक में तारिक अनवर, जेपी अग्रवाल और अंबिका सोनी ने हिस्सा लिया था।
बैठक के बाद तारिक अनवर का कहना था कि पंजाब में विधानसभा चुनाव के दौरान जाखड़ के बयानों से पार्टी को काफी नुकसान पहुंचा है। इसलिए उन्हें नोटिस जारी करके एक हफ्ते के भीतर जवाब मांगा गया है। एक हफ्ते की अवधि सोमवार को समाप्त हो गई मगर जाखड़ ने पार्टी नेतृत्व को जवाब भेजने की भी जरूरत नहीं समझी। जाखड़ ने खुद इस बात की पुष्टि की है कि उन्होंने पार्टी नेतृत्व को नोटिस का कोई जवाब नहीं भेजा है। इससे माना जा रहा है कि उन्होंने साफ तौर पर बागी तेवर अपना लिया है।
विवादित बयानों से पार्टी को नुकसान
कैप्टन अमरिंदर सिंह के बाद चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाए जाने पर जाखड़ ने चन्नी के खिलाफ मोर्चा खोल दिया था। बाद में कांग्रेस नेतृत्व ने विधानसभा चुनाव के दौरान चन्नी को सीएम चेहरा भी बनाया था। चुनाव के दौरान भी जाखड़ लगातार चन्नी पर निशाना साधते रहे। उनका यह भी कहना था कि कैप्टन के बाद राज्य के अधिकांश विधायक मुझे मुख्यमंत्री बनाने के पक्ष में थे मगर हिंदू होने के कारण पार्टी नेतृत्व की ओर से उन्हें मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया। हालांकि चन्नी को सीएम चेहरा घोषित किए जाने के समय वे मंच पर तत्कालीन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और राहुल गांधी के साथ मौजूद थे मगर उसके बाद उन्होंने कई मौकों पर चन्नी के खिलाफ बयान दिया।
दलित समुदाय को लेकर की गई उनकी एक टिप्पणी पर भी राज्य में खासा विवाद पैदा हो गया था। चन्नी ने उनके बयानों पर कभी खुलकर कोई प्रतिक्रिया तो नहीं जताई मगर उन्होंने राहुल गांधी से इस बाबत शिकायत की थी। इसी के बाद अनुशासन समिति की ओर से जाखड़ को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।
हाईकमान के फैसले पर निगाहें
सुनील जाखड़ को पंजाब में कांग्रेस का बड़ा चेहरा माना जाता रहा है और वे पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे के बाद पंजाब में अमरिंदर सिंह बराड़ (राजा वडिंग) को नया अध्यक्ष बनाया गया है मगर वे भी राज्य की गुटबाजी को समाप्त करने में कामयाब होते नहीं दिख रहे हैं।
जाखड़ की ओर से बागी तेवर दिखाए जाने के बाद अब सबकी निगाहें पार्टी हाईकमान के फैसले पर टिकी हुई हैं। उनके खिलाफ कोई कार्रवाई न किए जाने पर अनुशासनहीनता और बढ़ने की आशंका जताई जा रही है। इसलिए माना जा रहा है कि जाखड़ के खिलाफ पार्टी नेतृत्व की ओर से कार्रवाई की जा सकती है।