वाशिंगटनः रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन ने देश की अर्थव्यवस्था की रफ्तार के सामने तीन बड़ी चुनौतियां बतायी हैं। राजन ने कहा है कि पहली चुनौती ऊबढ़ खाबड़ बुनियादी ढांचे की है। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था की गाड़ी को चलाने का काम निर्माण से होता है। बुनियादी ढांचे में हम जितना सुधार करेंगे उतना ही अर्थव्यवस्था की दर में वृद्धि होगी।
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पूर्व गवर्नर के अनुसार दूसरी चुनौती बिजली क्षेत्र को बेहतर बनाने की है। हमें यह तय करना होगा सालाना जो बिजली उत्पादन हो रहा है वह उनके पास पहुंचे जिन्हें इसकी जरूरत है। तीसरी चुनौती बैंकों के कर्ज खातों को साफ सुथरा बनाने की है। उन्होंने कहा कि देश में एनपीए की चुनौती से निपटने के लिए बहुस्तरीय प्रबंधन की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यदि इन तीन चुनौतियों पर पार पा लिया गया तो देश की आर्थिक वृद्ध दर को सतत बरकरार रखा जा सकता है।
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रघुराम राजन ने निर्णय लेने की केंद्रीयकृत व्यवस्था पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होने कहा है कि भारत जैसा देश केंद्रीयकृत व्यवस्था से काम नहीं कर सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि भारत में बहुत सारे फैसलों के लिए प्रधानमंत्री कार्यालय की सहमति आवश्यक है।
राजन ने कहा कि बेहतर आर्थिक दर के लिए हमें दस लाख रोजगार हर माह सृजित करने होंगे। उन्होंने कहा है कि मौजूदा विकास दर नाकाफी है। हमें इसे और बढ़ाना होगा। उन्होंने विकास दर की धीमी रफ्तार के लिए जीएसटी और नोटबंदी को जिम्मेदार ठहराया।