राज्यपाल से मुलाकात के बाद इस दिग्गज नेता ने गहलोत सरकार पर बोला तगड़ा हमला

राजस्थान में चल रहे सियासी घमासान के बीच बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का बड़ा बयान सामने आया है। जिसमें पूनिया ने कहा कि राजस्थान में मशहूर पॉलिटिकल ड्रामा चल रहा है।

Update:2020-07-25 20:23 IST

जयपुर: राजस्थान में चल रहे सियासी घमासान के बीच बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया का बड़ा बयान सामने आया है। जिसमें पूनिया ने कहा कि राजस्थान में मशहूर पॉलिटिकल ड्रामा चल रहा है।

किसी संवैधानिक संस्था का कोई प्रमुख व्यक्ति मनोनीत संस्था के प्रमुख को घेराव की चुनौती देता है। यह सूबे के मुख्यमंत्री को शोभा नहीं देता। यह सीधे तौर पर आईपीसी की धारा 134 के तहत आता है।

बीजेपी नेताओं के राज्यपाल कलराज मिश्रा से मिलने के सवाल पर कहा कि राजस्थान की शांति और सुकून को अराजकता में धकेलने की छूट नहीं दी जा सकती। इसकी दोषी सरकार है।

फिलहाल कोरोना वायरस कैसे नियंत्रण में इस पर विचार करने की आवश्यकता है। इसे लेकर बीजेपी ने राज्यपाल को ज्ञापन दिया है। हमें सरकार के बयान पर ऐतराज था, इसलिए आज हम महामहिम से मिले।

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गहलोत को सता रहा कुर्सी जाने का डर

राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत को अपनी कुर्सी जाने का डर रात दिन सता रहा है। शुक्रवार को रात साढ़े बजे तक जयपुर में सीएम आवास पर राजस्थान कैबिनेट की बैठक हुई।

इस बैठक का एक सूत्रीय एजेंडा था कि आखिर गहलोत सरकार को कैसे बचाया जाए। उधर अशोक गहलोत और राज्यपाल कलराज मिश्र के बीच तल्खी बढ़ती ही जा रही है। दोनों अपनी –अपनी बातों पर अभी भी अड़े हुए हैं।

सीएम गहलोत की मंशा है कि विधानसभा सत्र सोमवार को बुलाया जाए ताकि वो अपना शक्ति प्रदर्शन कर पाएं, वहीं राज्यपाल का कहना है कि उन्हें किसी फैसले पर पहुंचने के लिए थोड़ा वक्त चाहिए।

दरअसल अशोक गहलोत को डर सताने लगा है कि कहीं ऐसा ना हो कि फ्लोर टेस्ट में देरी हो तो दो-चार विधायक हाथ से खिसक जाएं। यही वजह है कि वे फ्लोर टेस्ट करके डंके की चोट पर अपनी सीएम की कुर्सी को संवैधानिक मान्यता देना चाहते हैं।

इसलिए सीएम अशोक गहलोत ने शुक्रवार को अपने विधायकों के साथ बैठक की और कानूनी विकल्पों पर चर्चा की। गहलोत के सामने सबसे बड़ी विधायकों को एकजुट रखने की हैं।

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कांग्रेस की ये है मंशा

बता दें कि सीएम अशोक गहलोत ने शुक्रवार शाम को कहा कि राज्यपाल दबाव में आ गए हैं। उन्हें विधानसभा का सत्र बुलाना चाहिए।

कहने का मतलब ये है कि गहलोत अब सोमवार से विधानसभा का सत्र चाहते हैं, लेकिन राज्यपाल कलराज मिश्र कोरोना संकट और संवैधानिक प्रावधानों के अध्ययन का हवाला देते हुए थोड़ा वक्त मांग रहे हैं।

गौरतलब है कि विधानसभा ही वो स्थान है जहां कांग्रेस अपने पक्ष में जरूरी विधायकों का समर्थन दिखा सकती है। यही वजह है कि वे पने विधायकों के साथ राज्यपाल पर प्रेशर बनाने के लिए राजभवन पहुंच गए। यहां पर उन्होंने नारेबाजी और धरने पर बैढ़ गए। भूख लगी तो बिस्किट खाया लिया, लेकिन वहां से हटे नहीं। देर तक बने रहे।

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