गहलोत फ्रंट फुट पर: राजस्थान सत्ता संघर्ष में जीत का भरोसा, ये है वजह...

राजस्थान में सत्ता संघर्ष पर भले ही कांग्रेस में आपसी विवाद चल रहा हो लेकिन इन सब के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कॉन्फिडेंस लगातार कायम है। वे बहुमत को लेकर पूरी तरीके से तैयार है और आक्रामक अंदाज में नजर आ रहे हैं।

Update:2020-07-25 12:57 IST

जयपुर: राजस्थान में सत्ता संघर्ष पर भले ही कांग्रेस में आपसी विवाद चल रहा हो लेकिन इन सब के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का कॉन्फिडेंस लगातार कायम है। वे बहुमत को लेकर पूरी तरीके से तैयार है और आक्रामक अंदाज में नजर आ रहे हैं। उनके इसके आत्मविश्वास के पीछे की असली वजह क्या है? इसे गहलोत की नई रणनीति का हिस्सा माना जाएँ या विधायकों पर उनका भरोसा?

गहलोत सत्ता संघर्ष में फ्रंट फुट पर:

दरअसल, राजस्थान में कांग्रेस सरकार दो गुटों में बंट गयी। एक ओर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके विधायक तो दूसरी ओर सचिन पायलट समेत 19 कांगेस विधायक। सचिन पायलट का खेमा झुकने को तैयार नहीं। वहीं अशोक गहलोत पार्टी में हुए इस बंटवारे के बाद भी बहुमत साबित करने पर अड़े हैं। गहलोत आक्रामक तेवर में हैं।

गहलोत को अपने विधायकों पर भरोसा:

दरअसल, सचिन पायलट की बगावत और कांग्रेस 19 विधायकों के सचिन खेमे में शामिल होने से गहलोत सरकार की बहुमत प्रभावित हुई है। लेकिन इसके बाद भी उनके पास विधायकों के इतने मत हैं, कि फ्लोर टेस्ट में वे आसानी से बहुमत साबित कर सकते हैं। बचे हुए विधायकों पर सीएम गहलोत को भरोसा है कि वे सब उनके समर्थन में हैं और रहेंगे।

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राजस्थान विधानसभा में किस दल के कितने विधायक

-दरअसल, राजस्थान में 200 विधानसभा सदस्य हैं। जिसमें से कांग्रेस के पास मौजूदा समय में 107 विधायक हैं, तो वहीं बीजेपी 75 विधायक विधानसभा में हैं।


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-बता दें कि कांग्रेस के 107 विधायकों में से 6 बसपा के हैं, जिन्होंने कांग्रेस को समर्थन दिया। इसके अलावा भाजपा के अपने 72 विधायक हैं और अन्य 3 विधायक आरएलपी के हैं।

 

-राजस्थान विधानसभा में 18 विधायक निर्दलीय और अन्य है। जैसे बीटीपी के 2 MLA, 2 विधायक सीपीएम के , 1 आरएलडी और 13 निर्दलीय विधायक शामिल हैं।

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विधायकों के गठजोड़ का असर:

-माना जा रहा है कि कांग्रेस के 19 ऐसे विधायक हैं, जो सचिन पायलट के समर्थन में हैं। ऐसे में अगर उन्होंने इस्तीफे दिए तो सदन में विधायकों की संख्या 181 हो जायेगी। वहीं 181 सदस्यों वाली विधानसभा में बहुमत के लिए 91 विधायकों की जरूरत होगी।

पायलट समर्थक विधायकों के इस्तीफे से लगेगा कांग्रेस को झटका

-19 विधायकों के इस्तीफे के बाद कांग्रेस के पास सिर्फ 88 विधायक बचेंगे और बहुमत के लिए उन्हें 3 विधायकों की जरूरत पड़ेगी। वहीं भाजपा के पास 75 विधायक हैं और उन्हें बहुमत के लिए 15 विधायकों की जरूरत हैं। ऐसे में दोनों दलों के लिए निर्दलीय विधायकों का मत अहम हो जाएगा।

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-18 निर्दलीय विधायकों में से कांग्रेस को बहुमत में आने के लिए 3 तो भाजपा को 15 मतों की जरूरत होगी।

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