गहलोत के अड़ जाने से टकराव बढ़ा, अब सबकी नजरें राजभवन के फैसले पर

करीब तीन हफ्ते से चल रहे राजस्थान के सियासी संकट का अभी तक समाधान नहीं हो सका है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 31 जुलाई से ही विधानसभा का सत्र बुलाने की मांग पर अड़ गए हैं।

Update:2020-07-29 09:06 IST

अंशुमान तिवारी

जयपुर: करीब तीन हफ्ते से चल रहे राजस्थान के सियासी संकट का अभी तक समाधान नहीं हो सका है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत 31 जुलाई से ही विधानसभा का सत्र बुलाने की मांग पर अड़ गए हैं। इस संबंध में गहलोत कैबिनेट की ओर से तीसरी बार प्रस्ताव पारित कर राज्यपाल के पास भेजा गया है। विधानसभा का सत्र बुलाने पर सरकार और राज्यपाल के बीच टकराव खत्म होता नहीं दिख रहा है। गहलोत कैबिनेट के ताजा प्रस्ताव पर अभी राज्यपाल की ओर से कोई कदम नहीं उठाया गया है और अब हर किसी की नजर राजभवन पर ही टिकी हुई है। उधर भाजपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने का मामला भी गरमा गया है और बुधवार को इस मामले में अहम सुनवाई होनी है।

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सवालों के जवाब के साथ ताजा प्रस्ताव

अशोक गहलोत कैबिनेट की बुधवार को करीब ढाई घंटे चली बैठक के बाद विधानसभा का सत्र 31 जुलाई से बुलाने के संबंध में राज्यपाल के पास ताजा प्रस्ताव भेजा गया है। इससे पहले राज्यपाल ने विधानसभा का सत्र बुलाने का प्रस्ताव खारिज करते हुए राज्य सरकार से 3 सवाल पूछे थे। इस बार सरकार की ओर से सवालों के जवाब के साथ ही विधानसभा का सत्र 31 जुलाई से ही बुलाने का ताजा प्रस्ताव भेजा गया है। इस प्रस्ताव के साथ ही शॉर्ट नोटिस पर विधानसभा का सत्र बुलाने के पक्ष में दलीलें भेजी गई हैं।

विश्वासमत का प्रस्ताव में जिक्र नहीं

राज्य के परिवहन मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास का कहना है कि राज्यपाल को सवाल उठाने का कोई हक नहीं है। फिर भी हमने उनके सवालों का जवाब भेज दिया है। सरकार की ओर से भेजे गए नए प्रस्ताव में विश्वास मत कआ कोई जिक्र नहीं किया गया है जिसके बारे में राज्यपाल ने अपने पत्र में सवाल किया था। मंत्री ने कहा कि राज्यपाल की ओर से उठाए गए तीन बिंदुओं पर सरकार की ओर से जवाब भेज दिया गया है।

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उन्होंने कहा कि सत्र बुलाना हमारा कानूनी अधिकार है इस मामले में राज्यपाल को कोई दखल नहीं देना चाहिए। प्रस्ताव में विश्वासमत लाने संबंधी सवाल का कोई सीधा जवाब नहीं दिया गया है। हालांकि सदन में बैठने की व्यवस्था को लेकर पूछे गए सवाल पर कहा गया है कि इसकी चिंता स्पीकर को करनी है, राज्यपाल को नहीं।

सत्र बुलाना सरकार का हक

बैठक के बाद राज्य के राजस्व मंत्री हरीश चौधरी ने भी कहा कि सत्र बुलाना सरकार का हक है। इस मामले में राज्यपाल को कोई दखल नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमने राज्यपाल की सारी आपत्तियों का जवाब दे दिया है। चौधरी ने कहा कि राज्यपाल को स्पीकर के काम में कोई दखल नहीं देना चाहिए। सरकार की ओर से भेजे गए जवाब में विभिन्न विधानसभाओं के शॉर्ट नोटिस पर सत्र बुलाने का भी जिक्र किया गया है। यह भी कहा गया है कि मौजूदा राज्यपाल के कार्यकाल में ही चार बार शार्ट नोट इस पर सदन बुलाया जा चुका है।

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कांग्रेस को सबक सिखाने में जुटी बसपा

उधर, अपने विधायकों को कांग्रेस में शामिल करने से नाराज बसपा भी मौके को भुनाने में जुट गई है। बसपा मुखिया मायावती का कहना है कि हमें कांग्रेस को सबक सिखाने के लिए सही समय का इंतजार था और अब वह समय आ गया है। हम इस मामले को कोर्ट में ले जाएंगे। उन्होंने कहा कि हम पहले भी इस मामले में कोर्ट जा सकते थे, लेकिन हमें सही समय का इंतजार था। मायावती ने कहा कि चुनाव के नतीजों के बाद बसपा ने बिना किसी शर्त कांग्रेस की सरकार को समर्थन दिया था मगर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत बसपा को तोड़ने में जुट गए और उन्होंने हमारे 6 विधायकों को असंवैधानिक तरीके से कांग्रेस में शामिल करा लिया।

बसपा आज दायर करेगी याचिका

बसपा कांग्रेस में शामिल होने वाले अपने सभी 6 विधायकों की सदस्यता रद्द करने की मांग को लेकर बुधवार को राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दायर करेगी। बसपा मुखिया का कहना है कि इस बार हम कोई कसर नहीं छोड़ेंगे और अगर जरूरत पड़ी तो हम सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे। बसपा के 6 विधायकों की सदस्यता पर मंडरा रहे संकट से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की मुश्किलें और बढ़ गई हैं।

भाजपा विधायक की याचिका पर आज सुनवाई

उधर भाजपा विधायक मदन दिलावर की याचिका पर हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई होगी। दिलावर ने विधानसभा स्पीकर द्वारा उनकी याचिका को खारिज करने और बसपा विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने के खिलाफ याचिका दायर की है।

कोर्ट ने सोमवार को कहा था कि स्पीकर ने 24 जुलाई को ही आदेश पारित करते हुए याचिका खारिज कर दी थी। इसलिए इसका कोई मतलब नहीं है। हाईकोर्ट का कहना था कि इस मामले में भाजपा नई याचिका दायर करने के लिए स्वतंत्र है। अब दिलावर की ओर से स्पीकर के आदेश को कोर्ट में फिर चुनौती दी गई है। इस मामले की सुनवाई जस्टिस महेंद्र कुमार गोयल एकल पीठ करेगी।

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कांग्रेस बसपा में जंग, प्रियंका ने बोला हमला

इस बीच कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने बसपा प्रमुख मायावती पर निशाना साधा है। प्रियंका बसपा के 6 विधायकों को गहलोत सरकार के खिलाफ वोट देने का व्हिप जारी करने से खफा हैं। प्रियंका ने इस बाबत अपने ट्वीट में कहा कि बसपा के अघोषित प्रवक्ताओं ने भाजपा को मदद पहुंचाने के लिए व्हिप जारी किया है। उन्होंने कहा यह केवल विप नहीं है बल्कि लोकतंत्र और संविधान की हत्या करने वालों को क्लीन चिट देने सरीखा है। प्रियंका के ट्वीट से साफ है कि राजस्थान के सियासी संकट को लेकर कांग्रेस और भाजपा में ही नहीं बल्कि बसपा और कांग्रेस में भी जंग छिड़ गई है।

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