बगावत छोड़ कांग्रेस में लौटे सचिन पायलट, इन नेताओं ने तैयार की वापसी की राह
राजस्थान कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट की बगावत के बावजूद मध्य प्रदेश वाली कहानी नहीं दोहराई जा सकी। भाजपा की भी पायलट से वह उम्मीद नहीं पूरी हो सकी जो मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पूरी की थी।
नई दिल्ली: राजस्थान कांग्रेस के युवा नेता सचिन पायलट की बगावत के बावजूद मध्य प्रदेश वाली कहानी नहीं दोहराई जा सकी। भाजपा की भी पायलट से वह उम्मीद नहीं पूरी हो सकी जो मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पूरी की थी।
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दरअसल मध्य प्रदेश और राजस्थान की राजनीतिक स्थितियां अलग थीं और राजस्थान में पायलट की बगावत के बाद ही कांग्रेस की युवा ब्रिगेड सक्रिय हो गई थी। सचिन की राहुल और प्रियंका से मुलाकात का रोडमैप भी युवा ब्रिगेड ने ही तैयार किया। हालांकि युवा ब्रिगेड के इन प्रयासों को पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं का समर्थन भी हासिल था।
तुरंत सक्रिय हो गई थी युवा ब्रिगेड
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ सचिन पायलट की बगावत के बाद ही युवा ब्रिगेड सक्रिय हो गई थी। युवा नेता इन दोनों के बीच तनातनी और उसके बाद पायलट को मंत्रिमंडल से बाहर किए जाने से खुश नहीं थे। पायलट की बगावत के बाद प्रिया दत्त, मिलिंद देवड़ा और जितिन प्रसाद आदि युवा नेताओं ने पूरे प्रकरण पर अफसोस भी जताया था। उन्होंने पार्टी के प्रति सचिन के योगदान की भी चर्चा की थी। कांग्रेस से जुड़े सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस के युवा नेताओं ने ही सचिन की पार्टी हाईकमान से मुलाकात की पटकथा लिखी।
कुछ वरिष्ठ नेता भी थे समर्थन में
पायलट की बगावत के बाद राहुल के करीबी माने जाने वाले दीपेंद्र हुड्डा, मिलिंद देवड़ा, जितिन प्रसाद और भंवर जितेंद्र सिंह आदि नेता लगातार सक्रिय बने रहे और उन्हें पार्टी के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम और केसी वेणुगोपाल का भी समर्थन मिला। राहुल गांधी की ओर से हरी झंडी मिलने के बाद हुड्डा और भंवर जितेंद्र सिंह पायलट से विभिन्न मुद्दों पर बातचीत की।
इस बातचीत के बाद पायलट और राहुल की मुलाकात का रास्ता खुला। कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक सुलह का फार्मूला निकालने में वेणुगोपाल और अहमद पटेल ने प्रमुख भूमिका निभाई।
इस कारण शांत बने रहे पायलट
कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि राजस्थान के सियासी संकट के दौरान गहलोत ने पायलट पर तीखे हमले किए और उन्हें निकम्मा और नकारा तक बता डाला। उन्होंने सचिन को ही राजस्थान के सियासी संकट के लिए जिम्मेदार ठहराया था मगर सचिन की ओर से गहलोत के खिलाफ कोई बयान नहीं दिया गया। पायलट के शांत बने रहने के पीछे भी युवा ब्रिगेड की भूमिका बताई जा रही है।
युवा ब्रिगेड की ओर से पायलट को शांत रहने की सलाह दी गई थी ताकि उनकी कांग्रेस में वापसी का रास्ता खुला रहे। पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं ने भी पायलट को चुप्पी साधे रहने की सलाह दी थी ताकि उनकी वापसी में किसी प्रकार की दिक्कत न हो और और दो प्रमुख नेताओं में आरोप-प्रत्यारोप से असहज स्थिति न पैदा हो।
सचिन को मुद्दे सुलझने की उम्मीद
राहुल और प्रियंका से मुलाकात के बाद सचिन पायलट ने पहली बार मीडिया से सीधी बातचीत की मगर इस दौरान भी उन्होंने अशोक गहलोत पर कोई हमला नहीं बोला। उन्होंने बस इतना ही कहा कि मैं लंबे समय से कई मुद्दों को उठाना चाहता था। मैं शुरू से ही आदर्शों की लड़ाई लड़ रहा था और मेरा मानना था कि पार्टी में इन मुद्दों को उठाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि पार्टी हाईकमान में हमारी परेशानियों को सुना और मुझे उम्मीद है कि अब इन मुद्दों का हल निकाल लिया जाएगा।
तुरंत सक्रिय हो गई सोनिया की कमेटी
मुलाकात के तुरंत बाद सोनिया गांधी ने पायलट की ओर से उठाए गए मुद्दों पर गौर करने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी बना दी। प्रियंका गांधी, केसी वेणुगोपाल और अहमद पटेल की ये कमेटी तुरंत ही सक्रिय हो गई सोमवार देर रात तक विवाद के मुद्दों को सुलझाने पर चर्चा चलती रही। तीनों नेताओं में सचिन पायलट और उनके समर्थक विधायकों से बातचीत कर उनकी नाराजगी दूर करने का प्रयास किया।
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सचिन का रुख अब काफी नरम
इस मुलाकात के बाद सचिन ने भी सभी मुद्दों के सुलझ जाने की उम्मीद जताई। उन्होंने राहुल और प्रियंका के प्रति शुक्रिया अदा करते हुए यह भी कहा कि पार्टी पद देती है तो पार्टी पद ले भी सकती है। सचिन के इस बयान से पता चलता है कि उन्होंने अपना रुख काफी नरम कर लिया है।
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