किसान आंदोलन: अब किसानों की समस्या को लेकर राष्ट्रपति से मिलेंगे पवार

किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी की गारंटी की मांग कर रहे हैं। किसान अपनी मांगों पर अड़े हैं।

Update: 2020-12-06 10:33 GMT
किसान आंदोलन: अब किसानों की समस्या को लेकर राष्ट्रपति से मिलेंगे पवार (PC: social media)

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में किसानों को डेरा डाले हुए कई दिन हो गए हैं। सरकार से कई दौर की वार्ता के बाद भी मामला वही ढाक के तीन पात है। किसान अपनी जगह और सरकार अपनी जगह। किसान आंदोलन दिन-ब-दिन तेज होता जा रहा है। कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग को लेकर किसान आक्रामक रुख अपनाते नजर आ रहे हैं। इस बीच ऐसी खबरें आ रही है कि एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार इस मुद्दे को सुलझाने के लिए जल्द ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलेंगे।

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किसान केंद्र सरकार द्वारा पारित तीन कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी की गारंटी की मांग कर रहे हैं। किसान अपनी मांगों पर अड़े हैं। केंद्र सरकार अपने रुख पर अड़ी है नतीजतन अब तक वार्ता विफल रही है। पांचवें दौर में भी केंद्र से ठोस आश्वासन न मिलने के कारण, किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का आह्वान किया है। विपक्ष के नेता शरद पवार आंदोलनकारी किसानों और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मुलाकात करेंगे।

सबसे बड़ा यो गदानकर्ता किसान हैं

पवार का कहना है कि यदि आप पूरे देश की कृषि और खाद्य आपूर्ति को देखते हैं, तो पंजाब और हरियाणा में सबसे बड़ा योगदानकर्ता किसान हैं। ये किसान देश की जरूरतों को पूरा करते हैं, खासकर गेहूं और चावल के उत्पादन में। भारत आज जो आपूर्ति कर रहा है और दुनिया के 17-18 देशों को अनाज मिल रहा है। उसमें पंजाब और हरियाणा की बड़ी हिस्सेदारी है।

वह कहते हैं जब भी पंजाब और हरियाणा का कोई किसान सड़क पर आता है, तो इसे बहुत गंभीरता से लिया जाना चाहिए। लेकिन, दुर्भाग्य से, ऐसा दिखाई नहीं देता है।

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पवार ने आगाह किया कि मैं व्यक्तिगत रूप से सोचता हूं कि अगर यह इस तरह से चलता रहता है, तो यह दिल्ली तक सीमित नहीं होगा। देश के सभी कोनों के लोग इन किसानों के पीछे खड़े होंगे और समस्याओं को अपने तरीके से हल करेंगे। मैं अब भी उनसे (मोदी सरकार से) बुद्धिमानी की उम्मीद करता हूं।

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