Congress President Election:थरूर को राज्यों में नहीं मिल रहा समर्थन, बैठक में आने से भी कतरा रहे कांग्रेसी

Congress President Election: कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर को राज्य में समर्थन नहीं मिल रहा है।

Report :  Anshuman Tiwari
Update: 2022-10-07 06:49 GMT

शशि थरूर को राज्यों में नहीं मिल रहा समर्थन

Congress President Election: कांग्रेस के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री शशि थरूर को राज्य में समर्थन नहीं मिल रहा है। राज्यों में अधिकांश प्रतिनिधि अध्यक्ष पद के दूसरे उम्मीदवार मल्लिकार्जुन खड़गे के समर्थन में दिख रहे हैं। इस बात का नजारा गुरुवार को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में भी दिखा। तमिलनाडु में कांग्रेस के 700 से अधिक डेलीगेट्स हैं मगर थरूर से मुलाकात करने के लिए करीब दर्जन भर प्रतिनिधि ही पहुंचे। 

दरअसल कांग्रेस में मल्लिकार्जुन खड़गे को पार्टी का आधिकारिक उम्मीदवार माना जा रहा है। खड़गे को गांधी परिवार का समर्थन भी बताया जा रहा है। इस कारण राज्यों में कांग्रेस के प्रतिनिधि थरूर से किनारा करते हुए नजर आ रहे हैं। थरूर की स्थिति को इस बात से ही समझा जा सकता है कि उन्हें अपने गृह राज्य केरल में भी अधिकांश प्रतिनिधियों का समर्थन नहीं हासिल हो रहा है। केरल कांग्रेस के अध्यक्ष के सुधाकरण और कई अन्य प्रमुख नेताओं ने खड़गे को ही समर्थन देने की बात कही है।

चेन्नई में सिर्फ दर्जनभर प्रतिनिधि ही पहुंचे 

कांग्रेस प्रतिनिधियों का समर्थन हासिल करने के लिए तमिलनाडु के दौरे पर पहुंचे थरूर को निराशा हाथ लगी। कांग्रेस के अधिकांश प्रतिनिधियों ने थरूर से किनारा कर लिया। अपनी बात रखने के लिए थरूर की ओर से बुलाई गई बैठक में करीब दर्जन भर प्रतिनिधि ही शामिल हुए। बैठक के बाद थरूर ने कहा कि बैठक में हिस्सा लेने वाले प्रतिनिधियों ने अपना ही नुकसान किया क्योंकि बैठक में महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की जा सकती थी। अगर वे मेरी बैठक में आने से डरते हैं तो यह उनका अपना ही नुकसान है। 

खड़गे आधिकारिक उम्मीदवार नहीं

उन्होंने कहा कि कांग्रेस प्रतिनिधियों को यह बात अपने दिमाग से निकाल देनी चाहिए कि अध्यक्ष पद के लिए खड़गे पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार है। गांधी परिवार की ओर से भी यह बात पूरी तरह स्पष्ट कर दी गई है कि इस चुनाव में गांधी परिवार की ओर से कोई उम्मीदवार नहीं है। लोगों के दिलो दिमाग में यह बात बैठ गई है कि खड़गे पार्टी के आधिकारिक उम्मीदवार हैं और मैं इस मिथक को तोड़ने की कोशिश करूंगा।

थरूर ने कहा कि वे पार्टी अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात करने के बाद चुनाव मैदान में उतरे हैं। सोनिया ने उनकी उम्मीदवारी का स्वागत किया था। पार्टी अध्यक्ष ने आधिकारिक उम्मीदवार के संबंध में स्थिति पूरी तरह स्पष्ट कर दी है। ऐसे में कांग्रेस डेलीगेट्स के डरने का कोई कारण नजर नहीं आता।

गृह राज्य केरल में भी बड़े नेता खिलाफ

दूसरे राज्यों की बात तो दूर, थरूर को अपने गृह राज्य केरल में भी समर्थन मिलता नहीं दिख रहा है। केरल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के सुधाकरण ने खुलकर खड़गे का समर्थन किया है। केरल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता रमेश चेन्निथला ने भी खड़गे का ही समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि थरूर को चुनाव लड़ने का अधिकार है क्योंकि आलाकमान ने भी सबको चुनाव लड़ने की अनुमति दी है मगर इस चुनाव में खड़गे उपयुक्त उम्मीदवार हैं और मैंने खड़गे को ही वोट देने का फैसला किया है। वे अनुभवी होने के साथ जमीनी स्तर पर काम करने वाले वरिष्ठ नेता हैं। इसलिए उन्हीं को समर्थन देना उचित होगा।

केरल में विपक्ष के नेता वी डी सतीशन ने भी खड़गे को ही समर्थन देने की घोषणा की है। सतीशन के थरूर के अच्छे रिश्ते रहे हैं मगर वे भी खड़गे के ही समर्थन में उतर गए हैं। उन्होंने थरूर के अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने के फैसले को गलत बताया है। अभी तक थरूर को सांसद हाइबी ईडन, पूर्व विधायक के.एस. सबरीनाथन और सासंद एम.के. राघवन सहित कुछ युवा नेताओं का ही समर्थन हासिल हो सका है। दूसरी ओर केरल में कांग्रेस का बड़ा वर्ग मल्लिकार्जुन खड़गे का ही समर्थन कर रहा है।

थरूर चुनाव मैदान से हटने को तैयार नहीं 

कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए नामांकन वापस लेने की आखिरी तारीख शनिवार को है। हालांकि थरूर अभी नामांकन वापस लेने के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं। उनका कहना है कि वे चुनाव से पीछे हटकर उन लोगों के साथ विश्वासघात नहीं करेंगे जिन्होंने अभी तक उनके प्रयासों का समर्थन किया है। 

उन्होंने कहा कि मुझे पार्टी के बड़े नेताओं के समर्थन की पहले ही उम्मीद नहीं थी। मैं नागपुर, वर्धा, हैदराबाद आदि शहरों में पार्टी के कई कार्यकर्ताओं से मिला हूं और तमाम कांग्रेस प्रतिनिधियों ने मेरे चुनाव लड़ने का समर्थन किया है। थरूर के इस बयान से साफ है कि भले ही कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव में वे खड़गे के मुकाबले कमजोर दिख रहे हैं मगर वे चुनाव से पीछे हटने के लिए तैयार नहीं हैं। 


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