सोनिया गांधी का 72वां जन्मदिन आज, ऐसे राजीव संग शुरू हुई थी 'लव स्टोरी'

कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी आज अपना 72वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रही हैं। इटली के एक छोटे से गांव लूसियाना में जन्मी सोनिया का असली नाम एंटोनियो माइनो है।

Update:2018-12-09 10:15 IST
सोनिया गांधी का 72वां जन्मदिन आज, ऐसे राजीव संग शुरू हुई 'लव स्टोरी'

नई दिल्ली: कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी आज अपना 72वां बर्थडे सेलिब्रेट कर रही हैं। इटली के एक छोटे से गांव लूसियाना में जन्मी सोनिया का असली नाम एंटोनियो माइनो है। यह नाम उनका शादी से पहले था। एक भारतीय राजनेता के रूप में सोनिया काफी फेमस हैं। चूंकि, आज उनका जन्मदिन है इसलिए आज हम आपको उनसे जुड़ी कुछ ख़ास और रोचक बातें बताएंगे।

व्यक्तिगत जीवन

सोनिया गांधी के निजी जीवन की बात करें तो उनके पिता स्टेफ़िनो मायनो एक फासीवादी सिपाही थे जिनका निधन 1983 में हुआ। उनकी माता पाओलो मायनो हैं। उनकी दो बहनें हैं। उनका बचपन टूरिन, इटली से 8 किमी दूर स्थित ओर्बसानो में व्यतीत हुआ।

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साल 1964 में सोनिया कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में बेल शैक्षणिक निधि के भाषा विद्यालय में अंग्रेज़ी भाषा का अध्ययन करने गई थीं, जहां उनकी मुलाकात राजीव गांधी से हुई। राजीव उस समय ट्रिनिटी कॉलेज कैंब्रिज में पढ़ते थे।

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साल 1968 में दोनों का विवाह हुआ जिसके बाद वे भारत में रहने लगीं। राजीव गांधी के साथ विवाह होने के काफी समय बाद उन्होंने साल 1983 में भारतीय नागरिकता स्वीकार की।

ऐसे शुरू हुई सोनिया और राजीव की प्रेम कहानी

साल 1965 का दौर था जब सोनिया और राजीव दोनों कैंब्रिज में अपनी-अपनी पढ़ाई पूरी कर रहे थे। तब राजीव पूर्व राजनयिक टीएन कौल के बेटे दीप कौल संग एक अपार्टमेंट में रहा करते थे। एक पेइंग गेस्ट में तब सोनिया गांधी भी रहती थीं। सोनिया का इस दौरान इटालियन फूड खाने का मन हो गया और वो इसकी तलाश में निकल पड़ीं।

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तलाश करते हुए सोनिया सेंट एंड्रयू रोड स्थित एक ग्रीक रेस्टोरेंट में पहुंचीं। मजेदार बात ये थी कि जिस ग्रीक रेस्टोरेंट में सोनिया पहुंची थीं, उसके मालिक चार्ल्स एंटोनी राजीव गांधी के दोस्त थे। ये वहीं रेस्टोरेंट था, जहां कैंब्रिज कहर स्टूडेंट आता-जाता रहता था। एक दिन सोनिया और राजीव दोनों पहुंचे। फिर एक कॉमन दोस्त ने दोनों का एक दूसरे का परिचय करवाया।

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जब राजीव गांधी ने सोनिया को पहली बार देखा तब ही वह उनको अपना दिल दे बैठे। इसके बाद राजीव ने सोनिया को एक लव लेटर देकर अपने प्यार का इजहार किया। दोनों का प्यार फिर काफी चरम पर था। जब दोनों की लव स्टोरी के बारे में सोनिया के पिता को पता चला तब उन्हें अच्छा नहीं लगा लेकिन बाद में वो मान गए।

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उधर, भारत की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी भी सोनिया से लंदन में मिली। इस दौरान इंदिरा ने सोनिया से फ्रेंच में बात की क्योंकि सोनिया की फ्रेंच इंग्लिश से ज्यादा मजबूत थी। इंदिरा को सोनिया काफी पसंद आईं और फिर दोनों की शादी हो गई।

सोनिया गांधी का राजनीतिक जीवन

पति राजीव गांधी की हत्या होने के बाद कांग्रेस के वरिष्ट नेताओं ने सोनिया से पूछे बिना उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष बनाए जाने की घोषणा कर दी। मगर सोनिया ने इसे स्वीकार नहीं किया और राजनीति और राजनीतिज्ञों के प्रति अपनी घृणा और अविश्वास को इन शब्दों में व्यक्त किया कि, "मैं अपने बच्चों को भीख मांगते देख लूंगी, लेकिन मैं राजनीति में कदम नहीं रखूंगी।"

काफ़ी समय तक राजनीति में कदम न रख कर उन्होंने अपने बेटे और बेटी का पालन-पोषण करने पर अपना ध्यान केंद्रित किया। उधर, पीवी नरसिंहाराव के प्रधानमंत्रित्व काल के बाद कांग्रेस साल 1996 का आम चुनाव भी हार गई, जिससे कांग्रेस के नेताओं ने फिर से नेहरु-गांधी परिवार के किसी सदस्य की आवश्यकता अनुभव की।

1997 में ग्रहण की शपथ

उनके दबाव में सोनिया गांधी ने 1997 में कोलकाता के प्लेनरी सेशन में कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता ग्रहण की और उसके 62 दिनों के अंदर 1998 में वो कांग्रेस की अध्यक्ष चुनी गयीं। उन्होंने सरकार बनाने की असफल कोशिश भी की। राजनीति में कदम रखने के बाद उनका विदेश में जन्म हुए होने का मुद्दा उठाया गया। उनकी कमज़ोर हिन्दी को भी मुद्दा बनाया गया। उन पर परिवारवाद का भी आरोप लगा लेकिन कांग्रेसियों ने उनका साथ नहीं छोड़ा और इन मुद्दों को नकारते रहे।

सोनिया गांधी अक्टूबर 1999 में बेल्लारी, कर्नाटक से और साथ ही अपने दिवंगत पति के निर्वाचन क्षेत्र अमेठी, उत्तर प्रदेश से लोकसभा के लिए चुनाव लड़ीं और करीब तीन लाख वोटों की विशाल बढ़त से विजयी हुईं। 1999 में 13वीं लोकसभा में वे विपक्ष की नेता चुनी गईं।

साल 2004 में सबको चौंकाया

साल 2004 के चुनाव से पूर्व आम राय ये बनाई गई थी कि अटल बिहारी वाजपेयी ही प्रधान मंत्री बनेंगे पर सोनिया ने देश भर में घूमकर खूब प्रचार किया और सब को चौंका देने वाले नतीजों में यूपीए को अनपेक्षित 200 से ज़्यादा सीटें मिली। सोनिया गांधी स्वयं रायबरेली, उत्तर प्रदेश से सांसद चुनी गईं। वामपंथी दलों ने भारतीय जनता पार्टी को सत्ता से बाहर रखने के लिये कांग्रेस और सहयोगी दलों की सरकार का समर्थन करने का फ़ैसला किया जिससे कांग्रेस और उनके सहयोगी दलों का स्पष्ट बहुमत पूरा हुआ।

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