...तो क्या मोदी को मात देनें के लिए माया-मुलायम मिला लेंगे हाथ, रखी जा रही नींव

Update: 2017-04-02 09:57 GMT

लखनऊ : पहले लोकसभा और उसके बाद यूपी विधानसभा चुनावों में करारी हार के बाद, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस के कई बड़े नेता अब इस गठबंधन में बहुजन समाज पार्टी को भी शामिल करना चाहते हैं, इसके लिए कवायद भी शुरू हो चुकी है।

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राज्य और देश में इस महागठबंधन की जमीन तलाश रहे सपा और कांग्रेस के नेताओं का मानना है, कि सपा और बसपा को अपनी 'सेक्युलरिज्म' और जाति आधारित राजनीति को छोड़ना होगा। तभी वो पीएम नरेंद्र मोदी को टक्कर दे पाएंगे, वर्ना चुनाव दर चुनाव बीजेपी मजबूत होती जाएगी। क्योंकि बीजेपी ने अन्य जातियों को साफ़ संदेश दिया कि सपा, बसपा या कांग्रेस सिर्फ जाति और 'सेक्युलरिज्म' के नाम पर वोट मांगती है और जब सत्ता में आ जाती है तो बाकी का शोषण होता है।

तीनों ही दलों में ऐसे नेता एकजुट हो रहे हैं, जो महागठबंधन के पक्ष में हैं। सपा कांग्रेस तो पहले से ही एक साथ है, लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती और मुलायम सिंह यादव एक साथ मंच पर आयेंगे ऐसा होना तो मुश्किल है। इसपर नेताओं के तर्क है कि अखिलेश यादव ने मुलायम को संरक्षक बना और चुनाव नतीजों से पहले माया को लेकर संकेत दे दिए थे, कि मुलायम भले ही माया के साथ न बैठें लेकिन उन्हें माया के साथ जाने से कोई गुरेज नहीं है।

हमारे सूत्रों के मुताबिक पहले सतीश चन्द्र मिश्र और नसीमुद्दीन के साथ बैठक होगी। उन्हें बताया जाएगा कि यदि हम एक साथ नहीं आए तो कांग्रेस का भले ही अधिक नुकसान न हो लेकिन सपा-बसपा दोनों के अस्तित्व पर संकट आ जाएगा। इसके लिए रणनीति भी बना ली गयी है, कि जब संयुक्त बैठक हो तो उसका एजेंडा क्या होगा जल्द ही ये बैठक दिल्ली या लखनऊ में होगी। इन्हें उम्मीद है कि अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही माया उनके साथ अवश्य आएगी।

वैसे बसपा के अंदर भी इस गठबन्ध का हिस्सा बनने की बातें दबे छुपे चल रही हैं, लेकिन कोई खुल कर नहीं बोल रहा। बसपा के एक पूर्व सांसद ने नाम न बताने की शर्त पर कहा, कि मोदी ने हमारे बेस वोटर को हमारे ही खिलाफ खड़ा कर दिया है। अब वो हमारी बात नहीं सुनता, दूसरी जातियों और मुस्लिम का क्या कहें वो तो पहले से ही हमसे दूर थे। अब आगे ऐसा न हो इसके लिए बहन जी को सपा और कांग्रेस से हाथ मिला लेना चाहिए। क्योंकि हमारे पास अब इतने भी विधायक नहीं है, कि हम बहन जी को राज्य सभा भेज सकें, और इस बार वो राज्य सभा तभी जा सकती हैं जब ये दोनों भी हमें समर्थन दें।

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