Meerut News: जाट वोटों को लेकर टकरार, बीजेपी-सपा-आरएलडी गठबंधन के बीच शुरू हुई लड़ाई

Meerut News: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जाट वोटों को लेकर बीजेपी और सपा-आरएलडी गठबंधन के बीच शह-मात का खेल योगी सरकार 2.0 के गठन के साथ ही एक बार फिर शुरू हो गया है।

Report :  Sushil Kumar
Published By :  Shashi kant gautam
Update:2022-03-26 22:36 IST

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ: Photo - Social Media

Meerut News: उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव (UP Election 2022) में जाट वोटों को लेकर बीजेपी और सपा-आरएलडी गठबंधन (SP-RLD alliance) के बीच शह-मात का खेल योगी सरकार 2.0 के गठन के साथ ही एक बार फिर शुरू हो गया है। पहली बार जाट समाज के चार विधायक मंत्री बने हैं। खास बात यह कि जाट समाज के यह सभी मंत्री पश्चिमी यूपी के हैं। पिछली सरकार में भूपेन्द्र चौधरी और बलदेव सिंह औलख ही मंत्री थे। इस बार भूपेन्द्र चौधरी, बलदेव सिंह औलख, केपी मलिक, लक्ष्मीनारायण चौधरी मंत्री बने हैं। जाहिर है कि 2024 को लेकर जाटलैंड कहे जाने वाले पश्चिमी यूपी में भाजपा (BJP) और राष्ट्रीय लोकदल के बीच लड़ाई तेज होने वाली है।

दरअसल, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह (Union Home Minister Amit Shah) द्वारा ‌ताजा विधानसभा चुनाव से पहले जाट समुदाय को साधने की कवायद पश्चिमी दिल्ली के बीजेपी सांसद प्रवेश वर्मा के आवास पर जाट समाज के नेताओं की पंचायत के साथ शुरु हुई थी। जिसमें केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह भी शामिल हुए थे। अमित शाह ने इस पंचायत में जाट समुदाय के तमाम नेताओं के जरिए पश्चिमी यूपी में जाटों को भाजपा के पाले में लाने की कोशिश करते देखे गये थे। इस दौरान जयंत चौधरी को भी बीजेपी के साथ आने का न्योता दिया गया था।

पश्चिमी यूपी से इस बार जाट समाज के चार मंत्री बनाये गये

हालांकि तब ऐसा लगा था कि शायद ही भाजपा किसान आंदोलन के बाद से नाराज जाटों को मनाने में सफल हो सकेगी। लेकिन, किसान आंदोलन के बाद भी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में पश्चिमी यूपी में जाट समाज का बेहतर साथ मिलने के बाद भाजपा को जाटों को अपने पाले में लाने की कवायद सफल होती दिखने लगी हैं। यही वजह है कि पश्चिमी यूपी में अपेक्षाकृत चुनाव परिणाम नही मिलने के बाद भी पश्चिमी यूपी से इस बार जाट समाज के चार मंत्री बनाये गये हैं।

योगी आदित्यनाथ मंत्रिमंडल में शामिल दो चेहरे तो चौधरी चरण सिंह परिवार का गढ़ कहे जाने वाले इलाके के शामिल हैं। जैसे कि बड़ौत से जीते विधायक केपी मलिक और मथुरा जिले से लक्ष्मीनारायण चौधरी हैं। बता दें मथुरा से चौधरी जयंत सांसद रह चुके हैं और बागपत से जयंत तो सांसद का चुनाव हार गए थे लेकिन उनके दादा चौधरी चरण सिंह और पिता अजित सिंह वहां से सांसद रह चुके हैं।

भाजपा को बंपर जीत हासिल हुई

बता दें कि सूबे में भले ही जाट महज 3 फीसदी के बीच है, लेकिन पश्चिमी उत्‍तर प्रदेश में इनका काफी असर है। 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के अलावा 2017 के विधानसभा चुनाव में जाटों का झुकाव भाजपा की तरफ रहा था। यही कारण था कि इन चुनावों में भाजपा को बंपर जीत हासिल हुई थी। हालांकि, किसान आंदोलन के कारण इस बार जाट समुदाय का साथ भाजपा को नही मिल सका। नतीजन भाजपा को जीत तो मिली,लेकिन पिछले चुनावों के मुकाबले कम मिली। जाटों को लेकर भाजपा के लिए संतोष की बात यही है कि जाट भाजपा से उतना दूर नही हुआ जितना कि चुनाव पूर्व राजनीतिक विश्लेषक बता रहे थे।

यही नही चौधरी परिवार के गढ़ कहे जाने वाले बागपत जिले की तीन में से दो सीटें बागपत और बड़ौत इस बार बीजेपी जीती है। इसीलिए चौधरी जयंत के गढ़ कहे जाने वाले क्षेत्र बागपत के बड़ौत में कमल खिलाने वाले केपी मलिक को बीजेपी ने मंत्री पद का तोहफा दिया हैं। मलिक दूसरी बार विधायक चुने गए हैं। जाट समाज से दूसरे मंत्री मथुरा के छाता से कई बार के विधायक लक्ष्मीनारायण चौधरी को बनाया गया हैं। वह योगी के पहले मंत्रिमंडल में भी कैबिनेट मंत्री थे। मुरादाबाद के रहने वाले विधान परिषद के सदस्य भूपेंद्र सिंह चौधरी को भी मंत्री बनाया गया है। वें योगी की पिछली सरकार में पंचायती राज मंत्री थे।

भूपैन्द्र चौधरी जाट राजनीति के बड़े शिल्पकार

भाजपा के 2012 में वेस्ट यूपी के अध्यक्ष रह चुके भूपैन्द्र चौधरी को जाट राजनीति के बड़ा शिल्पकार कहा जाता हैं। इसके अलावा रामपुर जिले की बिलासपुर विधानसभा सीट से चुनाव जीते प्रदेश सरकार के पूर्व राज्य मंत्री बलदेव औलख (सिख जट) मंत्री बनाये गये हैं। उत्तराखंड और यूपी के बॉर्डर पर स्थित बिलासपुर में सिख समुदाय की काफी आबादी है. जाट किसानों के वोट यहां हार-जीत में अहम भूमिका निभाते हैं। किसान आंदोलन और गन्ने के दामों को लेकर किसानों का विरोध यहां भी देखने को मिला था।

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