BJP के इन नेताओं पर ममता की नजर, चुनाव से पहले तोड़ने की तैयारी

भाजपा में नाराज चल नेताओं में सबसे प्रमुख नाम राहुल सिन्हा का है जिन्हें पिछले दिनों पार्टी में किए गए फेरबदल के दौरान राष्ट्रीय सचिव के पद से हटा दिया गया था। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा की ओर से उठाए गए इस कदम के बाद सिन्हा ने खुले तौर पर बगावत कर दी थी।

Update: 2020-10-30 04:16 GMT
मंत्री जाकिर हुसैन पर बम से हमले के बाद सियासत गरमाने लगी है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने मंत्री पर हुए बम हमले की घटना को साजिश करार दिया है।

अंशुमान तिवारी

नई दिल्ली: पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाला विधानसभा चुनाव तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गया है। भाजपा ने इस चुनाव को जीतने के लिए अभी से ही पूरी ताकत झोंक रखी है, वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी अपनी तैयारियों में कोई कमी बाकी नहीं छोड़ रही है। अब उनकी नजर भाजपा के असंतुष्ट नेताओं पर टिकी है। सूत्रों का कहना है कि तृणमूल कांग्रेस भाजपा में अलग-थलग और हाशिए पर चल रहे नेताओं को तोड़ने की पूरी कोशिश कर रही है।

टीएमसी के संपर्क में हैं पांच असंतुष्ट नेता

सियासी जानकारों का कहना है कि भाजपा के चार-पांच असंतुष्ट नेता तृणमूल कांग्रेस के संपर्क में बने हुए हैं। इन नेताओं के जल्द ही टीएमसी का दामन थामने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। सियासी हलकों में जिन नेताओं के तृणमूल में जाने की संभावना जताई जा रही है उनमें भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा का भी नाम शामिल है।

उनके साथ ही पिछले साल तृणमूल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले कोलकाता के पूर्व मेयर शोभन चटर्जी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के प्रपौत्र चंद्र कुमार बोस भी तृणमूल कांग्रेस के संपर्क में बताए जा रहे हैं। इन तीनों नेताओं के अलावा दो और प्रमुख नेताओं के नाम भी चर्चा में हैं।

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पार्टी में अनदेखी से नाराज हैं कई भाजपा नेता

जानकारों के मुताबिक जो भाजपा नेता तृणमूल के संपर्क में बताए जा रहे हैं वे सभी पार्टी में की जा रही अपनी अनदेखी से नाराज चल रहे हैं।

सियासी जानकारों का यह भी कहना है कि पिछले लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं को तोड़कर पार्टी को करारा झटका दिया था। तृणमूल कांग्रेस भी अब उसी का बदला लेना चाहती है और विधानसभा चुनाव से पहले इसीलिए भाजपा के कुछ नेताओं को तोड़ने की कोशिश की जा रही है।

वरिष्ठ नेता राहुल सिन्हा के तेवर काफी तल्ख

भाजपा में नाराज चल नेताओं में सबसे प्रमुख नाम राहुल सिन्हा का है जिन्हें पिछले दिनों पार्टी में किए गए फेरबदल के दौरान राष्ट्रीय सचिव के पद से हटा दिया गया था। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा की ओर से उठाए गए इस कदम के बाद सिन्हा ने खुले तौर पर बगावत कर दी थी।

बीजेपी नेता राहुल सिन्हा (फोटो: सोशल मीडिया)

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उन्होंने तृणमूल छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले मुकुल राय को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और अनुपम हाजरा को राष्ट्रीय सचिव बनाए जाने पर तीखी आपत्ति जताई थी। उनका कहना था कि पिछले 40 वर्षों से पार्टी की सेवा करने का मुझे यही इनाम दिया गया है। पार्टी की पूरे समर्पित भाव से मेरी सेवा को भुला दिया गया। उन्होंने आरोप लगाया था कि तृणमूल से आने वाले नेताओं को पद देने के लिए मुझे जैसे समर्पित व्यक्ति को किनारे लगा दिया गया।

बाद में राहुल सिन्हा ने यह बात भी कही थी कि तृणमूल कांग्रेस के दो वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें फोन कर उनसे बातचीत की है। इसके बाद से ही राज्य के सियासी हलकों में सिन्हा के तृणमूल कांग्रेस में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।

ये नेता भी पार्टी से चल रहे नाराज

कोलकाता के पूर्व मेयर शोभन चटर्जी पिछले साल अगस्त में भाजपा में शामिल हुए थे मगर उसके बाद वे पार्टी मंच पर कहीं भी सक्रिय नहीं दिखे हैं। वे भी पार्टी के रवैये से नाराज बताए जा रहे हैं। जानकारों के मुताबिक पार्टी की ओर से कोई महत्वपूर्ण पद न दिए जाने के कारण वे पार्टी हाईकमान से काफी नाराज हैं।

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जानकारों के मुताबिक शोभन चटर्जी लगातार तृणमूल कांग्रेस के नेताओं के संपर्क में हैं। चंद्र कुमार बोस को हाल ही में नई राज्य कमेटी से बाहर कर दिया गया था। इस कारण वे भी नाराज बताए जा रहे हैं।

तृणमूल की बड़ा झटका देने की तैयारी

सियासी जानकारों का कहना है कि विधानसभा चुनाव से पहले तृणमूल कांग्रेस भाजपा को बड़ा झटका देने की तैयारी में है। मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की मुखिया ममता बनर्जी ने इसके लिए पूरी तैयारी कर ली है। विधानसभा चुनाव में भाजपा को चोट देने के लिए ममता बनर्जी अभी से ही काफी सक्रिय हैं और इसके लिए तृणमूल कांग्रेस की रणनीति पर गहराई से काम किया जा रहा है।

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दूसरी ओर भाजपा ने पश्चिम बंगाल के चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया है। हर किसी की नजर बिहार चुनाव के नतीजों पर टिकी हुई है। जानकारों का कहना है कि बिहार के चुनावी नतीजों का असर निश्चित रूप से पश्चिम बंगाल और असम के चुनावों पर भी पड़ेगा।

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