मंगल पर चमकी भारत की बिंदी, वायरल हुई तस्वीर, पूरी खबर पढ़ें खिल जाएगा चेहरा
स्वाति ने ही लाल ग्रह के वायुमंडल को पार करते हुए मंगल की सतह पर रोवर के सफलतापूर्वक उतरने की सबसे पहले घोषणा की है।उनकी घोषणा के साथ ही वहां जश्न का माहौल देखने को मिला था।
लखनऊ: ये बिंदिया तेरे चेहरे पे ऐसे निखरती है जैसे पत्तों पे शबनम ठहरती है होगी शिकायत उस क़ुदरत से जिसने ये हवा बनायीं जलन होती है उन हवाओ से जो तुझे छु के गुजरती है...जी हां बिंदिया भारतीय महिलाओं का अभिमान, गौरव और सौभाग्य का प्रतीक है। आज नासा के रोवर ‘पर्सवियरन्स’ के साथ भारतीय बिंदी का जिक्र भी हो रहा है, क्यों ये जरूर जानेंगे, लेकिन उससे पहले उसे लगाने वाले और उस अभियान को भी जान लें जो दुनिया पर चमक रहा है।
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टचडाउन कंर्फम्ड से गूंज उठा ग्रह
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मतलब ये कि शुक्रवार को जैसे ही मंगल की सतह पर नासा का रोवर ‘पर्सवियरन्स’ उतरा, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी के नियंत्रण कक्ष में ‘‘टचडाउन कंर्फम्ड’’ (सफलतापूर्वक उतर गया) की आवाज गूंज उठी। यह घोषणा भारतीय मूल की अमेरिकी वैज्ञानिक स्वाति मोहन ने की, जिन्होंने रोवर को ‘लाल ग्रह’ पर उतारने में एक अहम भूमिका निभाई है। इसके बाद से ही स्वाति मोहन सोशल मीडिया पर छाई है खासतौर से लोग उनकी बिंदी ।
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आवाज बनी पहचान
अमेरिकी वैज्ञानिक डॉ स्वाति मोहन इस समय पूरी दुनियाभर में छाई हुई हैं। अपनी आवाज को पहचान बनाकर उन्होंने अपने साथ ही भारत का नाम भी रोशन कर दिया है।दुनिया का लगभग हर बड़ा देश मंगल ग्रह पर जीवन की तलाश कर रहा है। भारत ,चीन ,अमेरिका समेत कई देशों ने मंगल ग्रह पर अपने मिशन भेजे हुए हैं। अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के पर्सवियरेन्स रोवर मिशन को मंगल का सबसे खतरनाक मिशन माना जा रहा है।
नासा ने अपने इस सबसे खास मिशन की फोटोज और वीडियो सोशल मीडिया पर शेयर किए हैं। जहां सभी नासा के इस मिशन की तारीफ कर रहे हैं, वहीं भारतीय ट्विटर यूजर्स की नजर इस मिशन के साथ डॉ. स्वाति मोहन की बिंदी पर पड़ी, जो काफी लोकप्रिय हो रही है। मिशन को कामयाब बनाने के लिए स्वाति मोहन नासा के कंट्रोल रूम में बैठी थीं और इस दौरान उन्होंने माथे पर बिंदी भी लगाई हुई थी। उसके साथ ही उनके चेहर पर मास्क भी नजर आ रहा था।
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बिंदी को देख देसी ट्विटर यूजर
इस बिंदी को देख देसी ट्विटर यूजर अलग-अलग तरह की प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं। सभी उनकी इस कामयाबी से काफी खुश हैं। स्वाति ने मार्स 2020 मिशन के दिशा-निर्देशन और नियंत्रण अभियान (जीएन एंड सी) का नेतृत्व किया था।उन्होंने रोवर को उतारने में फ्लाइट कंट्रोलर की भूमिका निभाई है। स्वाति ने ही लाल ग्रह के वायुमंडल को पार करते हुए मंगल की सतह पर रोवर के सफलतापूर्वक उतरने की सबसे पहले घोषणा की है।उनकी घोषणा के साथ ही वहां जश्न का माहौल देखने को मिला था।
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भारत से अमेरिका
स्वाति एक साल की उम्र में भारत से अमेरिका पहुंचीं थीं। नासा की वेबसाइट पर उनसे संबद्ध पेज पर उन्हें उद्धृत करते हुए कहा गया है कि मौजूदा अभियान में उनकी टीम की भूमिका का उल्लेख किया गया है। स्वाति ने इस बारे में कहा, ‘मंगल की सतह पर उतरने के दौरान सात मिनट का समय बहुत ही जोखिम भरा था।’ स्वाति ने कहा, ‘टीम के अभियान की कमान संभालने के नाते, मैं जीएन ऐंड सी उप प्रणाली और शेष परियोजना के बीच संवाद की कड़ी थी।
नॉर्दर्न वर्जीनिया और वाशिंगटन डीसी में पली बढ़ीं स्वाति ने यांत्रिक और अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में कॉर्नेल विश्वविद्यालय से स्नातक और फिर मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से वैमानिकी एवं अंतरिक्षयानिकी में एमएस तथा पीएचडी की थी।
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नौ साल की उम्र अंतरिक्ष जानें की लालसा जगी
स्वाति ने कहा कि अंतरिक्ष क्षेत्र में उनकी रुचि तब पैदा हुई जब उन्होंने नौ साल की उम्र में टीवी शो ‘स्टार ट्रेक’ देखा था। नासा के मंगल मिशन में स्वाति के योगदान की आज दुनियाभर में प्रशंसा हो रही है। हालांकि सोशल मीडिया पर उनकी बिंदी की बहुत चर्चा हो रही हैं जो कि नासा की तस्वीरों में उनके माथे पर दिख रही हैं लोगों ने उनकी बिंदी की तारीफ में कई ट्वीट किए हैं।
नासा का छह पहिए वाला रोवर मंगल ग्रह से ऐसी चट्टानें लेकर आएगा, जिनसे इन सवालों का जवाब मिल सकता है कि क्या कभी लाल ग्रह पर जीवन था। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर कभी मंगल ग्रह पर जीवन रहा भी था तो वह तीन से चार अरब साल पहले रहा होगा, जब ग्रह पर जल मौजूद था। वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि रोवर से दर्शनशास्त्र, धर्मशास्त्र और अंतरिक्ष विज्ञान से जुड़े एक मुख्य सवाल का जवाब मिल सकता है। ‘पर्सवियरन्स’ नासा द्वारा भेजा गया अब तक का सबसे बड़ा रोवर है, 1970 के दशक के बाद से अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी का यह नौवां मंगल अभियान है।