सोशल मीडिया पर सर्जिकल स्ट्राइक: अब हो जाएं सतर्क, ऐसे पोस्ट पर सजा होना तय
दिशानिर्देशों में एक और प्रमुख मुद्दा व्हाट्सएप जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर पता लगाने की क्षमता है। सरकार ने कहा कि भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, या सार्वजनिक व्यवस्था, या किसी को उकसाने से संबंधित अपराध की रोकथाम, पता लगाने, जांच, अभियोजन या सजा के लिए।
रामकृष्ण वाजपेयी
नई दिल्ली: सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया नैतिकता संहिता) नियम, 2021 की अधिसूचना जारी करके सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर नकेसने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। यह सरकार का एक बड़ा कदम है और सोशल मीडिया प्लेटफार्मों को नियंत्रित करने की दिशा में पहला कदम भी है। इस कदम के माध्यम सरकार दूसरे देशों के जरिये भारत की संप्रभुता में हस्तक्षेप को भी नियंत्रित कर पाएगी।
अब देश से बाहर बैठकर विरोध के नाम पर देश विरोधी गतिविधियां नामुमकिन हो जाएगा। यह यूरोपीय संघ के नियमों से अलग है, जहां व्यक्ति की गोपनीयता नीति के केंद्र में है। सवाल ये है कि सरकार को सोशल मीडिया और डिजिटल मीडिया को इस तरह से नियंत्रित करने की जरूरत क्यों पड़ी।
डेटा संरक्षण पर व्यापक कानून
सरकार के ये दिशा निर्देश ऐसे समय आए हैं जबकि डेटा संरक्षण पर व्यापक कानून आने वाला है। इस संबंध में गौरतलब ये है कि डिजिटल मीडिया जिस तरह से अपने कायदे कानूनों को लेकर जोर जबरदस्ती पर उतर आया था और भारतीय कानूनों और व्यवस्था का मखौल उड़ा रहा था उसमें ये कदम देश की सुरक्षा और नागरिक हितों की रक्षा के लिए उठाया जाना उचित था।
यह भी पढ़ें: दीपिका के साथ छीनाझपटीः टिशू के लिए एक्ट्रेस फंसी, वीडियो वायरल
रविशंकर प्रसाद का कहना सही
केंद्रीय कानून और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद का यह कहना बिल्कुल सही है "दोहरे मापदंड नहीं होने चाहिए। अगर कैपिटल हिल (अमेरिकी कांग्रेस) में कोई हमला होता है, तो सोशल मीडिया पुलिस कार्रवाई का समर्थन करता है। लेकिन अगर लाल किले पर एक आक्रामक हमला होता है, जो भारत की स्वतंत्रता का प्रतीक है जहां प्रधान मंत्री राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं, आपके पास दोहरे मानक हैं। यह स्पष्ट रूप से अस्वीकार्य है।"
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से विवाद
लाल किले की घटना के बाद, सरकार ने अमेरिकी माइक्रोब्लॉगिंग साइट ट्विटर को कुछ खातों को ब्लॉक करने के लिए कहा था और ट्विटर ने अधिकारियों के अनुकूल तरीके से तुरंत प्रतिक्रिया नहीं दी। यही स्थिति फेसबुक और व्हाटसएप की रही।
यह कोई पहला मामला नहीं है। तीन तलाक के खिलाफ जब सरकार ने मुस्लिम महिलाओं को सुरक्षा दी उस समय भी सोशल मीडिया पर सरकार और देश के खिलाफ लोगों को सोशल मीडिया का मंच मिला। कश्मीर जैसे संवेदनशील मसले पर जब सरकार ने शांति बहाली की दिशा में कदम बढ़ाते हुए अनुच्छेद 370 को संशोधित किया उस समय भी इस मंच का जमकर दुरुपयोग हुआ। सीएए पर जब कानून की बात आई तब भी यही हुआ।
यह भी पढ़ें: तो बंद होगा Whatsapp! भारत सरकार ने जारी की गाइडलाइन, क्या बैन होंगे ये ऐप्स
बदला लोगों का देखने का नजरिया
ऐसा नहीं है कि तीन तलाक को सबसे देशों में मान्यता है। तमाम मुल्कों में यह प्रतिबंधित है लेकिन भारत में इस दिशा में कदम बढ़ा तो लोगों का देखने का नजरिया बदल गया। कश्मीर जो कि भारत का अभिन्न हिस्सा है। वहां शांति बहाली के प्रयासों का विरोध देश के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ जाकर किया गया। और तो और चीन से तनाव की स्थिति में लोगों ने चीन के पक्ष में कैम्पेन चलाया।
अब नए नियमों में सामग्री की 10 व्यापक श्रेणियों के व्यापक स्वैथ को रखा गया है, जिन्हें प्लेटफॉर्म होस्टिंग से प्रतिबंधित किया गया है। इनमें शामिल हैं: ऐसी सामग्री जिससे "भारत की एकता, अखंडता, रक्षा, सुरक्षा या संप्रभुता को खतरा है, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, या सार्वजनिक आदेश, या किसी संज्ञेय अपराध के कमीशन को भड़काने या किसी भी अपराध की जांच को जो रोकती है या किसी का अपमान कर रही है।”
इसके अलावा अपमानजनक, अश्लील, पाओडोफिलिक, दूसरे की गोपनीयता का अतिक्रमण, जिसमें शारीरिक गोपनीयता शामिल है, लिंग के आधार पर अपमानजनक या उत्पीड़न, मानहानि, नस्लीय या जातीय आपत्तिजनक, मनी लॉन्ड्रिंग या जुआ को प्रोत्साहित करने वाली या अन्यथा असंगत या इसके विपरीत है। भारत के कानून के खिलाफ सामग्री को भी यह प्रतिबंधित करती है।
क्या मिलेगा सजा
गुरुवार के दिशानिर्देशों में एक और प्रमुख मुद्दा व्हाट्सएप जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर पता लगाने की क्षमता है। सरकार ने कहा कि भारत की संप्रभुता और अखंडता, राज्य की सुरक्षा, विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध, या सार्वजनिक व्यवस्था, या किसी को उकसाने से संबंधित अपराध की रोकथाम, पता लगाने, जांच, अभियोजन या सजा के लिए। बलात्कार, यौन रूप से स्पष्ट सामग्री या बाल यौन शोषण सामग्री के संबंध में अपराध आदि में पांच साल से कम अवधि के कारावास के साथ दंडनीय होगा। यह संदेश मंच पर गैरकानूनी संदेश के पहले प्रवर्तक की पहचान करने में सक्षम होगा।
यह भी पढ़ें: हैरतअंगेज वीडियो: बाबा रामदेव को टक्कर दे रही ये लड़की, यकीन नहीं तो खुद देख लें
कई सालों से, सरकार फेसबुक के स्वामित्व वाले व्हाट्सएप को ट्रेसबैलिटी की अनुमति देने के लिए कह रही है लेकिन WhatsApp इन अनुरोधों का खंडन करता रहा है।
कई न्यायालयों ने बनाए कानून
विश्व स्तर पर, अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे अन्य न्यायालयों ने भी फेसबुक को इसके संदेशों का दुरुपयोग रोकने के लिए लिखा है। इसके अलावा, सिंगापुर, ऑस्ट्रेलिया, जर्मनी और रूस सहित वैश्विक स्तर पर कई न्यायालयों ने गैरकानूनी सामग्री को सोशल मीडिया पर प्रकाशित होने से रोकने के लिए कानून बनाए हैं।
सोशल मीडिया कंपनियों के लिए आपराधिक दंड
ऑस्ट्रेलिया ने सोशल मीडिया कंपनियों के लिए आपराधिक दंड पेश किया, जिसमें उनके अधिकारियों को तीन साल तक की जेल की सजा और कंपनी के वैश्विक कारोबार का 10 प्रतिशत तक आर्थिक दंड दिया गया।
इसी तरह, 2018 की शुरुआत में, जर्मनी ने देश में 2 मिलियन से अधिक पंजीकृत उपयोगकर्ताओं के साथ सोशल मीडिया कंपनियों पर लागू एक कानून पारित किया है। कानून के तहत, कंपनियों को उनके द्वारा होस्ट की जा रही सामग्री के बारे में शिकायतों की समीक्षा करने, 24 घंटे के भीतर स्पष्ट रूप से अवैध कुछ भी हटाने और हर छह महीने में अनुपालन अपडेट प्रकाशित करने के लिए प्रक्रियाओं को स्थापित करने के लिए मजबूर किया गया था।
यह भी पढ़ें: जब एसपी ने मटकाई कमर, तो कूद पड़े दरोगा बाबू, लाखों लोगों ने देखा ये शानदार वीडियो
दोस्तों देश दुनिया की और खबरों को तेजी से जानने के लिए बनें रहें न्यूजट्रैक के साथ। हमें फेसबुक पर फॉलो करने के लिए @newstrack और ट्विटर पर फॉलो करने के लिए @newstrackmedia पर क्लिक करें।