ऑन लाइन यौन उत्पीड़नः सोशल मीडिया छोड़ रहीं लड़कियां
सोशल मीडिया पर महिलाओं पर हमले की घटनाएं आम बात हैं। लेकिन सबसे बुरा हाल फेसबुक का पाया गया है। लड़कियों ने बताया कि फेसबुक पर हमले की घटनाएं सबसे आम हैं।
नई दिल्ली: ऑनलाइन दुर्व्यवहार और उत्पीड़न के कारण लड़कियां सोशल मीडिया छोड़ने को मजबूर हो रही हैं। यह तथ्य एक सर्वे में सामने आया है। सोशल मीडिया को लेकर किए गए अध्ययन में कहा गया कि 58 प्रतिशत से अधिक लड़कियों ने सोशल मीडिया पर किसी ना किसी प्रकार के दुर्व्यवहार का सामना किया है। प्लान इंटरनेशनल के इस सर्वे में 15 से 25 साल की 14 हजार लड़कियां शामिल की गईं। सर्वे ब्राजील, अमेरिका और भारत समेत 22 देशों की लड़कियों के बीच कराया गया था।
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सबसे ख़राब हाल फेसबुक का
सोशल मीडिया पर महिलाओं पर हमले की घटनाएं आम बात हैं। लेकिन सबसे बुरा हाल फेसबुक का पाया गया है। लड़कियों ने बताया कि फेसबुक पर हमले की घटनाएं सबसे आम हैं। 39 फीसदी महिलाओं ने कहा कि उन्हें फेसबुक पर उत्पीड़न का सामना करना पड़ा। वहीं इंस्टाग्राम पर 23 फीसदी, व्हाट्सऐप पर 14 फीसदी, स्नैपचैट पर 10 फीसदी, ट्विटर पर 9 फीसदी और टिक टॉक पर 6 प्रतिशत महिलाओं ने दुर्व्यवहार या उत्पीड़न का अनुभव किया है।
सहना पड़ता है अपमान
सर्वे में पाया गया कि इस तरह के हमलों के कारण हर पांच लड़कियों में से एक ने सोशल मीडिया साइट का इस्तेमाल या तो बंद कर दिया या फिर सीमित कर दिया। सोशल मीडिया पर निशाने पर आने के बाद हर दस लड़कियों में से एक ने सोशल मीडिया पर अपने आपको जाहिर करने के तरीके में बदलाव कर लिया। सर्वे में शामिल 22 फीसदी लड़कियों ने कहा कि उनमें या फिर उनकी दोस्तों को शारीरिक हमले को लेकर भय था।
सर्वे में शामिल लड़कियों ने बताया कि सोशल मीडिया पर हमले के सबसे सामान्य तरीके में अपमानजनक भाषा और गाली शामिल है। 41 फीसदी लड़कियों ने कहा कि उद्देश्यपूर्ण शर्मिंदगी ने उन्हें प्रभावित किया जबकि बॉडी शेमिंग और यौन हिंसा के खतरों ने 39 फीसदी लड़कियों को प्रभावित किया। इसी तरह से जातीय अल्पसंख्यकों पर हमले, नस्लीय दुर्व्यवहार और एलजीबीटी समुदाय से जुड़ी लड़कियों का उत्पीड़न बहुत अधिक था।
फेसबुक और इंस्टाग्राम का कहना है कि वे दुर्व्यवहार से जुड़ी रिपोर्ट की निगरानी करते हैं
फेसबुक और इंस्टाग्राम का कहना है कि वे दुर्व्यवहार से जुड़ी रिपोर्ट की निगरानी करते हैं और परेशान करने वाली सामग्री की पहचान कर कार्रवाई करते हैं। ट्विटर का भी कहना है कि वह ऐसी तकनीक का इस्तेमाल करता है जो अपमानजनक सामग्री की पहचान कर सके और उसे रोक सके। हालांकि इस अध्ययन ने दुरुपयोग को रोकने में रिपोर्टिंग करने वाली तकनीक को अप्रभावी पाया।
- हर चार में से एक लड़की ने कहा कि सोशल मीडिया पर दुर्व्यवहार की वजह से उन्हें फिजिकली असुरक्षित महसूस होता है।
- एक महिला ने कहा, सबसे खराब स्थिति में मुझे असुरक्षित लगता है क्योंकि मैं समझ नहीं पाती कि एक खास शख्स को मेरी जिंदगी के बारे में इतनी जानकारी कैसे है और मुझे चिंता होती है कि ये मेरा पता ढूंढ लेगा और घर आ जाएगा।
- 42 फीसदी महिलाओं ने ऑनलाइन दुर्व्यवहार का सामना करने के बाद अपने आत्म-सम्मान और आत्मविश्वास में कमी महसूस की है। दूसरे 42 फीसदी समूह का कहना है कि इसकी वजह से वो मानसिक और भावनात्मक रूप से परेशान रहीं।
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एक शोध में सामने आया है कि सोशल मीडिया का गलत प्रभाव लड़कों के मुकाबले लड़कियों पर ज्यादा पड़ता है। इस शोध के लिए 13 से 16 साल की उम्र के करीब दस हजार बच्चों का इंटरव्यू लिया गया था। इस शोध के सह-लेखक रसेल विनर ने बताया कि सोशल मीडिया के इस्तेमाल से कोई खास असर नहीं पड़ता लेकिन लगातार ज्यादा इस्तेमाल करने से यह हमारी उन गतिविधियों पर असर डालता है जो शरीर के लिए जरूरी हैं जैसे- नींद और व्यायाम। वहीं, नई उम्र के बच्चे गलत सामग्री और साइबर बुलिंग का भी शिकार होते हैं।
साइबर बुलिंग का शिकार होने के सबसे ज्यादा मामले लड़कियों के केस में सामने आए
साइबर बुलिंग का शिकार होने के सबसे ज्यादा मामले लड़कियों के केस में सामने आए। उसके बाद सोशल मीडिया के कारण नींद और एक्सरसाइज न करने की बात सामने आई। इस शोध में सामने आया कि कम नींद और साइबर बुलिंग की वजह से 60 फीसदी लड़कियों को मानसिक परेशानी हुई। वहीं, 12 फीसदी लड़को को इस वजह से मानसिक अशांति से गुजरना पड़ा। विशेषज्ञों का कहना है अच्छी नींद और व्यायाम से परेशानी दूर हो सकती है।
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